शोक एक ऐसा शब्द है जो अपने आप में एक भीतर की दबी हुई कसक और अंतर मन की वेदना को व्यक्त करता है जिसमें व्यक्ति दुख पराकाष्ठा को प्राप्त कर लेता है।
वह भाव वह ना तो किसी को बता सकता है ना ही समझा सकता है उसके भाव सिर्फ आंसू और उसकी चीत्कार से ही प्रकट हो सकते हैं,
इतनी गहरी वेदना जो उसे अंदर से कमजोर और लाचार कर देती है। ठाकुर साहब और उनकी हवेली में आज हर तरफ शोक की लहर थी हर व्यक्ति दुखी था, किंतु हर व्यक्ति के मन में कहीं ना कहीं कोई प्रश्न अवश्य था किंतु उस माहौल में किसी को न तो कुछ पूछने की हिम्मत नही पड़ रही थी और कोई पूछता भी तो क्या,
ठाकुर साहब जमीन पर जैसे ही गिरते हैं दौड़कर कई लोग उन्हें सहारा देकर एक कुर्सी पर बैठा लेते हैं कुछ देर बाद एक आदमी ठाकुर साहब के समीप आता है और उनके कान में धीरे से कुछ कहता है ठाकुर साहब उठ कर उसके साथ थोड़ी दूर तक जाते हैं ,
और फिर काफी देर तक दोनों बातें करते हैं वह आदमी चला जाता है ठाकुर साहब वापस आकर अवनी के शव के पास बैठ जाते हैं।
सभी पंडित और गांव के अन्य सदस्य कहते हैं, कि अब हम सब लोगों को अंतिम संस्कार की तैयारियां करनी चाहिए वरना पूरा परिवार ऐसे ही अवनी को देख देखकर रोता ही रहेगा
ठाकुराइन बोली अंतिम संस्कार ॽअभी तो मेरी बेटी की विदाई बाकी है हां आज मेरी बेटी हवेली से विदा होगी॥
मैंने उसकी विदाई के लिए बहुत ही सुंदर साड़ियां गहने जेवर इत्यादि बनवा कर रखे हैं ।
आखिर वह सब कब काम आएंगे आज ही तो मेरी बेटी इसे पहनेगी क्योंकि आज के बाद इस हवेली से विदा होगी हर मां-बाप का यही सपना होता है ।
कि उसकी बेटी सज धज कर पूरे सिंगार के साथ विदा हो तो मैं क्यों ना अपना सपना पूरा करूं यह कहकर ठकुराइन रोते-रोते गिर जाती है अखंड प्रताप आते हैं और अपनी मां को सहारा देकर वही अवनी के शव के समीप बैठ जाते हैं।
नीलम दूर खड़ी स्तब्ध सी आंखों से बहते हुए आंसुओं के पीछे से अवनी की ओर एकटक देख रही थी और अपने मन में सोच रही थी कि आखिर ऐसा क्या हुआ?
तुमको अचानक तुमने तो राजीव से फिर से मिलने का वादा किया था ,कौन निभाएगा वह वादा? और मुझे तो तुम्हारी हर समय की आदत पड़ गई तुम्हारे बिना मैं कैसे गुजार लूंगी एक एक पल उसकी आंखों से आंसू लगातार बह रहे थे,
तभी हाथ में लिए मोबाइल से उसने राजीव को फोन किया उधर से राजीव ने फोन उठाया और पूछा नीलम सब ठीक तो है अखंड भैया ने कुछ कहा तो नहीं तुम लोगों को नीलम बदहवास सी फोन पर ही रोने लग
राजीव घबराकर बोला कुछ बोलो ?वरना मुझे बड़ी बेचैनी हो रही है ??नीलम ने कहा अब बोलने के लिए कुछ नहीं बचा मैं क्या बोलूं? राजीव ने कहा तुम ऐसे क्यों बोल रही हो ?और तुम रो क्यों रही होॽ,
नीलम बोली बात ही ऐसी है तुम भी सुनकर अपने आप को रोक न सकोगे, राजीव ने कहा अब बताओ भी नीलम ने कहा अवनी अब इस दुनिया में नहीं है इतना सुनते ही मानो राजीव को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हुआ ,,,,
उसने नीलम से कहा कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हो, क्या हो गया है तुमको ?भला ऐसे भी कोई मजाक करता है नीलम ने कहा हां नियति ऐसा ही मजाक करती है?
