अब दुनिया की परवाह नहीं जब इस स्थिति प्रेम में आ जाए तो समझ लीजिए कि प्रेम में वह ताकत पैदा हो गई जो किसी से भी लड़ सकने में समर्थ है और अपने आगे किसी को भी झुकाने की ताकत रखने लगी है,
आगे बढ़ते बढ़ते प्रेम का नशा इतना ज्यादा हो जाता है कि व्यक्ति अपनी सुध बुध खो बैठता है ,और वह किसी भी हद तक जा सकता है।
फिर उसके आगे चाहे समाज परिवार उसकी मान मर्यादाएं कुछ भी आए वह उसको रोक नहीं सकती, पार्टी से वापस आ आने पर अवनी अपने हॉस्टल आ जाती है,
और राजीव मयंक के साथ अपने लॉज के रूम में पहुंच जाता है, किंतु दोनों को चैन ना था राजीव आकर कपड़े बदलने के बाद अवनी के पास फोन करता है ।
और फिर दोनों बहुत रात तक फोन पर बातें करते रहते हैं, नीलम को इस प्रेम का अंजाम नजर आ रहा था, उसके मन में एक अनजान डर ने घर कर लिया था
, वह सोच रही थी आज तो नहीं कल सुबह मैं अवनी से इस विषय में अवश्य बात करूंगी वह कैसी बावरी होती जा रही है उसे इसके अंजाम की कोई चिंता ही नहीं है ।
कम से कम अपने अंजाम की चिंता ना करें उस गरीब राजीव पर तो दया करें, दूसरे दिन अवनी सोकर थोड़ा देर से उठती है, जब उठती है, तो देखती है, नीलम कॉलेज जा चुकी है ।
अवनी सोचती कमाल है, आज नीलम ने मुझे उठाया भी नहीं और अकेले ही कॉलेज चली गई अवनी उठती है। तभी उसकी नजर घड़ी की ओर जाती है।
बाप रे बाप 11:00 बज गए अब तो मेरी एक क्लास पक्का छूट गई जल्दी से दौड़ते हुए वाशरुम की ओर जाती है। और बिना देर किए फटाफट तैयार होती है इधर राजीव नीलम को अकेले देख कर घबरा जाता है।
वह सोचता है आज अवनी कॉलेज क्यों नहीं आई क्लास में प्रोफेसर के होने की वजह से वह नीलम से कुछ पूछ नहीं पाता ,जैसे ही प्रोफेसर क्लास के बाहर जाते हैं वह तुरंत नीलम के पास आता है और पूछता है क्या हुआ? अवनी क्यों नहीं आई
ॽ इतना सुनते ही नीलम के दिमाग में तो राजीव और अवनी के प्रेम का अंजाम चल ही रहा था, नीलम उसको समझाने लगती है।
अभी भी समय है, राजीव तुम अपने कदम पीछे कर लो हवेली वालों का सामना करने की ना तो तुम में हिम्मत है और ना तुम्हारी हैसियत है राजीव कुछ नहीं बोलता चुपचाप खड़ा रहता है।
नीलम कहती है तुमने मेरी बात का उत्तर नहीं दिया राजीव ने कहा क्या उत्तर दूँ, अब तो बहुत देर हो चुकी है। अब मेरे लिए वापस लौटना संभव नहीं है,
बस मैं यही कह सकता हूं अब जो भी अंजाम होगा देखा जाएगा, नीलम समझ गई कि इसको समझाने का कोई मतलब नहीं है।
अब नीलम ने अवनी को समझाने की सोची, तभी नीलम ने देखा सामने दरवाजे से अवनी चली आ रही है, गुस्से में लाल लाल चेहरा बड़ी-बड़ी आंखें किए अवनी नीलम के पास आती है,
अपना बैग थोड़ा पटक ते हुए रखती है, और कहती हैं नीलम की बच्ची आज अकेले चली आई मुझे जगाया भी नहीं क्यों किया ऐसा तुमने मेरे साथ नीलम ने कहा मैंने जो किया उसका तुम्हें इतना बुरा लग रहा है ।
