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अवनी को भूल का एहसास,,,,,

6 जुलाई 2023

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पश्चाताप एक ऐसा शब्द है ,जो व्यक्ति के मन में बोझ बनकर रहता है, ।व्यक्ति चाह कर भी उसे सामने वाले से व्यक्त नहीं कर सकता, 



क्योंकि यह वह ताप है ,जो बाद में व्यक्ति को धीरे धीरे  तपाता रहता है ।इसलिए तो इसे पश्चाताप कहते हैं, ।

अवनी के मन में अब राजीव के प्रति कोई भी ऐसी भावना नहीं थी जिससे वह गलत साबित हो, वह यह सोच कर परेशान होती है ।

 कि राजीव तो हमेशा मेरी मदद ही करता रहा, मैं ही हमेशा उसको गलत समझती रहीं, नीलम सही कह रही थी ।मैं ही अपने स्वार्थ में अंधी हो गई थी 


,अगर कोई परीक्षा प्रथम श्रेणी प्राप्त करता है । तो वह उसकी प्रतिभा है। अवनी का मन अंदर ही अंदर कचोट रहा था ,और उसकी आंखों के सामने बार-बार राजीव का सीधा -साधा, भोला भाला चेहरा घूम रहा था। 


उसे अपनी कही गई बातों से ज्यादा उसने उसको  जो धक्का  दिया था ।उसे धक्का देने के लिए पछतावा था । वह यह सोचकर परेशान हो रही थी कि उसने ऐसी हरकत कर कैसे डाली ??

इन सबके बावजूद  राजीव  एकदम शांत खड़ा था ।वह चाहता तो उसी समय तेज आवाज में यह बता देता कि यहां उसे उसकी मां ने भेजा है , 


अवनी बोली अगर वह ऐसा करता तो, मैं उसके साथ ऐसा सुलूक ना करती उसने तो बताया ही नहीं  कि वह अपने से नहीं आया है,, 

तभी नीलम वहां आती है, और अवनी की ओर देखते हुए कहती है, मैडम किस सोच में पड़ गई, अवनी ने बात छुपाते हुए कहा कुछ नहीं नीलम कहती है ,कुछ तो??

 अवनी ने फिर वही कहा कुछ नहीं। उधर राजीव हवेली से आने के बाद चुपचाप लेट जाता है। जाने क्यों उसे आज अपनी मां की बहुत याद आ रही थी,,

 तभी राजीव की मां (सौतेली मा) आती है ।और थैला  देखकर राजीव से कहती है ।अरे राजीव!! तुमने बताया ही नहीं कि कब हवेली से वापस आए ,,

राजीव बोला अभी थोड़ी देर पहले ही वापस आया हूं ,ठकुराइन ने हम लोगों कि त्योहारी भिजवा दी कि नहीं? राजीव बोला अरे हां !!मैं तो बताना भूल ही गया, यह कहकर राजीव पीछे की तरफ घुमा और एक थैले की तरफ इशारा करते हुए बोला मां इसमें तुम्हारे और बापू के लिए नए कपड़े हैं।

 जो ठकुराइन ने भेजे हैं ।ठकुराइन कह रही  थी ,कि बापू ने पूरा जीवन उनकी सेवा में बिता दिया वह बोली अब हमारा भी उसके प्रति कुछ कर्तव्य है। 

राजीव  की मां बोली भला हो ठाकुर साहब का और ठकुराइन का किसी भी त्योहार पर कभी कोई  कमी नहीं होने देते भगवान उन्हें स्वस्थ रखें, 

राजीव बोला मैं भी यही कह रहा था, तभी राजीव  की मां ने राजीव से पूछा तुम्हारा कपड़ा कहां है? राजीव  ने एक और थैला पकड़ाते हुए कहा यह रहा मेरा कपड़ा,

 मां ने खोलकर देखा और कहा अरे !तुम्हारे ऊपर तो यह नीला रंग बहुत ही खिलेगा क्योंकि गोरे रंग पर ही ये सब रंग अच्छे लगते है। 


आज शाम को जब हवेली जाना तो यही पहन कर जाना बहुत सारे लोग आएंगे राजीव कुछ नहीं बोला चुपचाप लेटा रहा फिर उसकी मां बोली तेरी तबीयत तो ठीक है ना 


?राजीव की तबीयत की बात सुनकर केशव वहीं से लेटे लेटे बोला क्या हुआ? राजीव को राजीव बोला कुछ नहीं बापू बस थोड़ा सा थक गया हूं, 

राजीव को अवनी का इस तरह धक्का देना बहुत अखर रहा था, वह लेटा रहता है, और अपने कपड़े की तरफ नहीं निहारता भी नहीं तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया केशव बोला देखो तो दरवाजे पर कौन है ?
केशव  और केशव  की पत्नी हवेली से आया हुआ खाना खा रहे थे राजीव ही उठकर दरवाजा खोलता है। देखा तो सामने हवेली का नौकर गोपाल खड़ा रहता है ।

