वह कहते हैं ना, इश्क छुपाए नहीं छुपता वो तो नजर आ ही जाता है ।खुद को आए ना आए दूसरों को समझ आने लगता है।
, कुछ ऐसी ही हालत राजीव की हो रही थी, गांव के लोग सोच रहे थे, कि बेचारे के बापू की तबीयत ठीक न होने के कारण इसकी यह दशा हुई है।
कुछ कारण तो यह भी था। किंतु मुख्य कारण तो अवनी ही थी राजीव के दिलो-दिमाग में चौबीस घंटे अवनी का चेहरा घूमने लगता वह पूरी कोशिश करता उससे निकलने की किंतु ऐसा कर ना पाता
,हमेशा खोया खोया बुझा- बुझा सा चेहरा रहता, आंखें तो ऐसी रहती मानो रात भर सोई ही न हो,मन तो बस यही चाहता, कि किसी बहाने हवेली जाना हो,
और बस एक बार अवनी को देख ले तभी राजीव की मां आती है। और कहती हैं, कि आज होली का त्यौहार है। थोड़ी देर बाद हवेली चले जाना तुम्हारे बापू तो भोर होते ही ढेर सारी फूलों की मालाएं बनकर ले जाया करते थे,
पहली माला हवेली की कुलदेवी की होती जो बड़ी सफाई से तेरे बापू बनाते उसके लिए हफ्तों पहले फूल एकत्रित कर लिया करते थे। ठाकुर साहब की लाल फूलों की माला होती थी ,
लाल रंग के फूलों की माला ठाकुर साहब को बहुत भाती है ।बाकी हवेली के अन्य सदस्यों की अलग-अलग फरमाइशें होती थी, जो बचे फूल होते थे, उन्हें भी हवेली पहुंचा दिया जाता था
, उसी से बाद में ठकुराइन होली खेलती थी ।दिन रात मेहनत करके तेरे बापू को जो खुशी और संतोष मिलता वह उनके चेहरे से झलकता रहता था।
तभी खांसने की आवाज आती है, मां बोली बेटा जाकर देखो तुम्हारे बापू लगता है ,कि जग गये है ।उन्हीं से पूछ लो क्या करना है।
राजीव और उसकी मां दोनों माली काका के पास समीप जाते हैं माली काका खासते हुए धीरे से उठ कर बैठ जाते हैं। और कहते हैं,बेटा तुम लखन चाचा के यहां चले जाओ इतना कहकर वह फिर जोर जोर से खांसने लगे,,,,
राजीव हाथ का सहारा देकर पीठ सहलाने लगता है। और कहता है, कि बापू तुम चिंता मत करो मैं देखता हूं केशव बोला मैंने तुम्हें कभी ये सब करने नहीं दिया तुझे तो मैं पढ़ा लिखा कर बड़ा अफसर ही बनाने में लगा रहता था।
और तू भी पढ़ने में अव्वल दर्जे का होशियार विद्यार्थी है । मेरी बीमारी के कारण मैं तुझे खर्चे के लिए पैसे नहीं दे पा रहा हूं ऊपर से मेरी दवाई का खर्चा सो अलग तेरे इन कंधों पर मैंने कितना बोझ डाल दिया राजीव कहता है।
राजीव कहता है, मैं सब ठीक कर दूंगा बाबा सब ठीक हो जाएगा आप मुझे बस यह बताएं लखन चाचा के यहां क्या लेने जाना है।
फूल लेकर आए या फिर वो बनी हुई माला देंगे केशव बोला तुम बस चले जाओ मैंने कितनी बार उसकी मदद की है, ,इंसानियत के नाते वह भी तुम्हारी मदद जरूर करेगा।
बता देना बापू ने भेजा है, हवेली में होली के लिए मालाएं लेकर जाना है। राजीव बोला पैसे भी देने पड़ेंगे केशव तेज आवाज में पैसे वैसे कुछ नहीं देने है।
