कुछ चीजें कहने में भले ही आसान हो किन्तु उसको करना उतना ही मुश्किल होता है। उसको करने में व्यक्ति को जिन जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह तो उस व्यक्ति का मन ही जानता है,
कि वह किन स्थितियों का सामना अपने मन पर कितना बोझ रखकर करता है, अवनी ने ठाकुर साहब से यह बात बड़े आसानी से कह तो दी कि अब वह राजीव से ना मिलेगी ना बात करेगी ,,
किंतु उसके लिए यह करना कितना मुश्किल था, यह वह स्वयं भी नहीं जानती थी हवेली से वापस आने के बाद अवनी और नीलम हॉस्टल आ गई l
इधर राजीव को अवनी की कोई खबर नहीं मिलती तीन दिन में ही इतना ज्यादा परेशान हो गया, उसका मन रह रह कर बार बार किसी अनहोनी की आशंका की ओर जाता है ।
और वह बार-बार अवनी को फोन करता किंतु अवनी उसके फोन का उत्तर नहीं देती, राजीव ने सौ से अधिक मिस कॉल किए बहुत ढेर सारे मैसेज किए किन्तु अवनी ने किसी का एक भी जवाब नहीं दिया,
, लेकिन जब अवनी वापस हॉस्टल आई तो जाने क्यों? उसका मन यह कहने लगा कि मुझे किसी भी तरह यह बात राजीव को बतानी ही पड़ेगी उस बेचारे को तो यह भी नहीं पता कि मेरे और बाबा के बीच क्या समझौता हुआ।
, कहीं वह मुझे गलत ना समझ बैठे इसलिए एक बार तो उससे मिलना जरूरी है। फिर अपने मन में सोचती है क्या बाबा को दिया हुआ वचन तोड़ दूं,??
मैं यह सब बात नीलम से भी तो कहलवा सकती हूं ,मेरा जाना क्या जरूरी है ,?पूरी रात अवनी की इसी कशमकश में निकल गई उसके सीने पर मानो एक बोझ था, वह उतर ही नहीं रहा था, और राजीव जाने क्यों रह रह कर व्याकुल हो उठता, उसकी बेचैनी इतनी बढ़ गई की उससे रहा ही नहीं जा रहा था।
हालांकि वो बिस्तर से उठने की कंडीशन में नहीं था, लेकिन फिर भी वह हॉस्टल जाने को तैयार होता है ,मयंक उसको समझाने का भरसक प्रयास करता है
,किंतु राजीव पर तो जैसे अवनी का नशा पागलपन की हद तक छाया रहता है। उसको किसी की भी बात अच्छी नहीं लगती, सिवाय अवनी के,
इधर अवनी राजीव की हालत का जिम्मेदार खुद को मानती है, और यह फैसला करती है कि जो बाबा ने कहा मैं वही करूंगी अवनी नीलम को ठाकुर साहब वाली पूरी बात बता देती है।
,और कहती है तुम यह सारी बातें राजीव को भी बता दो ,ताकि मैं बाबा की कसौटी पर खरी उतरू और उसके बाद बाबा अपना किया गया वादा मुझसे निभाएं पर जाने क्यों नीलम इस बात पर विश्वास नहीं कर पाती ।
कि ठाकुर साहब ऐसा निर्णय कैसे ले सकते हैं । वह अपनी परिवारिक साख को बचाने की कोशिश तो जरूर करेंगे, हो सकता है बदलते जमाने के स्वरूप को देखते हुए ठाकुर साहब बदल रहे हो क्या पता जैसे अवनी सोच रही हो वैसा ही हो l
अवनी के कहने पर नीलम जाने के लिए तैयार हो जाती है। हालांकि अंदर से उसका बिल्कुल मन नहीं करता किंतु यह सोच कर कि अगर मैं अवनी की मदद नहीं करूंगी तो खुद ही चली जाएगी और रूद्र भैया ने अगर देख लिया या उनको कहीं से पता चल गया बेचारे राजीव की तो खैर नहीं यही सब सोच विचार कर नीलम राजीव के रूम पर जाने के लिए तैयार हो जाती हैं।
फिर नीलम तैयार होकर राजीव के रूम पर जाती है राजीव तैयार होकर निकलने ही वाला था ,जैसे ही वह नीलम को देखता है वैसे ही कहता है, अवनी ठीक तो है ॽ क्या हुआ उसके साथ कुछ बुरा तो नहीं हुआ नीलम हंसते हुए कहती है, अरे ऐसा कुछ नहीं हुआ तुम तो ऐसे घबराए हो जैसे किसी ने उसके प्राण ही ले लिए हो राजीव ने धीरे से कहा मेरे भी तो प्राण निकल गए, नीलम नजर उठाकर राजीव को देखती है राजीव नजरें नीचे कर लेता है। नीलम कहती है हम लोग हवेली चले गए थे अखंड भैया के साथ क्योंकि रुद्र भैया ने हवेली फोन करके अखंड भैया और हवेली में सबको तुम्हारे और अवनी के बारे में बता दिया था, इसीलिए तुरंत ही अखंड भैया आए और हमको और अवनी को लेकर घर चले गए, राजीव ने दबी जबन में पूछा किसी ने कुछ कहा तो नहीं अवनी को, नीलम ने कहा हां ठाकुर साहब ने एक शर्त रखी है ।अगर उस उस शर्त का पालन तुम दोनों लोग सच्चाई और ईमानदारी से करोगे तो ठाकुर साहब तुम्हारा साथ देंगे और तुम्हारे प्यार को अंजाम तक वह खुद पहुंचाएंगे, किंतु अगर तुम दोनों लोगों ने उनके इस शर्त का पालन नहीं किया तो फिर ठाकुर साहब भी तुम लोगों के विरोधी हो जाएंगे, राजीव ने पूछा भी मतलब और कौन विरोधी है नीलम ने कहा क्या तुम्हें समझ नहीं आया रूद्र भैया तो विरोधी है ही है मुझे तो लगता है अखंड भैया को भी यह रिश्ता पसंद नहीं है क्योंकि अखंड भैया ने रास्ते भर हम लोगों से कोई बात नहीं की और लौटते समय भी अखंड भैया पूरी रास्ते मौन रहे ऐसा पहले कभी नहीं हुआ l
राजीव ने कहा ठीक है हम मिल नहीं सकते फोन पर बात तो कर सकते हैं इस पर नीलम ने कहा कि नहीं अवनी का फोन ठाकुर साहब ने अपने पास रख लिया है ,क्योंकि उन्हें अच्छी तरह पता था कि अगर तुम लोग मिलोगे नहीं तो फोन पर बात तो जरूर करोगे इसी कारण ठाकुर साहब ने आते समय अवनी का फोन मांग लिया, तो राजीव ने धीरे से कहा नीलम जी आपके फोन पर तो बात कर सकते हैं, अब तो नीलम एकदम घबरा गई और बोली हां कर सकते हैं। जब बहुत जरूरत हो तब उसके बाद नीलम उठ कर खड़ी हो गई और राजीव से बोली कि अब मैं चलती हूं, मैंने जो कहा उस पर अमल जरूर करना एक अच्छा दोस्त होने के नाते मैंने और मयंक ने तुम दोनों को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन तुम लोग के समझ में नहीं आया अभी भी संभलने का एक मौका ठाकुर साहब ने दिया है। वह मौका अपने हाथ से मत जाने दो और संभल जाओ यह कहकर नीलम उठकर राजीव के कमरे से बाहर चली गई राजीव चुपचाप बिस्तर पर बैठ कर, एक टक दीवार की ओर देखता रहा।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽॽ
🙏 क्रमशः।।।