और जो तुम राजीव के साथ कर रही हो उसका क्या जबकि तुम अपने परिवार और अपने खानदान से भलीभांति परिचित हो तो क्यों उसकी जिंदगी के साथ खेल रही हो,
अवनी ने कहा मैं किसी की जिंदगी के साथ नहीं खेल रही हो, मैं खेल रही हूं मैं क्यों खेलूंगी, मैं भी राजीव से उतना ही प्यार करती हूं जितना राजीव मुझसे करता है।
इसमें गलत क्या हैॽ मैं बाबा कोई मना लूंगी बाबा मेरी बात कभी नहीं टालेंगे और रही बात अखंड भैया और रूद्र भैया की तो अखंड भैया मुझे बहुत प्यार करते हैं
, वह मेरी बात को समझेंगे, नीलम कहती है ,जब बात मर्यादाओं और अपने खानदान की इज्जत की होती है ,तब कोई किसी का सगा नहीं होता सब अपनी परंपराओं के सगे होते हैं ।
कहीं ऐसा ना हो कि तुम्हारे चक्कर में राजीव अपना सब कुछ गंवा बैठे अवनी ने नीलम की ओर देखते हुए कहा तुम चिंता मत करो ऐसा कुछ नहीं होगा,
नीलम बोली भगवान करे ऐसा ना हो, अब तो हर जगह अवनी और राजीव साथ साथ ही रहते थे कॉलेज कैंटीन में लाइब्रेरी में कहीं भी जाते दोनों साथ ही रहते हैं छुट्टी हो जाने के बाद ग्राउंड में एक किनारे सीढ़ी पर दोनों घंटो बैठे रहते।
और अपने भविष्य के सपने बुनते हैं, जाने कितने घंटे, दिन और महीने एक दूसरे में डूबे रहे, वो कहते हैं ना जहां आग होती है वहां धुआ जरूर होता है।
तो दोनों की दिलों की आग ने अब धुएं का स्वरूप ले लिया था हर तरफ हर जगह उनके इस तरह मिलने की चर्चाएं थी, कॉलेज कैंपस में तो सभी को पता था ।
लेकिन हर कोई अपनी नजर हटा देता सोचता हमें क्या लेना देना होगा आपस में दोनों का कुछ कोई किसी के मामले में नहीं पड़ना चाहता, किसी के मामले में पढ़ना उचित भी नहीं है।
यह धुआं उठते उठते एक दिन रूद्र प्रताप के पास पहुंच ही जाता है, लाइब्रेरी में किसी काम से रूद्र प्रताप कॉलेज कैंपस आए ।
और जब काम करके वापस लौट रहे थे तो लाइब्रेरी की सीढ़ियों पर किसी लड़के और लड़की को बैठे देखा दोनों का मुह उधर होने के कारण रूद्र प्रताप ने उन पर ध्यान नहीं दिया किंतु, अगर आप किसी अपने को इस तरह देखते हैं, तो कहीं ना कहीं लगता है कि कुछ जाना पहचाना चेहरा है,।
इसी कारण रुद्र प्रताप एक बार पलटकर फिर से देखते हैं उनके सामने अवनी का चेहरा आते ही उसके पांव के नीचे से जमीन खिसक जाती है।
जिस तरह से अवनी और राजीव बैठें थे एक दूसरे के गले में बाहें डालकर उसे देखकर तो कोई भी उनके बीच सम्बन्ध को स्पष्ट समझ सकता था।
रुद्र प्रताप का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और अवनी के समीप जाकर उसके ठीक सामने खड़े होकर राजीव को दोनों हाथों से पकड़ कर खींचा जब तक राजीव और अवनी कुछ समझ पाते रुद्र प्रताप ने राजीव को गिरा गिरा कर मारना शुरू कर दिया l
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर 🙏 क्रमशः