गांव वालों की मदद से और ठाकुर साहब के सहयोग से केशव का अंतिम संस्कार हो जाता है लेकिन राजीव बहुत दुखी रहता है,
रह रह कर उसको अपने बापू की याद आती रहती है, बचपन से लेकर बड़े तक की सारी यादें राजीव के सामने एक चलचित्र की भांति घूमती रहती है,
उसकी मां उसके लिए खाना लाती है ,लेकिन राजीव कहता है मुझे भूख नहीं है मां कहती है, आखिर ऐसा कब तक चलेगा? राजीव ने कहा आप खा लीजिए मैं थोड़ी देर बाद खा लूंगा l राजीव की मां खाना ढक कर चली जाती है, ।
तभी हवेली का एक नौकर राजीव को बुलाने आता है और कहता है कि आपको ठाकुर साहब ने बुलाया है, राजीव उसके साथ चल देता है।
हवेली पहुंचने पर ठाकुर ठकुराइन दोनों बैठे रहते हैं राजीव उनको प्रणाम करके एक कोने खड़ा हो जाता है। तभी ठकुराइन कहती है।
क्यों राजीव आजकल सुना है तुमने कुछ ज्यादा बड़े सपने देखने शुरू कर दिए,? राजीव कहता है ऐसी मेरी औकात कहां, तो फिर अवनी के साथ तुम्हारा नाम क्यों जुड़ रहा है, ।
राजीव ने कहा क्योंकि मैं अवनी को पसंद करता हूं और अवनी भी मुझे पसंद करती है ,उसके इतना बोलने पर ठकुराइन गुस्से से कहती हैं,,,
, अपनी औकात में रहो अपनी हद मत पार करो, वरना तुम्हारे साथ क्या होगा तुम्हें खुद नहीं पता चल पाएगा? यह हवेली है यहां किसके साथ कैसा व्यवहार होगा इसका निर्णय ठाकुर साहब करते हैं।
, यहां कोई पुलिस कोई अदालत नहीं आती राजीव चुपचाप ठाकुराइन की बात सुनता रहता है, और फिर धीरे से उठकर कहता है अब चले बहुत देर हो गई है।
ठकुराइन समझ जाती हैं कि राजीव भी बिना मतलब का किसी से पंगा लेने को तैयार नहीं था, क्योंकि वह बहुत दुखी था,
इस समय उसको अपने बापू के सिवा कुछ नहीं सूझ रहा था तभी ठाकुर साहब ने कहा शहर कब जाना है राजीव बोला आठ दस दिन तक यहीं रहूंगा उसके बाद देखूंगा,,,
ठाकुर साहब ने कहा कुछ जरूरत होगी तो बताना और मैंने जो कहा है ,तुम उसे ध्यान रखना राजीव समझ गया कि ठाकुर साहब किस बात की ओर इशारा कर रहे हैं। वह हां में सिर हिला देता है।
इधर राजीव और मयंक के कमरे में ताला बंद रहने और फोन नहीं उठाने के कारण अवनी और नीलम दोनों बड़ी परेशान हुई ,फिर अवनी ने नीलम से पूछा कि तेरे पास मयंक का नंबर है।
नीलम बोली मैं भला क्यों मयंक का नंबर लेने लगी? मुझे क्या मतलब,? अवनी कहती है आखिर मैं कैसे पता लगाऊं ?राजीव का मेरा जी आज सुबह से घबरा रहा है l
कुछ ना कुछ तो गलत जरूर हुआ है राजीव के साथ तभी नीलम बोली एक बार हवेली फोन करके अगर तुम यह पता कर पाओ कि कहीं राजीव अपने गांव तो नहीं आया है।
क्योंकि वैसे भी उसकी बापू की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी क्या पता ज्यादा खराब होने की वजह से वह गांव चला गया हो
, अवनी ने कहा मैं किससे पूछूं? और पूछने पर क्या कोई बता देगा मुझे? कभी नहीं बताएगा तुम पूछो तो हो सकता है शायद तुमको कोई बता दे?
