अखंड प्रताप कार में बैठे तभी उनकी नज़र केशव काका (माली) के बेटे पर पड़ी अरे! सुनो क्या नाम है तुम्हारा?
, पहचानी आवाज सुनकर राजीव पलटा दौड़कर अरे! "ठाकुर साहब" आप अखंड बोलें क्या तुमने भी परीक्षा दी है?
।जी "ठाकुर साहब "वह बोला,अब गांव जाओगे या यही कहीं रुके हो ,साहब गांव जाने के लिए ही स्टेशन जा रहें हैं।
अखंड प्रताप बोले आओ हमारे साथ चलो राजीव कुछ बोल नहीं सका किन्तु अवनी को यह तनिक भी अच्छा नहीं लगा ,,,
अखंड प्रताप ने उसे आगे ड्राइवर के समीप बैठा दिया स्वयं अवनी के समीप बैठ गए। अखंड प्रताप बोले कैसा हुआ पेपर??
इस पर अवनी और राजीव दोनों एक साथ बोल पड़े अच्छा हुआ, अवनी मन ही मन बोली इससे पूछा किसने था ,जो बड़ा आया अच्छा बताने वाला मुंह घुमा कर हुं।
लगातार कई घंटे चलने के पश्चात एक ढाबा दिखाई दिया ड्राइवर ने कार रोकी साहब आप लोग जलपान करेंगे अखंड प्रताप गाड़ी से उतरे और अवनी से कहा कुछ खा लो,,,,
अवनी उतरी अखंड प्रताप आगे बढ़ गए थे, तभी उन्होंने अवनी से कहा उसे भी बुला लो अवनी पलट कर कार के समीप आकर बोली चलो मुफ्त का अब खा भी लो,,,,,
राजीव सकपका गया उसे इस तरह के व्यवहार की उम्मीद ना थी। क्योंकि ठाकुर साहब लोग उससे इस तरह बात ना करते थे वह कुछ बोल ना सका नाही गाड़ी से उतरा।
गरमा गरम जलेबियां और कचोरिया निकल रही थी अखंड प्रताप ने लस्सी और जलेबी ली ड्राइवर चाय की चुस्कियां लेने लगा,
अवनी बोली भैया इसकी जलेबियां कितनी स्वादिष्ट है ।इसीलिए तो यहां इतनी भीड़ होती है। मैं और रुद्र तो अक्सर इस के ढाबे पर आते हैं।
तभी अखंड ने कहा कि तुमने उस लड़के को बुलाया कि नहीं बिचारा ट्रेन के कारणबहुत सुबह निकला होगा उसे भी भूख लगी होगी???
अवनी चिढ़कर बोली मैंने किसी की भूख का ठेका नहीं ले रखा है। एक बार कह दिया नहीं आया तो ना आए हमने अपनी कार में उसे जगह दे दी यही क्या कम है ।
मैं बाबा और आपकी तरह समाजसेवी नहीं हूं, ऊपर से प्रतिस्पर्धा में कोई मुझसे आगे निकले यह मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।
ओ ,,,हो ,,,तो यह चिढ़ का कारण है। कहकर अखंड प्रताप हंस पड़े सभी कार में वापस आ कर बैठते हैं। अखंड अरे भाई राजीव तुमने कुछ खाया नहीं तुम्हारी तबीयत ठीक ठाक है।
ठाकुर साहब आपके साथ मुफ्त में घर पहुंच जाऊंगा इतना ही मेरे लिए काफी है यह कहकर अवनी की ओर उसने देखा अवनी समझ गई कि वह उसको सुना रहा है ।
किंतु कुछ बोली नहीं शाम को गाड़ी हवेली के दरवाजे पर रुकी ड्राइवर ने दरवाजा खोला तो अवनी उतरी और अखंड प्रताप भी उतरे किंतु राजीव अपने कार का गेट नहीं खोल पा रहा था।
वह बार-बार धक्के दे रहा था तभी ड्राइवर ने कहा ऐसे नहीं इसे दबाकर खोलते हैं। अवनी और राजीव की नजर एक हुई वह थोड़ा लज्जित हुआ।
अवनी मुंह बिचका कर अंदर चली गई 1 सप्ताह बाद दाखिले का नतीजा घोषित हुआ रूद्र प्रताप ने फोन करके कहा 10,000 बच्चों में तुम दूसरे नंबर पर आई हो वह बहुत ही खुश हुई,,,
