अच्छाइयां और बुराइयां व्यक्ति के मन में हमेशा रहती है जो जिस गुण को ज्यादा अपनाता है। उसकी प्रवृत्ति उसमें अधिक हो जाती है,
मनुष्य के जीवन में बुराइयों का होना भी उतना ही जरूरी है जितनी की अच्छाइयों का वरना लोग हमेशा उस व्यक्ति का जिसमें अच्छाइयां ज्यादा होती है।
इस्तेमाल करने लगते हैं। उधर अवनी अपने कमरे में टहलती रहती है। और मन ही मन नीलम पर गुस्सा होती है कि मुझे अपने साथ नहीं ले गई वरना मैं राजीव को सॉरी बोल देती राजीव नीलम से बात करने के बाद बाहर बैठक में आता है ठकुराइन उसे खाना खाने के लिए कहती है वह किनारे खड़ा हो चुपचाप खाना खाता है और फिर हवेली से निकलकर जाने लगता है कभी ठकुराइन पीछे से कहती हैं नीलम ने जो फूल मंगाया है जल्दी लेकर आ जाना सुबह राजीव जी ठकुराइन कहता है। और प्रणाम करके अपने घर की ओर चल देता है। घर आने के बाद राजीव बेचैन सा हो जाता है उसे लगता है हवेली तक गया और अवनी को देख भी नहीं पाया फिर मन ही मन सोचता है। जाने दो कल सुबह आऊंगा तब देख लूंगा किंतु दूर से ही देख लूंगा मेरे आस-पास रहने पर अवनी को परेशानी होती है। राजीव सो जाता है। सुबह जल्दी उठकर राजीव बगीचे में जाता है और खूब ढ़ेर सारे सफेद फूल तोड़ लेता है उन्हें लेकर हवेली जाने को तैयार होता रहता है। तभी राजीव की मां कहती है इतने सारे फूल ले जाना है, हवेली राजीव बोला नहीं मां थोड़े ही मंगाए थे किंतु मैंने तोड़ लिया है तो लेकर जाता हूं शंकर जी पर चढ़ जाएगा राजीव की मां बोली और रख दो मै इनकी माला बनाकर बाजार में बेच दूंगी वैसे ही तेरी बापू की बीमारी के कारण हाथ थोड़ा तंग है। राजीव ने चुपचाप थोड़े से फूल लिए और हवेली की ओर तेज कदमों से बढ़ गया उसे लग रहा था कहीं उजाला ना हो जाए और पूजा का समय निकल जाए हवेली पहुंचकर राजीव घर के नौकर गोपाल से पूछता है। कि यह फूल कहां रख दूं गोपाल बोला अच्छा हुआ राजीव भैया तुम आ गए अभी-अभी नीलम दीदी मंदिर की ओर गई हैं, तुम वही जाकर उनको यह फूल दे दो राजीव पूछता है कल जिस मंदिर में गए थे उसी में गोपाल बोला हां हां वही कुल देवी के मंदिर में, अब राजीव जल्दी-जल्दी थोड़े और तेज कदमों से मंदिर की ओर जाता है। जो की हवेली के अंदर ही था, इधर नीलम के साथ अवनी भी पूजा देखने आई थी, आज सुबह-सुबह उठ कर नहा धोकर नीलम के साथ पूजा की तैयारियों में लगी थी राजीव मंदिर पहुंच जाता है देखता है नीलम जमीन पर पलथी मार कर आंख बंद किए बैठी है। राजीव फूल लेकर मंदिर के अंदर आता है ,तभी उसे सामने अवनी खड़ी दिखाई देती है ,अवनी को देखते ही मानो वह सब कुछ भूल गया अवनी उसे किसी साक्षात देवी से कम न लग रही थी, राजीव अपलक उसे देखता रहता है। अवनी की नजरें जब राजीव की नजरों से मिलती हैं तो उसे एक अजीब सा एहसास होता है। जो उसने कभी महसूस नहीं किया था राजीव से तो वह कई बार मिली थी किंतु उसे ऐसा एहसास उसे कभी ना हुआ था। तभी राजीव फूल लेकर नीलम के समीप खड़ा होता है और कहता है, नीलम फूल आ गए नीलम अपनी आंखें खोलती है और राजीव के हाथ से फूल ले लेती है। राजीव जाने लगता है तो नीलम कहती है बैठ जाओ पूजा खत्म हो जाए तो प्रसाद लेकर जाना राजीव एक अजीब सी उलझन में था यहां बैठ ना मेरा उचित है कि नहीं फिर सोचता है, भगवान का घर है। बिना प्रसाद लिए जाना भी उचित नहीं है, फिर नीलम से मैं क्या कह कर जाऊं झूठ बोलकर जा नहीं सकता बैठ जाता हूं, राजीव बैठ गया और अवनी भी बैठ जाती है। थोड़ी देर के बाद नीलम आरती क़रती है और आरती गुनगुनाने लगती है - "ऊं. जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे'। "भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करें'। कहती हुई गा गाकर आरती करने लगती है उसके साथ अवनी भी 'ओम जय जगदीश' गाती है दोनों के स्वरो में इतनी मधुरता थी कि राजीव आंख बंद करके मंत्र मुग्ध होकर सुनता रहता हैl आरती खत्म हो जाती है, आरती का थाल नीलम भगवान के आगे पहले दिखाती है उसके बाद अवनी के सामने करती है अवनी सिर् पर दुपट्टा रखे दोनों हाथों से आरती माथे तक लगाती है, फिर वह राजीव के सामने करती है। राजीव दोनों हाथों से आरती लेकर भगवान के सामने सिर झुका देता है, और भगवान से मांगता है "भगवान मेरे कारण कभी अवनी को कोई दुख ना हो", आरती के पश्चात नीलम, अवनी और राजीव दोनों को प्रसाद देती है। प्रसाद लेकर राजीव कहता है अब हमें चलना चाहिए वैसे भी काफी देर हो गई है। अवनी राजीव से उस दिन की बात के लिए माफी तो मांगना चाहती थी, किंतु ना जाने क्यों राजीव से नजर मिलने के बाद वह एकदम शरमा सी गई थी उसकी राजीव से बात करने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी, अपने मन ही मन सोच रही थी जाने क्या हो गया हमें मैं राजीव से कह क्यों नहीं पा रही हूं, कि उस दिन मुझसे गलती हो गई, राजीव जाने लगता है मंदिर से नीचे उतर कर वह चप्पले पहनता रहता हैl अवनी उसको एकटक निहारती रहती है चप्पल पहनते समय राजीव की नजर्रे अवनी की नजरों से मिल जाती हैं । अवनी थोड़ा झेंप जाती है, और अपनी निगाह को इधर-उधर घुमा लेती है। जैसे मानो कहीं और ही देख रही हो किंतु राजीव को उसकी उस नजर का एहसास हो जाता है ,वह समझ जाता है यह उसी की ओर देख रही थी, किंतु चुपचाप वहां से चला जाता है। उसके जाने के बाद नीलम और अवनी हवेली में आती हैं,नीलम सबको प्रसाद देती है और अवनी को सुबह-सुबह नहाया हुआ देखकर ठाकुर साहब खुश होकर कहते हैं ।
अरे वाह !!हमारी बिटिया बड़ी हो गई बिना किसी के जगाए नहा धोकर भगवान के मंदिर में पूजा करके वापस आ गई ठकुराइन बोली बिटिया नहीं बड़ी हो गई यह हॉस्टल में रहने के कारण उसके अंदर जिम्मेदारी आ गई ठाकुर साहब मुस्कुरा दिएl
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽॽ क्रमशः