नीलम ने कहा मुझे भी कोई कुछ नहीं बताएगा , राजीव और मयक के लांज से निकलकर अवनी और नीलम हॉस्टल पहुंच जाती हैं, राजीव बैठा अपने बापू की विषय में कुछ ना कुछ सोचता रहता है
,तभी उसकी नजर अपने फोन पर जाती है देखता है इतना सारा नीलम का मिस कॉल वह समझ जाता है कि यह फोन अवनी ने ही किया हैं।
और वह उसी नंबर पर फोन करता है, राजीव का फोन देखकर नीलम अवनी से कहती हैं लो राजीव का फोन आ रहा है बात कर लो।
अवनी गुस्से से भरी रहती है जैसे ही वह फोन उठाती है राजीव के ऊपर बरस पड़ती है गुस्से में अवनी राजीव को कुछ ज्यादा ही उल्टा सीधा बोल देती है।
राजीव चुपचाप शांत सब सुनता रहता है, और उसके बाद बिना कुछ कहे फोन रख देता है,
उसके इस तरह करने पर अवनी का गुस्सा और तेज हो जाता है वह दुबारा राजीव के पास फोन मिलाती है, राजीव फिर से फोन उठाता है अबकी बार तो राजीव जैसे ही हेलो बोलता है।
अवनी गुस्से परेशानी और झुंझलाहट से भरी रहती है तुरंत राजीव को खरी-खोटी सुना देती है राजीव यह बर्दाश्त नहीं कर पाता और कहता है अवनी हम बाद में बात करेंगे।
अवनी जिद पकड़ लेती है। बाद में क्यों? अभी क्यों नहीं? राजीव बोला कैसा है तुम ठाकुरों का यही रवैया मुझे पसंद नहीं है ।
जिस चीज की ज़िद कर लेते हो वह तुरंत ही चाहिए अब अवनी को काफी बुरा महसूस होता है, और वह कहती हैं अगर हम ठाकुर है तो इसमें क्या बुराई है?
राजीव ने कहा तुम मेरी बात को गलत दिशा में ले जा रही हो अवनी बोली कोई गलत दिशा नहीं बाबा सही कहते थे कि रिश्ता हमेशा बराबर वालों में होता है।
तभी वह एक दूसरे को समझ सकते हैं राजीव अवनी को समझाने की कोशिश करता है किंतु अवनी अपने अहंकार के कारण कुछ समझ ही नहीं पाती।
कि राजीव किस परिस्थिति में इस समय है, और गुस्से से फोन काट देती है राजीव मन में सोचता है कोई बात नहीं जब अवनी से मैं मिलूंगा तब मैं उसे समझा लूंगा और मना भी लूंगा,,
किंतु उसके मन में कहीं नहीं कहीं यह संशय बैठ जाता है कि आखिर अचानक अवनी को आज ऐसा क्या हो गया,? कहीं ठाकुर साहब की शर्तों को पूरा करते-करते अवनी उन्हीं के अनुरूप कार्य न करने लगे,,
और मुझे हमेशा हमेशा के लिए भुला न दे, फ़िर राजीव सोचता है ,कि नहीं मुझे अपने प्यार पर पूरा भरोसा है अवनी ऐसा कभी नहीं करेगी ?
वह मुझसे भी उतना ही प्रेम करती जितना मैं उससे करता हूं हम दोनों को कोई दूर नहीं कर सकता फिर वह चाहे ठाकुर साहब ही क्यों ना हो,,
, जाने क्यों इस समय बहुत गुस्से में थी इसलिए वह मेरी कोई बात सुनने को तैयार नहीं लेकिन जब उसका गुस्सा शांत होगा तो मुझे यकीन है वह मेरी बात को सुन लेगी,,
और समझेगी भी वैसे भी बापू का तो अवनी भी बहुत आदर करती थी। हो सकता हो उसको यह बात पता ही ना हो कि मेरे बापू इस दुनिया में अब नहीं रहे इसी कशमकश में राजीव पूरी रात जागता रहता है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे प्रतिउत्तर ॽ। ,🙏 क्रमशः