कभी-कभी व्यक्ति जानबूझकर आग में कूद जाता है उसे पता तो होता है कि आग में कूदने पर हम जल जरूर जाएंगे किंतु वह कूदता जरूर है ।
प्रेम के विषय में भी यही हम कह सकते हैं कि जिस समय व्यक्ति को प्रेम होता है उसका जुनून उसे यह मानने पर विवश कर देता है, कि जो होगा देखा जाएगा ,,,
हालांकि उसका परिणाम उसे अच्छी तरह पता होता है, किंतु फिर भी जाने क्यों उसका मन परिणाम की चिंता करता ही नहीं,,,,
प्रेम तो बस वर्तमान में जीता है न भूत की न भविष्य की चिंता करता है।यही कारण था ,कि राजीव को अवनी की यथास्थिति पता होने के बावजूद भी वह अवनी से प्रेम कर बैठा,
और आज उसकी यह स्थिति हुई, उसके लिए वो कहीं न कहीं स्वयं भी जिम्मेदार था, मयंक के साथ किसी तरह राजीव अपने रूम पर वापस आता है ।और आकर चुपचाप लेट जाता हैl
मयंक उसकी चोटों पर मरहम लगाता है, हल्दी डालकर दूध गर्म करता है और राजीव को देता है राजीव से कहता है मैंने तुम्हें इतना समझाया किन्तु तुम्हारी समझ में कुछ आता ही नहीं मुझे तो अच्छे से पता था कि अंजाम ऐसा ही कुछ होने वाला है या हो सकता है इससे भी बुरा होl
उधर अवनी अपने हॉस्टल के रूम में रोती रहती है तभी नीलम कॉलेज कैंपस से वापस आती है और अवनी को रोते देख कर पूछती है क्या हो गया???
तुम इस तरह रो क्यों रही हो? अवनी नीलम को सारी बात बता देती है ,नीलम कहती है ।मैं तो तुम लोगों से पहले ही कह रही थी,,,,
कि हो सकता है तुम्हारा कुछ ना बिगड़े किंतु इस गरीब राजीव का तो सोच कर तू अपने कदम पीछे हटा ले लेकिन तुमने मेरी एक भी बात नहीं मानी और आज राजीव की उस बुरी दशा की जिम्मेदार सिर्फ तुम हो ???
अवनी रोए जा रही थी और कह रही थी मुझे जाना है राजीव के पास नीलम बोली बावरी मत बन अभी उसके साथ कम बुरा हुआ है क्या? जो तू जाने को तैयार है ।
तुझे वहां देखकर तो तेरे घर वाले उसके साथ जाने क्या करेंगेl अब तू यही चुपचाप बैठ तुझे कहीं नहीं जाना अवनी ने कहा रूद्र भैया ने यह बात अखण्ड भैया को भी बता दी अब तो अखंड भैया किसी भी समय आ सकते हैं।
जाने के पहले मैं एक बार राजीव को देखना चाहती हूं l उसे बहुत मारा भैया ने वह बेचारा तो समझ भी नहीं पाया" प्लीज" नीलम मै राजीव से मिलना चाहती हूं।
अवनी कि इस प्रकार बार-बार राजीव से मिलने की ज़िद नीलम को सही नहीं लगती नीलम अवनी को भरसक समझाने का प्रयास करती है ।
लेकिन अवनी कुछ समझने को तैयार नहीं होती, तो फिर नीलम कहती है चलो मिल कर आओ यही अरमान क्यों रह जाए तुम्हारे दिल में वह भी पूरा हो जाए ?
