बड़ी-बड़ी हवेलियों में जो हमें दिखाई देता है ,क्या वही सच होता है ?ऐसा नहीं है ,सच का स्वरूप तो कुछ और ही होता है जो कभी किसी को नजर ही नहीं आता और ना ही कोई जान पाता है।
सच आम व्यक्ति के समझ से काफी परे होता है वह तो उसकी सोच से भी आगे होता है अवनी को गोद में लिए अखंड प्रताप अपनी जीप की ओर भागते हैं, रूद्र प्रताप तुरंत गाड़ी स्टार्ट करते है ,
थोड़ी देर के बाद रुद्र और अखंड अवनी को लेकर हॉस्पिटल पहुंच जाते हैं, डॉक्टर के पास पहुंच कहते हैं डॉक्टर साहब देखी मेरी बहन को क्या हो गया ??
खाना खाते खाते अचानक से गिर गई डॉक्टर तुरंत अवनी को एडमिट करने के लिए कहते हैं और उन्हीं को एडमिट करके रुद्र प्रताप और अखंड प्रताप ऑपरेशन थिएटर के बाहर खड़े हो जाते हैं !
अंदर डॉक्टर अवनी का चेकअप करते रहते हैं और 10 मिनट बाद डॉक्टर साहब बाहर निकल कर कहते हैं I am sorry हम मरीज को बचा नहीं सके इतना सुनते ही दोनों भाइयों के पैरों तले जमीन खिसक जाती है उन्हें लगता है मानो डॉक्टर साहब झूठ बोल रहे हो उन्हें तो अपने कानों पर विश्वास ही नहीं होता कि ऐसा कुछ हो सकता है।
रूद्र प्रताप व्याकुल होकर तेजी से रोने लगते हैं, अखंड प्रताप उनको पकड़ कर कहते हैं यह क्या हो गया? हमारे साथ इतना गलत कैसे हो सकता है ?हमारी एक ही तो बहन थी उसे भगवान कैसे छीन सकते हैं, ?
अब हम बाबा से क्या कहेंगे बाबा तो अवनी को सबसे ज्यादा प्रेम करते थे वह यह सदमा कैसे बर्दाश्त कर सकेंगे? तभी अखंड प्रताप के मोबाइल पर ठाकुर साहब का फोन आता है।
अखंड फोन उठाते हैं उधर से ठाकुर साहब कहते हैं कैसी तबीयत है अवनी की ?अखंड प्रताप रो देते हैं ठाकुर साहब समझ जाते हैं कि अब अवनी इस दुनिया में नहीं है।
चुपचाप अपना सिर पकड़ कर बैठ जाते हैं, तभी ठकुराइन पास आती हैं और पूछती हैं क्या कहा अखंड ने ?कैसी तबीयत है अवनी की, ?ठाकुर साहब की आंखों की ओर देखकर ठकुराइन घबरा जाती हैं।
और पूछती है बताइए ना क्या हुआ ठाकुर साहब बस इतना ही कह पाए कि अवनी अब इस दुनिया।।।।।।।। में इतना सुनते ही ठकुराइन का मानो कलेजा फट जाएगा चीख चीख कर रोने लगती हैं ।
उनके रोने की आवाज से कलावती दौड़ कर आतीहैं, किसी से कुछ पूछे बिना वह दृश्य देखकर कलावती समझ जाती है कि अब अवनी इस दुनिया में नहीं है।
वह ठकुराइन को पकड़कर ढ़ाढस बंधाने की कोशिश करती है लेकिन ठकुराइन को तो मानो होश ही नहीं था अपनी छाती पीट-पीटकर रोती और कहती हैं अभी तो ठीक थी मेरी बच्ची अचानक से क्या हो गया ,?