 राजीव गोपाल की तरफ देखता है। गोपाल राजीव को देखकर कहता है राजू भैया ठकुराइन ने शाम को हवेली पर आपको बुलाया है। 

राजीव ने पूछा किस लिए गोपाल बोला मैं ज्यादा तो नहीं जानता पर हां नीलम दीदी को कुछ फूल चाहिए था। राजीव ने कहा ठीक है।

 तुम चलो मैं शाम को आता हूं तभी केशव और उसकी पत्नी पूछते हैं हवेली क्यों बुलाया ठकुराइन ने राजीव बोला थोड़े फूल और चाहिए इसीलिए गोपाल को भेजा था बुलाने के लिए,,,



 केशव बोला जा लखन चाचा से फूल ले ले वरना वह सारे फूल बेच देगा ,राजीव ने कहा कि लखन चाचा से लेने की जरूरत नहीं है। 

वहां हवेली पहुंचने पर पता चलेगा कि किस चीज के लिए फूल चाहिए?  और किस रंग के चाहिए बहुत ज्यादा फूलों की जरूरत नहीं है। 

यह कहकर राजीव फिर लेट जाता है। उसका मन दुविधा में रहता है, कि क्या करें हवेली जाए, कि ना जाए अगर जाता हैं तो अंदर से उसका मन पता नहीं क्यों नहीं कर रहा है जाने का और अगर ना गया तो ठकुराइन को बुरा लगेगा


, कि मैंने बुलाया और राजीव आया नहीं क्या करूं? मेरा दिमाग नहीं काम कर रहा है कभी-कभी दिमाग दिल पर हावी हो जाता है। और कभी-कभी दिल दिमाग पर हावी हो जाता है ।दोनों ही कंडीशन में व्यक्ति निर्णय नहीं ले पाता, 


क्योंकि आज जो राजीव के साथ हुआ उसका दिमाग कह रहा था, कि चला जाए किंतु दिल इसकी गवाही नहीं दे रहा था । हालांकि अवनी की बातें उसे चुभी जरूर थी ,


, लेकिन इसका पूरा दोष पता नहीं क्यों वह अवनी को नहीं दे पा रहा था। शाम को हवेली की रौनक देखते ही बन रही थी बड़ी बड़ी टंकियों में ठंडाई भरी रखी थी।

 एक किनारे होली के कई पकवान सुंदर और करीने से सजे हुए रखे थे ,तभी फगुआ गाने वालों की टोली आती है । ठाकुर साहब उन्हें तखत की ओर इशारा करते हैं ।

तखत पर सफेद रंग की चादर बिछी हुई थी टोली के सभी सदस्य सफेद कुर्ता पजामा और रंग बिरंगी टोपिया लगाए  थे। ठाकुर साहब एकदम सामने सिल्क  का कुर्ता धोती पहने हुए थे। 

ठाकुर साहब सिल्क की सिर पर पगड़ी भी बाधे थे, एक बड़े से तखत पर दो मसलन  के बीच में ठाकुर साहब बैठे हुए थे, आने जाने वालों के लिए बड़े-बड़े तखत पर सुंदर-सुंदर चादर बिछी हुई थी ।


 अखंड और रुद्र प्रताप भी कुर्ता पजामा के साथ सिर पर साफा बांधे हुए दरवाजे पर आए मेहमानों का स्वागत करते हैं। इस समय सबको पता है कि कोई रंग किसी के ऊपर नहीं डालेगा इसीलिए सब नए और साफ कपड़े पहने हुए थे ।


ज्यादातर ने तो सफेद कपड़े पहन रखे थे अवनी ने अपनी नई ड्रेस पहनी नीले रंग के सलवार कुर्ते में उसका यौवन निखर कर सामने नजर आ रहा था। 

उसने अपने बाल खुले छोड़ रखे थे तभी ठकुराइन कहती हैं बाल बांध ले नहीं तो खाने पीने की चीजों में बाल गिर जाएंगे तो कोई खाएगा नहीं यह सुनकर अवनी थोड़ा मुंह बना कर अपने बालों में एक लंबी चोटी बना लेती है।


 और ठकुराइन से कहती है मां रुद्र भैया की पसंद कितनी अच्छी है नीलम भी ठकुराइन का दिया हुआ नया कपड़ा पहनती है 

।ठकुराइन ने तो सुर्ख लाल साड़ी उस पर खूब बड़ा सा जुड़ा बनाकर उसमें अपने पल्लू को टिका दिया था और खुद बाहर आकर ठाकुर साहब के बगल वाले सोफे पर बैठ जाती हैं।


 अखंड प्रताप की पत्नी कलावती तो नई नवेली दुल्हन ही थी तैयार होकर वह अपने कमरे में ही रहती है। बीच-बीच में अखंड प्रताप उसको जाकर झांक आते हैं

