यदि कोई व्यक्ति किसी कार्य को अंजाम अपने मन मुताबिक देना चाहता है ,तो वह उसे भगवान की मर्जी ईश्वर की इच्छा मान लेता है ।
जबकि उसमें ना तो भगवान की मर्जी होती है ना ही ईश्वर की इच्छा वह उसकी स्वयं की मर्जी और स्वयं की इच्छा होती है जिसका परिणाम कभी अच्छा और कभी बुरा होता है।
जब अच्छा होता है वह सोचता है, कि भगवान को यही मंजूर था और जब, बुरा होता है तो वह सोचता है ,की शायद हमें ऐसा नहीं करना चाहिए?
इसी कारण लोग सोचते हैं कि हम तो निमित्त मात्र हैं करवाने वाला तो कोई और ही है। हमेशा से यही होता आया है कि कार्य अपने कारण में पूर्व निहित होता है।
बिना कार्य के कारण की उत्पत्ति नहीं हो सकती राजीव और अवनी का इस तरह फिर पास पास आना किसी बड़े कार्य की ओर संकेत कर रहा था, दोनों ने जो दृढ़ निश्चय किया था।
ऐसा नहीं था कि वह उस पर अडिग ना थे, किंतु कहीं ना कहीं परिस्थितियां ऐसी बनी कि वह दोनों चाह कर भी उस निर्णय को मानने में असफल रहे,
राजीव ने अवनी कहा आज कितना अच्छा महसूस कर रहा हूं आज मैंने अपने मन की सारी बातें आप से बता दी आज बहुत हल्का पर महसूस हो रहा है।
अवनी ने कहा सच राजीव मुझे भी ऐसा ही महसूस हो रहा है लेकिन तुम मुझे "आप "मत कहा करो मुझे सुनने में थोड़ा अजीब लगता है ।
राजीव ने कहा तो मैं आपको क्या कहूं कुछ सोचते हुएअवनी ने कहा अपनी पसंद से कोई भी नाम रख सकते हो, या फिर अवनी ही बुलाओ राजीव ने कहा अवनी तो अकेले मेरे मुंह से निकलेगा ही नहीं,,,
क्योंकि अवनी जी बोलने की आदत जो पड़ गई है। तो फिर मैं क्या बुलाऊं? नीलम ने कहा इतना बड़ा कठिन प्रश्न नहीं है तुम अवनी को जान से भी ज्यादा चाहते हो तो उसे जान भी बुला सकते हो?
नीलम के इस तरह कहने पर राजीव संकोच में पड़ जाता है और कहता है नहीं मैं यह सब नहीं बुला सकता तभी अवनी ने कहा मुझे कोई एतराज नहीं है।
अगर राजीव तुम चाहो तो मुझे जान भी बुला सकते हो राजीव नजरें नीचे करके कहता है। ठीक है फिर मैं आज से आपको जान ही बुलाऊंगा अवनी खुश हो जाती है, और कहती है मैं तुमको क्या बुलाऊं,,,,
राजीव ने कहा कि तुम मुझे राजीव बुलाओ क्योंकि तुम्हारे मुंह से अपना नाम सुनना मुझे बहुत अच्छा लगता है जब तुम राजीव कहती हो तो मेरी दिल की धड़कनें अचानक से तेज हो जाती है।
अवनी और राजीव का ध्यान नीलम की ओर जाता है और दोनों शर्मा जाते हैं, नीलम बोली कोई बात नहीं इतने दिन बाद तुम लोग मिले हो तो गिले-शिकवे तो होंगे ही और उठ कर खड़ी हो जाती है।
नीलम बोली मैं चलती हूं, अवनी ने उसे रोकने का प्रयास किया लेकिन नीलम रुकने को तैयार नहीं हुई अवनी बोली मैं भी चलूं हालांकि अवनी का मन तो राजीव के पास रुकने का था।
,तो नीलम ने कहा मुझे कुछ काम है थोड़ी देर बाद में आती हूं तब दोनों साथ में चलेंगे वैसे भी क्लास शुरू होने में अभी काफी समय है।
इसलिए तुम निश्चिंत होकर आराम से बातें करो मैं अपना काम निपटा कर आधे घंटे में आती हूं राजीव ने कुछ कहना चाहा किंतु नीलम कहती है कि,,,,