खुशी से नाच नाच कर रूद्र से बात करते हुए अपनी मां बाबा तथा भाई भाभी सभी को यह खबर उसने बताई। सभी जानते थे ,प्रतिभाशाली तो वह है ही,
आज केशव माली ज्यादा बीमार होने के कारण नहीं आ सका था इसलिए अपने बेटे को बगीचे में काम करने के लिए भेज दिया अवनी की बचपन की सहेली नीलम उसके घर आती है।
दोनों बातचीत करते हुए बगीचे में पहुंच जाती हैं अवनी की नजर राजीव पर पड़ती है वह नीलम से कहती है कि वह भी उसी विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा देने गया था, जिसमें वह देने गई थी।
अवनी ने जोर से कहा लोगों के पास खाने को पैसे नहीं है लेकिन पढ़ाई अच्छे विश्वविद्यालय में करेंगे यह सुनकर राजीव की नजरें झुक गई, अपने कार्य में तल्लीन हो गया।
तभी नीलम के साथ उसके पास आकर अवनी बोली क्यों आज तो रिजल्ट आया है?? तुमने देखा राजीव ने कहा नहीं अच्छा तो अपना रोल नंबर बताओ उसने तुरंत बता दिया,
नीलम बोली यार रोल नंबर किसको याद रहता है। इसे तो रोल नंबर भी याद है । जो रिजल्ट रूद्र रूद्र प्रताप ने भेजा था उसको तुरंत फोन पर खोल कर देखती है।
सबसे ऊपर पहला नंबर ही था। नीलम बोली अरे तुमने तो टॉप किया है पहले दर्जे पर हो , नजरें उठाकर वह बोला यही तो मैं चाहता था ,,,
,कि मुझे पहला दर्जा प्राप्त हो तो स्कॉलरशिप से मुझे पढ़ाई नहीं बंद करनी पड़ेगी इतनी फीस कहां से लाता ॽअवनी बोली मांग लेते किसी से तुम्हारे ऊपर तो हमारे खानदान वालों ने दया करने का मोर्चा उठाया है।
वह चुपचाप सुनता रहा एक शब्द भी ना बोला और अपने कार्य को करने में तल्लीन हो गया दोनों सहेलियां वहां से उठकर बैठक में वापस आ गई,,,
और आपस में बात करने लगी नीलम बोली तू" बेचारे "को इतना भला बुरा क्यों कहती है ??अवनी ने कहा बेचारा वह तुम्हें कहीं से भी बेचारा दिखता है??
।, कुछ भी हो लड़का अच्छा है नीलम ने कहा तभी मां की आवाज आई अवनी अवनी हां मां आती हूं,,,तब तक कलावती मां के पास पहुंच गई,
, देख बहू माली का लड़का हो तो उसे कुछ पैसे दे दो, केशव की हालत बहुत खराब है और पूछ लो कुछ मदद चाहिए हो तो बताना ठाकुर साहब 2 दिन के लिए बाहर गए हैं।
हमें ही उसकी मदद करनी है। ना हो तो उसे मेरे पास बैठक में भेज दो मैं खुद ही पूछ लूंगी। थोड़ी देर बाद बैठक में राजीव आता है।
चप्पल बाहर उतार कर नंगे पाव प्रवेश करता है आलीशान शानो शौकत से सजा अत्यंत शांत शीतल वातावरण इतनी खुशबू तो उसे बगीचे की फूलों के बीच भी ना आई जितनी बैठक में थी ।
टी शर्ट पहने बिखरे बाल पसीने से भीगा हुआ बैठक के दरवाजे से भीतर प्रवेश करने के बाद, प्रणाम करके चुपचाप एक कोने खड़ा हो जाता है। ठकुराइन बोली केशव की तबीयत कैसी है ??
दवा दारू में पैसों की जरूरत तो बताना सकुचाना नहीं उसने कहा इंतजाम हो गया है और जो मदद होगी बताना उसने हां में सिर हिला दिया और प्रणाम करके बैठक से बाहर निकला।
तभी अचानक उसकी नज़र सोफे पर बैठी अवनी ने पर जाती है। सुन्दरता ऐसी मानों नजरें टिकी ही गयी हो किसी देवी की प्रतिमा से कम न थी फिर बिना समय गवाएं बिजली की तरह वहां से निकल गया। क्रमशः,