 ।और फिर बाहर आकर लोगों के स्वागत में लग जाते हैं ।कलावती भी आज बहुत सुंदर लग रही थी लोगों के आने का सिलसिला लगातार चलता रहता है 

।कुछ कुछ ने तो खाना भी खाया कुछ नाश्ते तक ही सीमित रहें कुछ ने तो सिर्फ एक लौंग लेकर ही अपनी उपस्थिति दर्ज कराई ,अवनी नीलम से कहती है मां ने राजीव को बुलया था।


 किंतु वह आया नहीं कहीं वह मेरी बात का बुरा तो नहीं मान गया? मैं मानती हूं कि मुझसे गलती हुई है ,किंतु अगर वह  बोल देता तो मैं  ऐसा क्यों करती ?

नीलम बोली नहीं ठाकुरों से कहां गलतियां कहा होती हैं ।गलतियां तो जनसाधारण से होती हैं। अवनी लज्जित होती हुई बोली बोल तो रही हूं गलती हो गई,



 बहुत कशमकश के बाद राजीव उठकर तैयार होता है। और मन ही मन यह तय करता है ,की वह अवनी से दूर -दूर हीं रहेगा क्योंकि उसके आसपास रहने से अवनी को दिक्कत होती है।

 और उसकी ओर तो  नजर उठा कर नहीं देखेगा क्योंकि वह अवनी के चेहरे पर दुख नहीं देख सकता था ।अपनी वजह से तो बिल्कुल भी नहीं। 

इसी कारण राजीव बहुत देर तक तैयार होकर बैठा था ।फिर केशव ने पूछा क्या हुआ बेटा तबीयत ठीक ना ,हो तो ना जाओ


 राजीव बोला बाबू तबीयत ठीक है। जाऊंगा लेकिन थोड़ी देर से जाऊंगा , अभी तो हवेली में बहुत भीड़ भाड़ होगी, केशव बोला इसी समय तो जाना चाहिए था ?

तमाम बड़े-बड़े रईस लोग आएंगे तुम उन सबको माला पहना देते, तो सब तुझे बक्शीश देकर जाते कितने पैसे इकट्ठे हो जाते।

 राजीव बोला लखन काका से मैंने आज सुबह ही बोल दिया था, अब तक तो वह माला लेकर हवेली माला पहनाने पहुंच भी गए होंगे??

 केशव बिगड़ कर कहता है। लखन को क्यों भेज दिया? तुम्हें सब को माला पहनाने में शर्म लग रही थी, राजीव कहता है ,बापू वह बात नहीं है थकान के कारण मेरे जाने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी ।

केशव बोला तो अब बाद में हवेली क्या लेने जाएगा? राजीव चुप रहता है राजीव की मां बोली तेरे बापू ठीक ही तो कह रहे हैं। ठकुराइन के बुलाने पर जाना तो था ही अगर पहले चला जाता तो चार पैसे की आमदनी भी हो जाती ।


त्यौहार ही तो हम लोगों की आमदनी का साधन है। राजीव कुछ बोलता नहीं और चुपचाप हवेली की ओर निकल पड़ता है। हवेली पहुंचने पर आधे से अधिक मेहमान जा चुके थे।


 ,सामने उसे अखंड प्रताप खड़े दिखे उसने जाकर उनके पांव छुए अखंड प्रताप उसे गले लगाते हुए अंदर जाने का इशारा करते हैं। राजीव भीतर घुसता है ।

।भीतर का दृश्य तो उसके लिए अकल्पनीय था जो शानो शौकत थी ,उसकी उसने कभी कल्पना ही नहीं की थी, बहुत बचपन में वह बापू के साथ एक आध बार ही आया था फिर उसके बाद अपनी पढ़ाई लिखाई में व्यस्त रहने के कारण वह कभी नहीं आया।


 ज्यादातर केशव ही आकर हवेली में सवेरे से रात तक फूल और फूलों से संबंधित सारा प्रबंधन करते थे, राजीव के लिए यह दृश्य एक ख्वाब जैसा लग रहा था। 


ठाकुर साहब ने राजीव को देखा तो कहा अरे भाई राजीव तुम भी कुछ खा लो राजीव ने हां में सिर हिलाया तभी ठकुराइन बोली नीलम उधर कमरे में है. 

 उससे जाकर उसकी पूजा के फूल पूछ लो नहीं तो वह गांव की अन्य लड़कियों के साथ इधर उधर कहीं चली जाएगी ।राजीव ने जी ठकुराइन कहकर अंदर की ओर प्रवेश किया राजीव के सामने फिर वही समस्या पैदा हुई कि वह किस ओर  जाए,, एक तो वह हवेली का रास्ता ज्यादा जानता नहीं था,।

  दूसरी अवनी से वह मन ही मन थोड़ा डरा हुआ था ।वह समझ नहीं पा रहा था कि किस ओर जाए तभी उसे अखंड प्रताप की पत्नी कलावती दिखाई दी,

 ।राजीव उनके निकट जाकर पूछता है ।भाभी नीलम का कमरा किधर है? कलावती राजीव को पहचानती नहीं थी, उसने पूछा आप कौन हैं? 

