प्रत्येक व्यक्ति समाज में बने एक सामाजिक अनुशासन में जीवन व्यतीत करता है ।जो इस सामाजिक अनुशासन से थोड़ा भी अलग होने की कोशिश करता है ,समाज उसको अपने से अलग कर देता है।
,सदियों से ऐसा होता है, या है, इसीलिए सदियों से समाज में प्रेम को भले ही भगवान कृष्ण मीरा किसी से भी जोड़ दिया जाए
, किंतु उसको वह सम्मान नहीं मिल पाता जिसका वह हकदार, हैं अगर ऐसा होता तो रोमियो जूलियट शीरी, फरहाद लैला ,मजनू प्रेम के इतिहास की नींव न रखते प्रेम के इतिहास की नींव रखने के लिए अपनी बलि न चढ़ने देते,
इतिहास वही बनाता है जिसको समाज इतिहास बनने के लिए चुनता है ,या फिर यूं कहिए जिसको समाज अपने से अलग कर देता है।
हॉस्टल गेट के बाहर खड़े हुए राजीव को कुछ ही देर बीते थे की अवनी को जैसे उसके आने की आहट हो गई हो, पता नहीं कैसे उसके मन में एक अजब सी बेचैनी महसूस होती है ,और वह नीलम से कहती हैं, चलो हम लोग नीचे हॉस्टल के गेट तक टहल कर आते हैं,
नीलम बोली तेरी वजह से आज वैसे ही बहुत टहल चुकी हूं आज जब से घर से आई हूं ,लगातार टहल ही तो रही हूं, तेरे साथ,
अपने डिपार्टमेंट में क्लास करने गई फिर उसके बाद इतनी दूर चल कर आर्ट्स डिपार्टमेंट में तेरे उस राजीव का पता करने गई ,अवनी ने आँख घूरते हुए कहा ,तुम मेरे राजीव क्यों कह रही हो?
नीलम कहती है सॉरी सॉरी मैं तो भूल गई आप तो वहां आर्ट्स डिपार्टमेंट में मयंक से मिलने गई थी, फिर आर्ट्स डिपार्टमेंट से हम लोग भागते भागते अपने हॉस्टल आए,,,,
और अभी मैं बड़ी मुश्किल से थोड़ी देर चैन से बैठी, कि तुझे फिर हॉस्टल के बाहर गेट पर जाना है। अवनी बोली इतनी देर से तो तुम बैठी हो थोड़ी देर के लिए गेट तक टहल लोगी तो कुछ हो नहीं जाएगा,
नीलम ने कहा इतनी थकान के बाद टहलना क्यों है, ?अवनी कुछ नहीं बोलती बस चुपचाप मुंह बना कर बैठ जाती है,
उसको इस तरह मुंह बना कर बैठे देख नीलम कहती हैं अब मुंह मत बनाओ चलो उठो नीचे गेट तक होकर आते हैं, लेकिन गेट से ज्यादा दूर नहीं जाऊंगी यह मैं तुझे पहले ही बता दे रही हूं ,,
फिर मत मुंह बना लेना अवनी खुश हो जाती है। और नीलम से कहती हैं। मेरी सच्ची दोस्त मेरी प्यारी बहन तू न होती तो जाने क्या होता मेरा,?
नीलम बोली कुछ ना होता और दोनों हंसने लगती हैं ,नीलम ने अपनी चप्पल पहनी और उठकर चल दी दोनों अपने रूम से बाहर निकल कर आती हैं।
हॉस्टल के गेट के पास जैसे ही पहुंचती हैं , गार्ड दोनों को देखकर पूछता है ,कुछ खरीदने जा रही हो क्या बिटिया अवनी कहती है, नहीं गार्ड अंकल बस गेट के पास थोड़ी देर टहलने के बाद हम लोग आ जाएंगे,
गार्ड ने कहा ठीक है बिटिया ,अवनी और नीलम गेट के छोटे वाले दरवाजे से बाहर निकल जाती हैं ।पहले नीलम निकलती है ।
,उसके पीछे अवनी निकलती है, फिर जैसे ही दो कदम चलती हैं नीलम की नजर राजीव पर पड़ती है ।नीलम चहककर कहती है अरे, राजीव तुम यहां किसी से मिलने आए थे क्या ॽ नीलम के इस प्रकार पूछने पर राजीव कुछ झेंप सा जाता है।
अवनी की ओर देखते हुए कहता है, नहीं तो , आज इधर की तरफ हम लोग टहलने आए थे, नीलम ने पूछा लोग कौनॽ
राजीव ने कहा मैं और मयंक मयंक थोड़ा दूर खड़ा होने के कारण अवनी और नीलम को नहीं दिखाई पड़ता, तभी राजीव को बात करते देख मयंक भी समीप आ जाता है ,और कहता है।
अवनी मैंने राजीव को बता दिया था , कि अवनी तुम्हें पूछ रही थी ,अब अवनी राजीव के सामने नजर भी नहीं उठा पा रही थी ,उसे यह लगने लगा राजीव जाने क्या सोचेगा मेरे बारे में और नजरें नीचे किए खड़ी रहती है।
उसकी झुकी हुई नजर देख कर नीलम कहती है कि तुम दोनों ने पहले ही डिसाइड कर लिया था क्या कि ,हम लोग हॉस्टल गेट पर मिलेंगे ??