और अवनी के साथ राजीव के रूम में जाने के लिए निकल पड़ती हैं इधर राजीव और मयंक कमरे में ही रहते हैं दरवाजे पर खटखट की आहट सुनकर दोनों के दिल की धड़कन तेज हो जाती है।
मयंक डर जाता है और कहता है कहीं अवनी का भाई फिर से तो नहीं तुझे मारने आया है। और तेरे साथ मुझे भी मारे राजीव बोला बिना दरवाजा खोले हमें कैसे पता चलेगा कि कौन है।
मयंक ने कहा मैं पहले छेद से देखता हूं फिर दरवाजा खोलता हूं अगर अवनी का भाई हुआ तो मैं दरवाजा नहीं खोलूंगा l
मयंक दरवाजे के छेद से देखता है तो उसे दो लड़कियां खड़ी दिखाई देती है मयंक मन में सोचता है हमारे रूम में कौन सी लड़की आएगी
फिर उसने सोचा हो सकता है कोई अपने भाई के रूम का पता करने आई हो, मयंक ने राजीव से कहा दो लड़कियां हैं, राजीव ने कहा दरवाजा खोल कर देख तो लो कि उन्हें क्या काम है।
मयंक धीरे से दरवाजा खोलता है मयंक को हाथ से बगल करते हुए अवनी राजीव के समीप आकर बैठ जाती है उसको देखते ही मयंक के तो हाथ पांव फूल जाते हैं।
मन ही मन सोचता है अब यह यहां क्या लेने आई है। अवनी राजीव की एक एक चोटे देखती है, राजीव को मानो अवनी के आने से बड़ा सहारा मिलता है।
राजीव का हल्दी वाला दूध अभी रखा रहता है, अवनी गिलास उठा कर राजीव से कहती है इसको तुरंत पी लो नहीं ठंडा हो जाएगा तो हल्दी अपना असर नहीं करेगी।
राजीव कहता है अभी पी लूंगा लेकिन अवनी की ज़िद के कारण राजीव हल्दी वाला दूध पीने लगता है। बस मयंक को अवनी का वहां उपस्थित रहना अच्छा नहीं लगता।
वह सोचता है, कि अवनी जितनी जल्दी से जल्दी हो यहां से चली जाए नहीं तो उसके यहां रहने से कोई और बवाल ना खड़ा हो जाए ?
राजीव तो मानो अपने सारे दुख दर्द भूल गया अवनी के हाथ रखते ही उसकी सारी चोटें जैसे ठीक हो गई हो, नीलम अवनी से कहती है ।
अवनी अब हॉस्टल चलो वरना अगर रुद्र भैया या अखंड भैया में से कोई हॉस्टल आया और हम दोनों रूम में नहीं मिले तो वह हम पर गुस्सा होंगे,
वैसे ही अब तक तो पूरा घर हमसे तुमसे नाराज हो ही चुका होगा क्योंकि गेहूं के साथ घुन भी पिसता है, तुम्हारे साथ सब कहीं ना कहीं हम को भी दोष जरूर देंगे ,,,,,
और यह हमसे जरूर पूछेंगे कि तुम्हें तो सब बात पता होगी फिर तुमने घरवलों को बताया क्यों नहीं? अवनी ने नीलम से कहा तुम परेशान मत हो तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा,,,,
मैं कह दूंगी ना नीलम को तो कुछ भी इस बारे में पता ही नहीं था। नीलम फिर कहती है इसी दिन के लिए मैंने तुम्हें इतना समझाया था ।
लेकिन तुम्हारी समझ में आया ही नहीं अवनी बोली मैं घर जाकर बाबा को समझाऊंगी बाबा मेरी सारी जिद पूरी करते हैं वह मेरी यह मांग भी जरूर पूरी करेंगे, यह मुझे उन पर अटूट विश्वास है।
नीलम कहती है भगवान करे तेरा यह विश्वास सदा कायम रहे और जो तू चाहती है वही तुझे मिले, इधर ठाकुर साहब अखंड से कहते हैं शहर जाकर अवनी को हॉस्टल से वापस लाओ।
उसे यह जरा भी भनक न लगे कि हम उससे किसी भी प्रकार से नाराज हैं उसे यही लगना चाहिए कि हम उसका समर्थन करते हैं और उसके साथ खड़े हैं।
भले ही रूद्र नाराज क्यों ना हो? अखंड प्रताप बोले बाबा आप जैसा चाहते हैं ,वैसा ही होगा यह कहकर अखंड प्रताप ठाकुर साहब के कमरे से बाहर निकल जाते हैं।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे प्रतिउतर 🙏 क्रमशः।।।।।।।