राजीव ने कहा हम सुबह माता के लिए माला लेकर आए थे  केशव माली के लड़के राजीव हैं ।कलावती को अचानक उसका चेहरा याद आ गया और बोली ओह हां सुबह मैंने आपको देखा था ।

।आप यही रुकिए मैं नीलम को आवाज देती हूं, राजीव वहीं रुक गया कलावती नीलम नीलम पुकारने लगी किंतु कोई उत्तर नहीं आया तब कलावती कहती है ।।

गोपाल भैया जाइए नीलम दीदी को कमरे से बुला लाइए कह दीजिए माली आया है, राजीव बोला भाभी आप कह दीजिए राजीव आया है ।तो भी वह समझ जाएगी ,,,


क्योंकि मैं और नीलम एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं। कलावती बोली गोपाल भैया कह दीजिए राजीव आया है। और अपने कमरे में चली जाती है। 

गोपाल जाता है नीलम और अवनी कमरे में बैठकर टीवी देख रही थी ।तभी गोपाल दरवाजा खटखटा ता है ,अवनी उठकर दरवाजा खोलती है और पूछती है क्या है? 

गोपाल बोला नीलम दीदी आपसे मिलने राजीव भैया आए हैं नीलम उठती है अवनी भी उसके साथ आती है किंतु नीलम कहती है तू यहीं बैठ मैं आती हूं वैसे भी वह मुझसे मिलने आया है तो मैं ही जाऊंगी।

 अवनी  चिढ़ जाती है। और कहती है जा मुझे जाना भी नहीं है। नीलम तेज कदमों से राजीव जहां खड़ा रहता है वहां आती है राजीव को देखते ही कहती है अच्छा हुआ राजीव तुम आ गए ।

कल मेरा उपवास है ,और मैं शंकर जी को सफेद फूल ही चढ़ाती हूं इसलिए हो सके तो सुबह-सुबह जल्दी सफेद फूल लेकर चले आना एक दो फूल मिलेगा तो भी कोई बात नहीं मैं चढ़ा दूंगी,,, 



राजीव बोला अगर रात में तोड़ लूं बासी फूल चलेंगे क्या? इस पर नीलम हंसने लगती है ,और कहती हैं अगर बासी फूल ही चढ़ाने होते तो फिर तुम्हें क्यों बुलवाती  

आज जो तुम फूल लेकर आए थे उसी में से एक दो फूल रख लेती, राजीव ने कहा तुम चिंता मत करो मैं सुबह तड़के ही तुम्हारे लिए फूल लेकर आ जाऊंगा 

फिर राजीव धीरे से नीलम से कहता है एक बात पूछनी थी, नीलम बोली पूछो राजीव कहता है क्या अवनी मुझसे नाराज है इस पर नीलम उसके भोले चेहरे को देखती है,और हंसते हुए कहती है ।

तुमने किया क्या जो कोई तुमसे नाराज होगा राजीव बोला वह उस समय में::: नीलम बीच में ही बात काट कर बोली तुम्हारी कोई गलती नहीं थी।

 तुमसे जहां जाने को कहा जाएगा तुम वहां तो जाओगे ही ना फिर इसमें तुम्हारी क्या गलती,गलती तो अवनी की थी जिसने बिना सोचे समझे तुम्हें गलत समझा,,,


 राजीव बोला उसमें उनकी कोई गलती नहीं अगर मैं उसी समय बता देता तो वह ऐसा क्यों कहती नीलम बोली मैंने बहुत प्यार करने वाले देखे लेकिन तुम्हारे जैसा नहीं यह सुनकर राजीव की नजरें नीचे हो जाती हैं।

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽ 🙏क्रमशः
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रचनाएँ
प्रतिउत्तर???
4.8
पारिवारिक साख प्रतिष्ठा मान मर्यादा और स्वयं की लज्जा एवं भीरुता के कारण जो मुद्दे समाज से अछूते रह गए उसका उत्तरदायी कौन ॽॽ ,अवनी , राजीव,या फिर उनका परिवेश संस्कार या आधुनिकता के बहाने सिनेमा घरों में परोसी गयी अश्लीलता जो रिश्तो के तानो बानो को बुनने में असमर्थ हैं।सबका उत्तरदायी कौन ॽ
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कभी-कभी मन ऐसे द्वंद में फस जाता है, कि सारी बौद्धिकता धरी की धरी रह जाती है ।यही स्थिति आई होगी विश्वामित्र के सामने जब उन्होंने मेनका को पहली बार देखा होगा ,?? तप तो भंग होना ही था । जब वैदिक क

