शब्द इससे तीखा कोई बाण नहीं होता, क्योंकि एक शब्द ही तो है ,जो व्यक्ति के मन में कहीं छूट जाए तो तीर से भी अधिक कष्टदायक होता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि यह शब्दों की बात कहां से आ गई जी हां एक शब्द ही तो है जो व्यक्ति को ऊंचे से ऊंचे स्थान पर पहुंचा सकते हैं और एक शब्द ही है ।
जो व्यक्ति के मन में अगर बैठ जाए तो उसको पतन की ओर भी ले जा सकते हैं उससे कोई भी कार्य करा सकते हैं, समोसा खाते हुए अवनी की नजर एक ओर जाकर रुक गई,,,
अरे! ये यहां बैठा है ??इसने क्लास क्यों नहीं कि?? नीलम बोली कौन? किसने ?अरे! राजीव ,नीलम बोली देख कर तो लगता है सीधा घर से चला रहा है ।
समोसा जल्दी खत्म कर और सीधे क्लास में चल तुझे बड़ी चिंता हो रही है ??
अवनी मुझे क्यों चिंता होने लगी समोसा खत्म कर सीधे क्लास में गई कुछ समय पश्चात फिजिक्स के प्रोफेसर प्रोफेसर बजाज एवं राजीव लगभग साथ ही कक्षा में प्रवेश करते हैं
राजीव पीछे की एक सीट पर बैठ गया क्लास खत्म होने के बाद तुरंत राजीव क्लास से बाहर निकल गया, अवनी सोचती रही क्या सीधे गांव से आया होगा ॽ
क्लास करते समय बहुत सारा सामान भी तो था इसके पास , राजीव ऑफिस में प्रोफेसर दीक्षित के समीप बैठा था। प्रोफेसर साहब स्टाफ रूम में सभी को बताते हैं ,इसी बालक ने शत प्रतिशत अंक प्राप्त किए है।
खुश होकर तुम बहुत आगे जाओगे कोई समस्या हो तो बताओ राजीव बोला फिर हाल रहने के लिए कोई स्थान नहीं है।
।बस इतनी सी बात प्रोफेसर दीक्षित ने घंटी बजाई चपरासी आया और प्रोफेसर ने मयंक को बुलाने के लिए कहा कुछ समय के पश्चात एक दुबला पतला गोरा चिट्टा विद्यार्थी चपरासी के पीछे पीछे आया ।
प्रोफेसर दीक्षित मयंक तुमको कमरे का किराया ज्यादा लग रहा था न ,अब तुम दोनों साथ में आधा-आधा किराया देकर रहो और आओ इससे मिलो यह है ,राजीव ,,,,
दोनों आपस में हाथ मिला लेते हैं, प्रोफेसर को धन्यवाद देकर अपनी अपनी कक्षा में चले जाते हैं। कक्षा समाप्त होने के बाद राजीव बीए कैंपस की तरफ गया,,,
तभी उसे सामने से मयंक आता दिखाई दिया और दोनों अपने कमरे की तरफ बढ़ गए कुछ देर चलने के पश्चात विश्व विद्यालय से थोड़ी दूर एक लाज आया उसी की तीसरी मंजिल पर इनका कमरा था,
मयंक ने कहा तुम्हारे बारे में दीक्षित सर ने मुझे बताया है। तुम तो टांपर हो यार ॥ मयंक ने ताला खोला और राजीव का सामान उठवाने लगा
, राजीव मना करना चाहता था पर कुछ बोल नहीं पाता दोनों ने कपड़े बदले और हाथ-मुह धुला। मयंक ने पूछा खाने का कैसे करोगे??
