कभी-कभी कुछ चीजें किसी परिपेक्ष में हमारे लिए सही होती हैं ,और वही किसी दूसरे व्यक्ति के लिए गलत ऐसा कैसे हो सकता है ?एक मानक पर कोई व्यक्ति सही हो और उसी मानक पर दूसरा व्यक्ति गलत कैसे हो सकता है ?
किंतु हमारी सामाजिक सोच हमें उसी दिशा की ओर इंगित करती है जिस परिवेश में हम पले और बड़े होते हैं हवेली के कुछ अपने नियम कानून होते हैं ।
जिनका पालन उस हवेली में रहने वाले प्रत्येक सदस्य बचपन से ही करते हैं यही कारण है कि उसकी एक मर्यादा है उसकी साख इतनी मजबूत हो जाती है की कोई उसे जल्दी तोड़ने का प्रयास नहीं कर पाता ।
और जो तोड़ने की कोशिश करता है या तो उसे अवनी की तरह चिरनिंद्रा में सुला दिया जाता है या फिर सामाजिक मर्यादाओं के बंधन में बांध दिया जाता है।
आज राजीव की जो स्थिति थी उस स्थिति में उसके पास उसको सहारा देने के लिए मयंक के सिवा और कोई न था मयंक के भी कंधे इतनी मजबूत नहीं थे कि वह राजीव को संभाल पाते ।
राजीव अचेत अवस्था में बिस्तर पर पड़ा रहता है तभी दरवाजे पर किसी के खटखटाने आने की आहट होती है। राजीव सोचता है इस समय कौन हो सकता है फिर लापरवाही से उठते हुए राजीव ने सोचा मयंक ही होगा जाकर दरवाजा खोलता है।
सामने किसी अनजान युवक को देखकर उसके मन में भी वही प्रश्न आता है जो सामान्यतः किसी के भी मन में आ सकता है कि यह व्यक्ति कौन है ?और यहां किस लिए आया है ?,राजीव ने पूछा जी आप कौन?
वह व्यक्ति कुछ बोलता नहीं बस एक पेपर का टुकड़ा राजीव के सामने कर देता है ऐसा क्या था ?उस पेपर के टुकड़े में जो राजीव उसी अवस्था में चप्पल पहन कर उस आदमी के पीछे पीछे बिना किसी को कुछ बोले बिना मयंक का इंतजार किए अपने कमरे का दरवाजा उढगा कर चल देता है।
वह आदमी आगे आगे चल रहा था राजीव उसके पीछे पीछे चलता जा रहा था पूरी सड़क पार करने के बाद कोने एक गली में तीन चार आदमी और खड़े थे वह सब राजीव के पीछे पीछे चलने लगे थोड़ी देर के लिए राजीव को लगा कि आखिर यह सब मेरे पीछे क्यों चल रहे हैं ??
फिर उसने सोचा रास्ता है कोई भी चल सकता है कुछ दूर जाने के पश्चात उस आदमी ने राजीव से कहा अभी हमको थोड़ा दूर और चलना पड़ेगा आप ऐसा करें कि मेरी बाइक पर बैठ जाएं,,,,
राजीव ने कहा क्या ज्यादा दूर है! उस आदमी ने कहा हां थोड़ा दूर तो है राजीव उस आदमी की बात मानकर उसकी बाइक पर बैठ जाता है वह आदमी बाइक लेकर आगे बढ़ता है उसके पीछे जो आदमी पैदल चल रहे थे वह सभी अपनी अपनी बाइक पर बैठ जाते हैं ।
और उस आदमी के पीछे अपनी बाइक लगा देते हैं काफी देर चलने के बाद राजीव के मन में घबराहट होने लगी उसने पूछा आखिर और कितनी दूर,,,,,,, हमें चलते दो घंटे हो गए ??
उस आदमी ने कहा बस बस आ गए और वह बाइक खड़ी करके उतर गया उसके बाद सब आदमियों ने मिलकर राजीव को पीटना शुरू कर दिया हॉकी डंडे और लाठियों से राजीव पिटता रहा और पूछता रहा कि आखिर कौन हो तुम लोग?
किंतु उनमें से हर कोई यही कह रहा था की अपनी औकात से ज्यादा सोचोगे तो यही हाल होगा जमीन में रहकर हवेली के ख्वाब देखने लगे थे राजीव को कुछ समझ आता उसके पहले उसका लहूलुहान शरीर जमीन पर गिर जाता है उसके बाद भी उन लोगों को संतोष नहीं होता जो आदमी बाइक से राजीव को यहां तक लेकर आया था अपनी जेब में से एक पिस्टल निकालकर लगातार राजीव पर 5 गोलियां दाग देता है उसके बाद राजीव की सांसे थम जाती हैं वह निर्जीव सा लहूलुहान वहीं पड़ा रहता है
फिर सारे आदमी मिलकर राजीव की लाश को यह बोरे में डाल देते हैं, और उसे लेकर एक आदमी बाइक पर पीछे बैठ जाता है थोड़ी दूर जाने के बाद एक सुनसान जंगल जैसा रास्ता उन्हें दिखाई देता है वह उसी रास्ते पर घंटो चलते रहते हैं कई घंटे के बाद एक छोटी सी पहाड़ी और चारों तरफ घने जंगल के बीच पहुंच जाते हैं वहीं से उस बोरे को नीचे फेंक देते हैं। और सभी वापस अपनी अपनी बाइक से अपने अपने गंतव्य की ओर चले जाते हैं मयंक कई दिनों से क्लास करने नहीं जा रहा था उसका तो किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था उसे हर समय राजीव की ही बस चिंता लगी रहती थी वह मन से बहुत राजीव को मानता था, थोड़ी देर के लिए वह खाने पीने की वस्तुएं लेने गया था , कुछ खाने पीने का सामान लेकर मयंक वापस अपने रूम पर लौटता है, तो रूम का दरवाजा उढगा रहता है । अंदर आकर मयंक देखता है, की राजीव कमरे में नहीं रहता मयंक सोचता है ,हो सकता है राजीव बाथरूम में हो और वह खाने-पीने की वस्तुएं निकाल कर मेज पर अपने रखता है अपने मन में सोचता रहता है कि आज मैं राजीव को जबरदस्ती अपनी कसम देकर कुछ ना कुछ जरुर खिलाऊंगा दो दिन हो गए उसने कुछ खाया नहीं यही सोच कर वह एक एक समान निकाल कर रखता रहता है फिर मयंक बाहर से ही राजीव को आवाज देता है राजीव मैं आ गया हूं और बैठकर एक प्लेट लेकर खाने का सामान प्लेट में निकाल कर कहता है जल्दी आओ बहुत तेज भूख लगी है जब तक तुम खाओगे नहीं तब तक मैं भी नहीं खाऊंगा अब जल्दी से बाहर निकल आओ क्योंकि मुझे बहुत तेज की भूख लगी है अंदर से कोई आवाज ना सुनकर मयंक ने सोचा कहीं राजीव को बाथरूम में चक्कर तो नहीं आ गया क्योंकि दो। दिन से उसने कुछ खाया भी नहीं है हो सकता है कि चक्कर आ गया हो बाथरूम के दरवाजे के पास जाता है जैसे ही हो दरवाजे को छूता है दरवाजा खुल जाता है मयंक अंदर झांक कर देखता है अंदर तो कोई नहीं है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे प्रतिउतर 🙏 क्रमशः