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प्रत्येक व्यक्ति समाज में बने एक सामाजिक अनुशासन में जीवन व्यतीत करता है ।जो इस सामाजिक अनुशासन से थोड़ा भी अलग होने की कोशिश करता है ,समाज उसको अपने से अलग कर देता है। ,सदियों से ऐसा होता है, या

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क्या हम प्रेम को परिधि मे बांध सकते हैं। यदि हां तो उसका मानक क्या होना चाहिए ?क्या कोई सच्चा प्रेम परिधि का गुलाम है, अथवा जो प्रीत की सीमाओं को तोड़ दे वही सच्चा प्यार है। मयंक के घर चले जाने क

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प्रत्येक मनुष्य कभी न कभी कोई न कोई गलती अवश्य करता है किंतु कुछ गलतियां छम्य में होती है तथा कुछ अछम्य,,,,, राजीव ने भी ऐसी कोई गलती की नहीं थी जितना उसके विषय में अवनी और राजीव दोनों सोच

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5 जुलाई 2023
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9 जुलाई 2023
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अवनी का रेहान को थप्पड़ मारना,,,

11 जुलाई 2023
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प्रत्येक व्यक्ति के मन में हर किसी के लिए अलग-अलग भाव होता है। उस भाव का अनुभव उसके दिमाग में बनी हुई उसकी छवि के आधार पर होता है, जिस व्यक्ति की छवि दिमाग में जैसी बन जाती है, उसके प्रति व्यक्ति

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रेहान का असली चेहरा सबके सामने ,,,,,,,

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स्वभाव एक ऐसी मानसिक प्रवृत्ति है जो कभी बदलती नहीं हां कुछ क्षण कुछ कुछ पल या फिर कुछ दिनों तक व्यक्ति इसको बदलने की कोशिश कर सकता है। किंतु व्यक्ति का स्वभाव कहीं ना कहीं सबके समक्ष प्रकट हो ही

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अवनी का हास्टल वापस आना,,,

14 जुलाई 2023
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जहां चाह होती है, वहां राह वाली बात तो हम सब जानते हैं, किंतु अवनी के साथ तो जहां चाहत थी ,उसको वही जाने का रास्ता भी मिल गया, उसे रास्ता ढूंढना नहीं पड़ा बल्कि रेहान ने खुद ही दे दिया, रेहान की

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अवनी को लेकर नीलम कन्फ्यूज,,,,

14 जुलाई 2023
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जब व्यक्ति गुस्से में होता है तो सबसे पहले उसका स्वविवेक मर जाता है। और अक्सर वह गलत निर्णय ले लेता । क्योंकि जब वह गुस्से में होता है , तो सारी इंद्रियां उसकी क्षण भर के लिए इतनी वेगवान हो

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अवनी का मयंक से मिलना,,,,

15 जुलाई 2023
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कभी-कभी व्यक्ति करना कुछ चाहता है ।और हो कुछ और ही जाता है उसे समझ ही नहीं आता कि यह कार्य उसे करना चाहिए??? था कि नहीं करना चाहिए था, यह ज्यादातर चरितार्थ होता है, प्रेम या प्यार के संदर्भ

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अवनी का राजीव के प्रति आकर्षण,,,,,

16 जुलाई 2023
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संकल्प और विकल्प मन के ही दो भाव है, इसलिए मन को भगवान ने निर्णय लेने की क्षमता नहीं दी है, उस कार्य के लिए भगवान ने बुद्धि को नियुक्त कर दिया प्रेम बुद्धि कि नहीं मन की चीज है, इसलिए प्रेम

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अवनी राजीव की दीवानी,,

16 जुलाई 2023
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प्रेम में कुछ कर गुजरने की इच्छा बढ़ती जाती है, व्यक्ति जब तक सोचने समझने की स्थिति तक पहुंचता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ।चीजें उसके हाथ से निकल चुकी होती है ,और हाथ मलने के सिवा उसके पास और

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अवनी राजीव में परस्पर प्रेम,,,

17 जुलाई 2023
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प्रेम एक एहसास है जिसे सिर्फ करने वाला ही समझ सकता है ,प्रेम में व्यक्ति सामने वाले की भावनाओं को इतनी बखूबी से समझता है, ।जितना कि वह स्वयं के विषय में भी नहीं जानता होगा, एक प्रेमी और एक सफल व्यक्ति

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परीक्षा का परिणाम,,,

18 जुलाई 2023
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हर किसी के जीवन में परीक्षाएं तो आती जाती रहती है, किन्तु जो इन परिक्षाओं को जो पार कर लेता है ।वहीं सफ़लता प्राप्त करता है,और जो इन्हें नहीं पार कर पाता वह असफल हो जाता है, सफलता और असफलता के बी