राजीव की मां बोली बेटा त्यौहार है, खाली पेट मत नि कल केशव बोला बेटा वैसे ही बहुत देर हो गई है। हवेली में अब तो कुलदेवी की पूजा भी शुरू हो गई होगी तुरन्त जाओ नहीं तो कइ सालों में ऐसा नहीं हुआ कि माता की माला समय से न पहुंचे
, राजीव बोला मैं तुरन्त ही जाता हूं और निकल जाता है। राजीव अपने मन में सोचता है कि (आखिर आज मैं अवनी से मिलूंगा तब शायद उसका चेहरा मेरे आंखों के सामने हर समय सोते -जागते उठते- बैठते न आए) राजीव लखन चाचा के घर पहुंचकर,,
"लखन चाचा, लखन चाचा' ,आवाज दी अन्दर से आवाज आई कहीं गये है। थोड़ी देर बाद आना , राजीव डर गया कि कहीं लखन चाचा हवेली तो नहीं चले गए अगर वो चले गए होंगे तो बापू मेरे ऊपर बहुत नाराज़ होंगे ,
और फिर अवनी को मैं कैसे देख पाऊंगा ?यह सब बातें राजीव के दिमाग़ में घूमने लगीं तभी अन्दर से एक लड़की बाहर निकल कर आई और राजीव को देखकर जोर से बोली अरे! राजीव भैया मां राजीव भैया आए हैं,।
तभी भीतर से एक महिला बाहर निकल कर आई और राजीव को लगभग डांटते हुए कहती हैं तू कोई गैर है क्या ?अन्दर आ जाता अपनी चाची से भी मिल लेता अभी मैं बाहर न आती तो मुझे तो पता ही न चल पाता ।।
आओ बैठो तुम्हारे चाचा अभी दिशा मैदान गये है।(गांव में फ्रेश होने को कहते हैं),, और बापू की तबीयत कैसी है?,जी लगा रहता है , लेकिन मिलने न जा पायी राजीव ने कहा अब बापू को पहले से ज्यादा आराम है,
शहर के डाक्टर देखने आए थे। तुम्हारी परीक्षाएं समाप्त हो गई कि नहीं? राजीव बोला परीक्षा के तुरंत बाद छुट्टी होने के कारण ही मै गांव आ सका वरना होली कि तो मात्र तीन दिन की ही छुट्टी है।
तब गांव न आ पाता चाची कहती है, खूब पढ़ो अपने गांव का नाम रोशन करो तभी पीछे से आवाज़ आई और बेटा राजीव तुम कब आए राजीव, ?
अरे! काका। राजीव ने उठकर उनके पैर छुएऔर कहा कि आप तो जानते ही हैं कि बापू इस बार बीमार होने के कारण हवेली नहीं जा सकेंगे तो मुझे ही जाना पड़ेगा इसलिए बापू ने आपके पास फूल और मालाएं लेने के लिए भेजा
, लखन चाचा बोले मैंने पहले ही सब तैयार कर रख दिया है। मैं खुद ही लेकर आने वाला था इसी बहाने केशव भैया और भाभी से भी मुलाकात हो जाती लेकिन अब तुम आ गए हो तो तुम्ही हवेली लेते जाओ ,
हम केशव भैया से मिलने जा रहें हैं। यह सुनकर राजीव खुश हो गया ऐसा लगा मानो उसके मन की मुराद पूरी हो गई हो सारा सामान लेकर वह हवेली की ओर इतनी तेजी से बढ़ने लगा मानो उसके पंख लग गए हो।
उधर हवेली में सुबह से ही कुलदेवी की पूजा की तैयारियां शुरू हो गई थी। परिवार के सभी सदस्य नहा धोकर नौकरियां भी नहा कर नये कपड़े पहन कर तैयारियों में जुटे हुए थे। अवनी ने आज सफेद रंग का सलवार सूट पहना उस पर रंग बिरंगी चुन्नी ली जिसमें उसका रुप और निखर रहा था।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽॽ 🙏 क्रमशः