जो किसी को समझ में नहीं आता जिसकी किसी को आहट भी नहीं होती वही मजाक हमारे साथ भी हुआ है अवनी हमें छोड़ कर चली गई नीलम रोने लगती है और राजीव के हाथ से तो मोबाइल ही गिर जाता है।
हर कोई दुखी था हर किसी का गम अलग था, किंतु जो गम एक मां का था वह शायद ही किसी का रहा हो वह मां जो अपनी बड़ी होती देख बेटी को उसके लिए सपने सजो लेती है।
दिन रात उसकी सलामती की कामना करती है सपने में भी कभी उसके लिए कुछ बुरा नहीं सोचती उसके होने वाले भविष्य को संवारने के लिए वह किसी भी परिस्थिति का सामना करने को तैयार रहती है ।
वह मां आज दुख की सारी पराकाष्ठा को पार कर जाती है उसके जैसा अभागा दुखी शायद ही इस संसार में कोई हो आज अवनी चुनरी तो ओड़ेगी मगर अपने विदाई कि नहीं परम विदाई की ,,,,
जिसे ओड़कर वह कभी अपने मायके वापस नहीं आ पाएगी, फिर कभी उसकी मां उसे गले नहीं लगा पाएंगी उसके बाबा उसके हंसते चेहरे को देख कर खुश ना हो पाएंगे उसके भाई उसकी राह देखते ही रह जाएंगे किंतु वह नहीं आएगी?
कभी ना आने के लिए आज उसने एक चुनर ओढ़ ली जो हमेशा हमेशा के लिए उसे इस हवेली से बहुत दूर विदा करा कर ले जाएगी शायद इतनी दूर कि कुछ दिन बाद हर किसी के दिल की यादों से भी वह दूर हो जाएगी ,,,,
लेकिन क्या वह मां भूल पाएगी या फिर वह पिता भूल पाएंगे या फिर वह भाई भूल पाएंगे या राजीव भूल पाएगा जिसका वह पहला प्यार थी जिसे वह दिलो जान से पागलों की तरह चाहता था ।
जिसके लिए वह कुछ भी करने को तैयार था क्या वह कभी अवनी को भूल पाएगाॽ अवनी के साथ उसने ना जाने क्या-क्या सपने देखें अब वो कभी उन्हें मूर्त रूप दे पाएगा?
ॽचलिए मान लीजिए अगर उसने दे भी दिया तो क्या उसे अवनी जगह जगह खड़ी नहीं मिलेगी ना रहते हुए भी हमेशा उसके पास नहीं रहेगी इसीलिए तो शायद कहा गया है व्यक्ति मरता है आत्मा नहीं आत्मा कहीं ना कहीं आत्मा से मिलती अवश्य है !!!!
जब प्रेम शारिरिक सुख से ऊपर उठकर आत्मिक होता है तो व्यक्ति मजबूर हो जाता है,आत्ममिलन के लिए कुछ रिश्तो में आत्मिक प्रेम ही होता है !
जो व्यक्ति को शोक से बाहर निकलने ही नहीं देता और उसका सर्वस्व नष्ट हो जाता है। आज अवनी की ओर सभी की निगाहें टिकी रहती हैं मन में अनंत सवाल लिए हर कोई व्याकुल रहता है यह जानने के लिए कि आखिर ऐसा क्या हो गया की खीर खाते ही अवनी गिर पड़ी और उसके मुंह से झाग निकलने लगा,
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे प्रतिउत्तर 🙏 क्रमशः।।।