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अवनी की कशमकश,,,,

19 जुलाई 2023
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परीक्षाफल जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है, परीक्षा फल से व्यक्ति का व्यक्तित्व निखार कर सामने आता है, सोचिए अगर परीक्षा फल ना हो तो व्यक्ति उस कदर मेहनत कर पाएगा ???जिस तरह उसे मेहनत करनी च

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पार्टी के लिए मनाना,,,,

19 जुलाई 2023
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प्रेम एक ऐसा एहसास है, जिसमें व्यक्ति दूसरों के किए गए कार्य को छुपाने का भरसक प्रयास करता है भले ही वह कार्य उसने न किया हो, किंतु जिसे वह चाहता है, उसकी हर इच्छा को पूरा करना ही वह अपने जीवन का ध्ये

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मन की बात मानना ,,,,,,,,,

20 जुलाई 2023
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"एक नशा एक जुनून एक पागलपन" अपने प्यार में सब कुछ खो देने की चाहत यही तो प्रेम का स्वरूप है। ,जिसके आगे माता-पिता समाज सभी को झुकना ही पड़ता है, अवनी और राजीव का प्रेम भी अब समर्पण के मोड़

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नजदीकियां,,,,,,

21 जुलाई 2023
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समाज में जब किसी चीज की अधिकता हो जाती है तो समाज उसे अपनाने लगता है, क्योंकि वह चलन में आ जाती है। और जो चीज चलन में आ जाती है उसी का प्रचलन हो जाता है ।और जो चीज चलन में नहीं आई रहती वह समाज क

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आग का धुआं,,,,,,,

22 जुलाई 2023
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अब दुनिया की परवाह नहीं जब इस स्थिति प्रेम में आ जाए तो समझ लीजिए कि प्रेम में वह ताकत पैदा हो गई जो किसी से भी लड़ सकने में समर्थ है और अपने आगे किसी को भी झुकाने की ताकत रखने लगी है, आगे बढ़ते

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अंजाम की शुरुआत,,,,

23 जुलाई 2023
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यह जरूरी तो नहीं कि प्रत्येक प्रेम अपनी पराकाष्ठा को प्राप्त ही करें, ज्यादातर मामलों में देखा गया है की प्रेम कभी भी अंजाम की चिंता किए बिना बढ़ता चला जाता है। क्योंकि अगर अंजाम की चिंता क

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राजीव की पिटाई,,,,,,

23 जुलाई 2023
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कभी-कभी व्यक्ति जानबूझकर आग में कूद जाता है उसे पता तो होता है कि आग में कूदने पर हम जल जरूर जाएंगे किंतु वह कूदता जरूर है ।प्रेम के विषय में भी यही हम कह सकते हैं कि जिस समय व्यक्ति को प्रेम हो

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बदला स्वरूप

24 जुलाई 2023
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कभी-कभी व्यक्ति के सामने जो चीज जैसी दिखाई देती है, वह उसको उसी रूप में ग्रहण करने लगता है । उसे यह जरा भी समझ नहीं आता कि परिस्थितियों को बदलने में समय नहीं लगता, अवनी के सामने सारी चीजें उसी र

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ठाकुर साहब का समर्थन,,,,

25 जुलाई 2023
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कभी कभी हमारी आंखों के सामने बहुत सारी चीजें होती रहती हैं। किंतु वह हमको उसी रूप में परिलक्षित नहीं होती जिस रूप में वह होती है, वह हमें दिखाई तो कुछ और देती हैं, लेकिन होती कुछ और है । जा

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ठाकुर साहब का समझौता,,,,,

26 जुलाई 2023
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कुछ चीजें कहने में भले ही आसान हो किन्तु उसको करना उतना ही मुश्किल होता है। उसको करने में व्यक्ति को जिन जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह तो उस व्यक्ति का मन ही जानता है, कि वह किन

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अवनी राजीव का फैसला,,,

27 जुलाई 2023
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कभी-कभी हम कुछ चीजें अपने मन में सोच लेते हैं, कि हम उसको पूरी तरह से कर लेंगे किंतु कुछ ऐसी परिस्थितियां और कुछ ऐसे कारण आ जाते हैं जिनकी वजह से हम उन चीजों को पूर्ण करने में असमर्थ हो जाते हैं।&nbsp

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केशव की मृत्यु,,,,

28 जुलाई 2023
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राजीव के बहुत बार कहने पर ठाकुर साहब ने डॉक्टर से बात की डॉक्टर ने कहा जी ठाकुर साहब मैं अभी तुरंत आता हूं, ठाकुर साहब ने राजीव को यह बताया कि डॉक्टर साहब आ रहे हैं तुम घर पहुंचो हो सकता है उसके थोड़

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राजीव का दुःख,,,,,

29 जुलाई 2023
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राजीव अपने बापू से बहुत प्रेम करता था ,उसकी मां की मृत्यु के बाद केशव ने उसको किसी चीज की कमी नहीं महसूस होने दी ।भले ही केशव ने दूसरा विवाह किया किंतु राजीव के साथ उसने हमेशा न्याय किया उसने अपनी दूस