राजीव जैसा तुम कहो, मुझे खाना बनाना आता है। मयंक तब तो ठीक है, मेरे पास सामान सब है, लेकिन मुझे खाना बनाना नहीं आता है।
कुछ देर आराम करने के बाद राजीव ने कहा मयंक कुछ बनाना है।भाई आज नहीं आज का खाना मेरी तरफ से कल सब्जी इत्यादि लाने के बाद ही खाना बनाना शुरू कर सकते हैं
।चल भाई बाहर खाने और सब्जी इत्यादि भी लेते आयेंगे, राजीव ने कहा मयंक तुम्हारा घर कहां है। ?मयंक भाई मैं तो यही का हूं,"
आश्चर्य" से राजीव इसी शहर में फिर भी अलग कमरा पढ़ने के लिए लिया है, नहीं यार यहां से कम से कम 2 घंटे का रास्ता है।
पापा मम्मी बहन घर पर ही रहते हैं। देख भाई अपने को ना तो टॉपर बनना है ना नौकरी करनी है ।अपना तो सीधा-साधा फंडा है ग्रेजुएशन करके पापा की दुकान पर बैठना है।
राजीव तो उसके लिए तुम अभी भी बैठ सकते हो उसके लिए ग्रेजुएशन कि क्या जरूरत, अरे ! यार ,तुम समझते नहीं पढ़ा लिखा रहूंगा तो बिजनेस को आगे बढ़ा लूंगा ,,,
बीए के बाद एमबीए कर लूंगा तुम प्रोफेसर दीक्षित को कैसे जानते हो?? मयंक बोला दरअसल यह कमरा मुझे प्रोफेसर दीक्षित ने ही दिलवाया था ।
।वह मेरे पापा के अच्छे मित्र हैं, मयंक ने पूछा और तुम उनको कैसे जानते हो ??राजीव बोला मेरा तो उनसे आज ही परिचय हुआ है।
अवनी को इस तरह के माहौल में रहने की आदत न थी ,उसे ना तो यहां के कमरे पसंद आए नहीं यहां की मेस का खाना वह
नीलम से कहती है। यार अगर अम्मा इतनी सारी चीजें खाने की ना देती तो मैं क्या खाती?? भूखी ही रह जाती ,??यहां का खाना तो बड़ा ही बेस्वाद है।
जाने कैसे तुम लोग खाते हो नीलम मुझे तो खाना ठीक लगता है। नीलम चुटकियां लेते हुए मैडम जी आप की हवेली नहीं है ।कि आपकी पसंद का खाना मिलेगा,
कुछ दिन खाइए आदत पड़ जाएगी कहकर हंस पड़ी।उधर राजीव बोला ,बातों-बातो में बहुत समय बीत गया अब हमें भोजन के लिए चलना चाहिए,
मैं तो कब से यही कह रहा था । राजीव और मयंक पास के ढाबे में खाना खाने जाते हैं। मयंक दो थाली खाने का ऑर्डर देता है ।
आज कई दिनों के बाद राजीव ने ठीक से खाना खाया घर पर बाबा की तबीयत ठीक ना होने के कारण मां जो थोड़ा बहुत पकाती थी उसी से काम चल जाता था ।
।शहर आने के बाद इधर-उधर में उसे खाना खाने की सुध ही नहीं रही। मयंक बोला लगता है तुम्हें बहुत तेज भूख लगी थी राजीव झेंपते हुए ,,,,
हां यार! कई दिनों से पूरा खाना नहीं खा रहा था ।फिर राजीव ने खाना खाते-खाते मयंक से कहा तुम तो हमारे घर की आर्थिक स्थिति जानते ही हो अगर कोई ट्यूशन दिला देते तो कुछ मदद हो जाती।
मयंक बोला अच्छा याद दिलाया अभी सुबह ही प्रोफेसर दीक्षित का फोन आया था ।और पूछ रहे थे कि अगर राजीव कोई ट्यूशन पढ़ाना चाहे तो मुझे बताना मेरे पास एक -दो विद्यार्थी हैं जो पढ़ना चाहते हैं ।
किन्तु मैं ट्यूशन किसी को नहीं पढ़ाता इस कारण उन्होंने कहा कि सर आप नहीं पढ़ाते तो क्या हुआ किसी को बता दीजिए जो हम लोगों को पढ़ा सके तो उन्होंने मुझे फोन करके कहा ,
यदि राजीव ट्यूशन पढ़ाना चाहता है ।तो मेरे पा,स कुछ विद्यार्थी है पैसे भी ठीक-ठाक मिलेंगे तुम राजीव से बात करके मुझे बताना ,,,
राजीव बोला दुनिया में कितने भले लोग भी होते हैं ।यह तो मैंने कभी सोचा ही नहीं था ।।प्रोफेसर दीक्षित को ही ले लो जब से मैं शहर आया हूं ,
हर प्रकार से उन्होंने मेरी मदद की उनका यह एहसान में जीवन भर नहीं भुला सकता, इतना कहकर राजीव और मयंक दोनों खाना खाने में व्यस्त हैं। क्रमशः,,,