राजीव बोला नहीं तो, हमारी अवनी जी से तो कभी कोई बात ही नहीं हुई, वह तो इत्तेफाक है कि हम चारों लोग यहां मिल गए, मयंक बोला शायद नीलम की बात सही भी हो सकती है।
,जिस हिसाब से राजीव यहां आने के लिए उतावला हुआ था, उससे तो यही लग रहा था कि शायद इसको किसी ने यहां टाइम दे रखा है,
राजीव मयंक से बोला ,तुम तो कभी भी कुछ भी बोलने लगते हो, बोलने के पहले सोचते भी नहीं कि कहां किसके सामने क्या बोलना चाहिए
,और क्या नहीं बोलना चाहिए,, मयंक बोला अरे भाई, गलती हो गई माफ कर दे मैंने देखा नहीं कि अवनी जी सामने खड़ी है, मुझे इस तरह नहीं बोलना चाहिए था।
मयंक और नीलम कुछ ना कुछ बोलने में लगे थे, जबकि अवनी और राजीव की आंखें एक दूसरे में डूबने को आतुर थी ,एकटक दोनों एक दूसरे को बड़े ध्यान से देख रहे थे,
जाने क्यों?? आज दोनों को लग रहा था ,कि एक दूसरे की आंखों में डूब जाए दोनों को खड़े हुए काफी देर हो गए समय का तो जैसे पता ही ना चला ,,
मयंक ने कहा अब चलें इधर नीलम भी परेशान थी क्योंकि उसको हॉस्टल गेट पर खड़े हुए काफी देर हो गए थे, अंधेरा भी धीरे-धीरे छाने लगा था ,किंतु राजीव और अवनी टस से मस होने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
तभी नीलम अवनी से कहती है। अब चलो अवनी काफी देर हो गई है ।बाहर अंधेरा भी हो गया है , अगर गार्ड अंकल कल वार्डन को बता देंगे तो हमें डांट भी पड़ेगी,
इसलिए अब चलो, नीलम के इस प्रकार कहने पर राजीव की तो मानो अचानक से तंद्रा ही टूट गई, वह घबराकर मयंक से कहता है। मयंक चलो बहुत देर हो गई ,मयंक हंसते हुए कहता है,।
यार मैं तो कब से खड़ा हूं जाने के लिए जब तुम चलो तब तो मैं चलूं ,मयंक और राजीव अपने लॉज की तरफ बढ़ जाते हैं, अवनी तथा नीलम जैसे ही पलटती है, गार्ड कहता है,।
बहुत देर लगा दी बिटिया अंधेरा होने को आया, अभी वार्डन मैडम राउंड पर आने वाली होंगी ,तुम लोग जल्दी अपने कमरे में जाओ नहीं तो हमें भी डांट पड़ेगी और तुम्हारी भी कंप्लेन तुम्हारे घर वालों को भेज देंगी
,इतना सुनते ही अवनी ने नीलम का हाथ पकड़ा और बोली चलो जल्दी नीलम दौड़ते हुए दोनों अपने कमरे में घुस जाती हैं। और अंदर से दरवाजा बंद कर देती है ।
नीलम बैठकर तेज तेज सांसे लेती है ,अवनी बिस्तर पर एक तरफ लुढ़क जाती है, नीलम अवनी से कहती है यह क्या था ,मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आया,
क्या तुम सचमुच राजीव से प्यार करने लगी ॽ तुम्हें पता भी है तुम क्या करने जा रही हो तुम जलती आग में कूदने जा रही हो
, यह सब करने के पहले तुम्हें एक बार अपने खानदान और अपने परिवार के बारे में सोचना जरूर था, मैंने तुम्हें पहले ही पूछा था तब तुमने कहा ऐसा कुछ नहीं,,,,,,,
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउतर 🙏 क्रमशः।।