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अवनी का फोन,,,,,

30 जुलाई 2023
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गांव वालों की मदद से और ठाकुर साहब के सहयोग से केशव का अंतिम संस्कार हो जाता है लेकिन राजीव बहुत दुखी रहता है, रह रह कर उसको अपने बापू की याद आती रहती है, बचपन से लेकर बड़े तक की सारी यादें

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मयंक से मिलना,,,,,

30 जुलाई 2023
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जब व्यक्ति बहुत दुखी होता है तो वह किसी चीज की परवाह नहीं करता ,दुखी व्यक्ति के लिए समाज परिवार मान मर्यादा किसी चीज की कोई अहमियत नहीं रह जाती। क्योंकि उसका दुख उसे इन सब चीजों की तरफ ध्यान देने

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मयंक का खुलासा,,,

31 जुलाई 2023
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कभी-कभी हम अपने मन की बात चाह कर भी सामने वाले को नहीं समझा पाते, जबकि कि हम उसके व्यवहार और उसके स्वभाव से भलीभांति परिचित होते हैं। ,फिर भी हम अपने मन की बात उससे नहीं कह पाते राजीव और अवनी के

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द्वंद्व,,,,

1 अगस्त 2023
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जीवन में कभी ऐसे पल भी आते हैं जब हम ना चाहते हुए भी अपराध या गलतियां कर देते हैं। वह गलतियां तब तक गलतियां रहती हैं जब बात बहुत आगे नहीं बढ़ती, किंतु जब बात बहुत आगे बढ़ जाती है, तो वही गलती एक

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एक कमरे में अवनी, राजीव

2 अगस्त 2023
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यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य को अंजाम अपने मन मुताबिक देना चाहता है ,तो वह उसे भगवान की मर्जी ईश्वर की इच्छा मान लेता है ।जबकि उसमें ना तो भगवान की मर्जी होती है ना ही ईश्वर की इच्छा वह उसकी स्वयं की म

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बात फैल गई,,,,,

3 अगस्त 2023
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राजीव के कमरे से निकलकर अवनी और नीलम सीधे हॉस्टल की ओर चली जाती है नीलम बहुत तेज कदमों से चलती रहती है ।अवनी नीलम से कहती है नीलम थोड़ा धीरे चलो नीलम ने कहा मैडम हमें आए कितना देर हुआ शायद आपको

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ज़िद और जुनून,,,,,

4 अगस्त 2023
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जब व्यक्ति किसी कार्य को करने के लिए तत्पर हो जाता है तो उसके अंदर जो जुनून पैदा होता है, वही जुनूनियत उसकी जिद कब बन जाती है इसका उसे पता ही नहीं चलता, और वही जिद उस को सफल बनाने के लिए सहायक ह

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सामाजिक सोच,,,,,

5 अगस्त 2023
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क्या मान मर्यादाए एवं सामाजिक प्रतिष्ठा एक दिमागी सोच का नतीजा होती है? जो पीढ़ी दर पीढ़ी इस विरासत को आगे ले जाती है या फिर सचमुच यह व्यक्ति के आत्मसम्मान को बढ़ाती हैं, ?एक ऐसा आत्मसम्मान जि

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ठाकुर साहब की योजना,,,

6 अगस्त 2023
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व्यक्ति के मन और मस्तिष्क पर उसके आसपास की घटनाओं और सामाजिक परिवेश का उतना ही प्रभाव पड़ता है, जितना की सामने वाले के समझाने का ,जिस प्रकार किसी सशक्त वक्ता का सामने वाले के मन मस्तिष्क पर पूरा तो नह

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सामाजिक सोच हावी,,

6 अगस्त 2023
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कभी-कभी व्यक्ति के दिमाग में कुछ और और मन में कुछ और चलता रहता है। जो किसी भी प्रकार से किसी को परि लक्षित नहीं होता ,किंतु उसके मन और मस्तिष्क का जो द्वंद होता है उसके चेहरे पर साफ स्पष्ट नजर आने लग

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पूजा में आना,,,,

7 अगस्त 2023
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जब हमारे साथ कुछ बड़ा होने वाला होता है तो उसकी रूपरेखा पहले से ही निर्धारित हो जाती है। हमारा मन उस अनजाने संकट से भले ही निपटने के लिए तैयार ना रहता हो किंतु कहीं ना कहीं उस संकट को भाप अवश्य लेता

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रुद्र की नाराज़गी,,,,,

8 अगस्त 2023
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जब व्यक्ति किसी को सच्चे मन से चाहने लगता है तो उसको उसकी सारी गलतियां सही लगने लगती हैं ।वह उसके प्रेम में इतना अंधा हो जाता है कि उसे उसकी गलतियां या तो नजर नहीं आती है ।या फिर वह जानबूझकर उन्हें नज