रोने पीटने की आवाज सुनकर धीरे-धीरे गांव के लोग भी एक एकत्र होने लगते हैं, थोड़ी देर में जो भीड़ वापस गई थी वही भीड़ ठाकुर साहब की हवेली के दरवाजे पर वापस हो आती है।
अंतर सिर्फ इतना था उस समय वह भीड़ देखकर ठकुराइन और ठाकुर साहब मंत्रमुग्ध थे और इस समय यह भीड़ देखकर उनका कलेजा फट रहा था, ।
जी में आ रहा था आज कितना रोए, भीड़ में भी तरह-तरह की आवाजें आ रही थी क्या हुआ ?कोई बीमारी थी ?या फिर कुछ और कोई कुछ बताने की स्थिति में नहीं था ।
और किसी के पूछने की हिम्मत नहीं थी कुछ देर बाद अखंड प्रताप अवनी का शव गोद में लिए जीप से उतरे उनकी आंखें तो मानो पथरा गई हो।
बस चुपचाप अवनी की ओर देखते हुए उनकी आंखों से अनायास आंसू की धाराएं बह रही थी रूद प्रताप चीख चीख कर बस यही कह रहा था मैंने तो अवनी से बात ही नहीं की मुझे तो अभी बहुत कुछ कहना था।
उससे उसे भी तो मुझसे बहुत कुछ कहना था क्यों उसने मौन धारण किया हमेशा हमेशा के लिए ना मैं उससे कुछ कह पाया ना वह मुझसे शायद मैं ही गलत था ।
मैं उसको समझ ही नहीं पाया हवेली की इस स्थिति को संभालन किसी के बस की बात नहीं थी अखंड प्रताप अपने हृदय में पत्थर रखकर उठते हैं ।
और अपनी मां के पास आकर उनके सीने से लिपट कर एक दर्द भरी चीख के साथ रोने लगते हैं ऐसा मार्मिक दृश्य कोई बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था ।
किसी से देखा नहीं जा रहा था ठाकुर साहब उठ कर अवनी का शव अपनी गोद में ले लेते हैं ,हालांकि उन्हें ऐसा करने से हर कोई रोक रहा था लेकिन ठाकुर साहब नहीं माने थोड़ी देर तक अवनी के शव को लिए एकटक देखते रहते हैं।
हर किसी के मन में बस एक ही सवाल था कि आखिर अवनी को हुआ क्या था अभी तो अच्छी भली पूजा में बैठी थी उसके बाद मेहमानों के साथ हंस बोल रही थी दौड़ दौड़ के सारे काम कर रही थी।
फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उसके प्राण ही निकल गए, नीलम को तो जैसे कुछ समझ ही न आ रहा हो बुत की तरह एक किनारे खड़ी रोती रहती है।
कुछ देर पश्चात ठाकुर साहब ने देखा जिस हॉस्पिटल में अखंड प्रताप अवनी को ले गए थे वहां के डॉक्टर खड़े रहते हैं। डॉक्टर साहब को देखते ही ठकुराइन जोर से चिल्लाते हुए कहती हैं।
क्या हुआ था मेरी बेटी को ?जो आप भी ना बचा पाए डॉक्टर साहब कुछ बोलते उसके पहले ही ठाकुर साहब उठ कर डॉक्टर साहब के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें अपने साथ बाहर की ओर ले जाते हैं ।
और डॉक्टर साहब से कहते हैं क्या हुआ था डॉक्टर साहब मेरी बेटी को आपको तो पता ही चल गया होगा डॉक्टर साहब बोले जी हां हमें तो लगता है शायद उनके खाने में जहर था ।
ठाकुर साहब आश्चर्यचकित होते हुए बोले जहर यह कैसे हो सकता है? वही खाना तो हम सब लोग खा रहे थे फिर खाने में जहर कैसे हो सकता है ?डॉक्टर साहब बोले अगर जहर नहीं था तो फिर food poisoning भी शायद हो सकती है?
लेकिन अवनी के मुंह से निकले झाग से साफ पता चलता है की खाने में जहर ही था अब तो ठाकुर साहब और तेजी से चिल्लाते हुए कहते हैं किसने दिया मेरी बेटी को ज़हर ऐसा कहकर ठाकुर साहब गिर पड़ते हैं।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे प्रतिउत्तर ॽॽॽ 🙏 क्रमशः