आप दोनों को अकेले डर तो नहीं लगेगा इस पर राजीव और अवनी दोनों ने हंसते हुए कहा हां लगेगा तुम रुक जाओ इसीलिए तुमको रोक रहे हैं नीलम बोली ना बाबा मुझे तो जाना ही है ।
और नीलम राजीव के कमरे से बाहर चली जाती है। अब राजीव और अवनी अकेले कमरे में रहते हैं। एक दूसरे को देखते हुए कहते हैं कि अब तो हमारे बीच सारी गलतफहमी खत्म हो गई,
राजीव अवनी का हाथ अपने हाथों में लेकर कहता है अवनी अब मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता अवनी राजीव के थोड़ा करीब जाकर कहती है मैं भी नहीं जी सकती और दोनों बहुत देर तक एक दूसरों की आंखों में खो जाते हैं।
तभी राजीव उठ कर अवनी को गले लगा लेता है दोनों बहुत देर तक एक दूसरे मे खो जाते हैं फिर अचानक किसी के दरवाजा खटखटाने की आवाज आती है।
दोनों का ध्यान दरवाजे की ओर जाता है राजीव घबराकर अवनी को छोड़ते हुए कहता है ,शायद नीलम आ गई? और दरवाजा खोलने चला जाता है।
दरवाजे पर सामने नीलम खड़ी रहती है। राजीव नीलम को देखते ही कहता है बड़ी जल्दी आप आ गई नीलम उसकी ओर देखते हुए कहती है।
जल्दी मैं तो आधा घंटा देर से आई "ओह ",,, तो क्या हुआ मैंने आप दोनों को डिस्टर्ब किया क्या ?अवनी नजरें नीची कर लेती है
और राजीव भी अपनी नजरों को झुका देता है नीलम दोनों की तरफ देखती है दोनों के चेहरे लाल हुए रहते हैं नीलम समझ जाती है कि दोनों को उनकी मंजिल मिल गई
, नीलम कहती है कि ठाकुर साहब की बातें आप दोनों लोगों को याद ही होंगी अवनी ने कहा अब मैं उन बातों को याद नहीं रखना चाहती,,,
नीलम उसको आश्चर्यचकित होकर देखती है और कहती है कम से कम अपना नहीं तो राजीव का तो ख्याल करो राजीव बोला जो होगा देख लेंगे???
अब मैं अवनी को नहीं छोड़ सकता और अवनी मुझे नहीं छोड़ सकती ठाकुर साहब या फिर कोई आ जाए अब हमें एक दूसरे से अलग कोई नहीं कर सकता?
नीलम ने उनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक देखी और नीलम यह समझ गई अभी किसी भी तूफान से लड़ने के लिए तैयार हैं कुछ बोलती नहीं और अवनी की तरफ देखती हुई कहती है ।
अगर आपका मन शांत हो गया हूं तो हम अपने हॉस्टल चले अबनी कहती है,। तुमने ही तो आने में देर लगा दी ना मैं तो कब से जाने के लिए तैयार बैठी हूं, नीलम अवनी के पास जाकर उसके ठुड्ढी को अपने हाथों से उठाते हुए कहती है।
सच में तुम तैयार थी?, अवनी ने कहा और क्या राजीव जी से पूछ लो नीलम बोली मुझे समझ में आ रहा है। तुम कितनी तैयार थी।
अवनी ने कहा ने कहा क्या मतलब,,?नीलम बोली ,,,मतलब "राजीव जी "अभी तक तो तुम हमेशा राजीव को राजीव ही कहती थी।
आज राजीव से राजीव जी कैसे हो गए ?क्या बात है? अवनी कुछ नहीं बोलती और कुछ शर्माते हुई उठ कर खड़ी हो जाती है ।और कहती है ,,,,,
अच्छा चलो राजीव की ओर देखते हुए कहती हैं अब हम चलते हैं राजीव अवनी को चुपचाप खड़ा देखता रहता है ।
जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो जाती वह उसको यूं ही निहारता रहता है और अपने मन में सोचता है कि क्या मैं सही कर रहा हूं? या गलत कर रहा हूं?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे प्रतिउत्तर ॽॽॽ 🙏 क्रमशः।।।।