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भव्य आयोजन,,,,

8 अगस्त 2023
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कभी-कभी जब व्यक्ति का मन सशंकित होता है, तो उसके मन में अलग-अलग विचार आने लगते हैं वह यह नहीं समझ पाता यह विचार उसके मन में क्यों आ रहे हैं, भगवान प्रत्येक व्यक्ति को एक आहट जरूर देते हैं, ।कुछ व्य

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अवनी की मृत्यु,,,,,

9 अगस्त 2023
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बड़ी-बड़ी हवेलियों में जो हमें दिखाई देता है ,क्या वही सच होता है ?ऐसा नहीं है ,सच का स्वरूप तो कुछ और ही होता है जो कभी किसी को नजर ही नहीं आता और ना ही कोई जान पाता है। सच आम व्यक्ति के समझ से

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शोक की लहर,,,,,

9 अगस्त 2023
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शोक एक ऐसा शब्द है जो अपने आप में एक भीतर की दबी हुई कसक और अंतर मन की वेदना को व्यक्त करता है जिसमें व्यक्ति दुख पराकाष्ठा को प्राप्त कर लेता है। वह भाव वह ना तो किसी को बता सकता है ना ही समझा

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चिरनिंद्रा,,,

9 अगस्त 2023
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अवनी की मृत्यु का गुनाहगार कौन ॽ यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ था हर किसी के लिए, क्योंकि मनुष्य एक विचारशील प्राणी है उसके मन में एक ही व्यक्ति के लिए कई प्रकार के विचार आते जाते रहते हैं ,इसी कारण से कु

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रिक्त स्थान,,,,

9 अगस्त 2023
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जब किसी से अचानक कोई चीज छिन जाती है, तो वह रिक्त स्थान भरने में बहुत समय लगता है, कभी-कभी तो भर ही नहीं पाता किन्तु कभी कभी व्यक्ति समझौता करके आगे बढ़ जाता है। मन के किसी कोने में कहीं ना कहीं

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परिस्थितियां,,,

10 अगस्त 2023
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कभी-कभी परिस्थितियां स्पष्ट रूप से हमें जैसी दिखाई देती है वैसे नहीं रहती उनमें बहुत अंतर रहता है किंतु वह हमें ज्यादातर उसी रूप में दिखाई देती है । जिस रूप में हम उन्हें देखना चाहते हैं। राजीव

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चर्चाएं,,,,,,

10 अगस्त 2023
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समाज में कोई भी हो वह चर्चा का विषय तब तक बना रहता है जब तक कि वह लोगों के समीप, आसपास या फिर स्मृति में रहता है ।किंतु कुछ समय पश्चात लोगों को कोई और ही मुद्दा मिल जाता है जिससे वह चर्चा समाप्त हो जा

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गायब होना,,,,,,

10 अगस्त 2023
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कभी-कभी कुछ चीजें किसी परिपेक्ष में हमारे लिए सही होती हैं ,और वही किसी दूसरे व्यक्ति के लिए गलत ऐसा कैसे हो सकता है ?एक मानक पर कोई व्यक्ति सही हो और उसी मानक पर दूसरा व्यक्ति गलत कैसे हो सकता है ?कि

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राजीव कहां है,,,,

10 अगस्त 2023
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कुछ चेहरे समाज में बहुत ही मान सम्मान और मर्यादा के सूचक होते हैं किंतु, क्या सचमुच उनमें वह सारे गुण पाए जाते हैं ?जो हमारी मानवीय संस्कृति के लिए यथोचित हैं l ठाकुर साहब को पूरा गांव देवता की तरह पू

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परिस्थितियां ऐसी बनी,,,,

10 अगस्त 2023
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कभी-कभी परिस्थितियां हमें अपने हिसाब से नचाती रहती है और हम नाचते रहते हैं। उस समय हमें वही सही लगता है जो परिस्थिति हमसे करवाना चाहती है इसीलिए तो मनुष्य को परिस्थितियों का दास कहा जाता है कुछ अनूठे

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अतीत की यादें

10 अगस्त 2023
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अतीत हमारी स्मृतियों में हमेशा जीवित रहता है। कभी-कभी हम विचारों में ऐसा खो जाते हैं की कई युगों तक के विचार अपने मन मस्तिष्क में ला देते हैं ।जिसके कारण बहुत देर तक हम अपने वास्तविक जीवन को छोड़कर ए

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समाप्त 🙏

11 अगस्त 2023
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यह बड़ी-बड़ी हवेलियांअपनी मर्यादाओं का पालन करती रहेगी तो फिर , अवनी और राजीव जैसे लोगों की मन की भावना और चीखे ऐसे ही दबकर रह जाएंगी। मान मर्यादाएं क्या अपनी संतानों से बढ़कर हैं ?अगर बदला

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