कभी-कभी व्यक्ति के दिमाग में कुछ और और मन में कुछ और चलता रहता है। जो किसी भी प्रकार से किसी को परि लक्षित नहीं होता ,किंतु उसके मन और मस्तिष्क का जो द्वंद होता है उसके चेहरे पर साफ स्पष्ट नजर आने लगता है ।
कुछ ऐसी स्थिति से ठाकुर साहब गुजर रहे थे उनका मन कुछ और कहता था किंतु मस्तिष्क कुछ और ठाकुर साहब निर्णय लेने में असमर्थ हो रहे थ?
लेकिन कभी-कभी हमारे व्यक्तिगत भावनाओं पर सामाजिक भावनाएं हावी हो जाती है, हम चाह कर भी कोई निर्णय व्यक्तिगत नहीं कर सकते इसी कारण से तो मनुष्य को सामाजिक प्राणी कहा गया है ,उसके सभी निर्णय में सामाजिकता कहीं ना कहीं हावी होती है। ठाकुर साहब ने भी अंत में सामाजिकता को ही प्राथमिकता दी और पूजा की तैयारी में लग गए,
इधर अखंड प्रताप अवनी और रुद्र को लेने हॉस्टल पहुंच जाते हैं वार्डन अवनी के कमरे में आया को भेजती है तो पता चलता है। अवनी अपने कमरे में नहीं है ,
अखंड प्रताप बोले इतनी सुबह कौन सी क्लास है?, तो वार्डन ने कहा हो सकता है,की किसी विषय की एस्ट्रा क्लास हो, ?किंतु तभी आया ने बताया कि कमरे में नीलम थी ,,
इतना सुनते ही अखंड प्रताप के दिल की धड़कन तेज हो जाती है। कि अगर नीलम अपने कमरे में है तो अंवनी अकेले क्लास करने क्यों गई?वैसे तो वह हमेशा नीलम के साथ ही जाती है । अखंड प्रताप ने आया से कहा तो नीलम को ही बुला दीजिए,,
आया जाती है, और नीलम से कहती है , अवनी सिंह ठाकुर के भाई आए हैं आपको बुला रहे हैं नीलम की तो मानो सांस रुक जाती है अपने मन में सोचती हैं मुझे अच्छे से पता था इस लड़की के चक्कर में एक न एक दिन मैं भी फसूगी ???
क्योंकि "गेहूं के साथ घुन हमेशा पिसता है, "और अपने मन में भगवान को याद करते हुए कहती है हे भगवान प्लीज इस बार बचा लीजिएगा अगली बार मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगी जिसमें मुझे भी फंसना पड़े बस प्लीज प्लीज भगवान इस बार बचा लीजिए,
भगवान का नाम जपते जपते नीलम स्टाफ रूम में आती है जहां अखंड प्रताप बैठे रहते हैं और साथ में वार्डन मैम भी बैठी रहती हैं ।
नीलम अखंड प्रताप को देखते ही उन्हें प्रणाम करके कहती है अरे भैया आप कब आए ?अखंड प्रताप थोड़ा सख्त लहजे में कहते हैं, आज तुम क्लास करने क्यों नहीं गई ?अवनी अकेले क्यों गई ?नीलम ने कहा आज मेरे पेट में दर्द था और केमिस्ट्री की क्लास करना जरूरी था, इसलिए अवनी ने कहा तुम आराम करो मैं क्लास करके आती हूं।
,अखंड बोले केमिस्ट्री क्लास कितने बजे खत्म होगी अब तो नीलम फंस गई क्योंकि उसने झूठ कहा था अवनी तो राजीव के रूम पर गई थी कोई एस्टा क्लास तो थी ही नहीं, अब अचानक से अखंड प्रताप को देखकर नीलम कोई और बहाना भी नहीं बना सकी अखंड प्रताप बोले ठीक है जब तक अवनी नहीं आती है तब तक तुम सामान पैक कर लो घर में पूजा है तुम्हें और अवनी दोनों को चलना है।
नीलम की तो मानो मन की मुराद ही पूरी हो गई झूठ बोलकर वह अखंड प्रताप का सामना ज्यादा देर तक नहीं कर सकती थी, इसी कारण उसे तो वहां से हटने का बहाना मिल गया।
स्टाफ रूम से तेज कदमों से वह बाहर आयी और बोली भैया मैं अभी आती हूं, सीधे अपने कमरे की ओर भागते हुए जाती है ।और अपना मोबाइल उठा कर राजीव को फोन करने लगती है लगातार कई बार बेल जाने पर भी राजीव फोन नहीं उठाता,,
तो नीलम गुस्से में बढ़ बढ़ाते हुए कहती है कि आज तो पक्का यह लोग मुझे मरवाएगे, पता नहीं क्यों राजीव जी फोन नहीं उठा रहे है??
,अवनी के पास तो फोन है भी नहीं अब मैं किसको फोन करूं तभी नीलम को याद आता है कि मयंक का नंबर शायद उसके पास है वह नंबर चेक करने लगती है तभी सामने से राजीव का फोन आता है राजीव बोलता है।
जी नीलम जी नीलम घबरा कर जल्दीबाजी में कहती है, फोन अवनी को दे दीजिए राजीव ने पूछा कोई बात हो गई क्या?? नीलम बोली अभी बिल्कुल समय नहीं है मैं आपको सब बाद में बताऊंगी ??
बस आप अवनी को फोन दे दीजिए राजीव अवनी को फोन देता है ,नीलम अवनी से कहती है तुम जल्दी से हॉस्टल के रूम में आ जाओ और अगर सामने अखंड भैया देखें तो उन्हें यह कह देना कि तुम केमिस्ट्री की एस्ट्रा क्लास करने गई थी ,?
और मेरे पेट में दर्द था इसलिए मैं नहीं गई अवनी घबरा जाती है और कहती इतनी सुबह सुबह भैया क्यों?
आते नीलम बोली घबराओ नहीं सब ठीक है यहां मैंने सब बात संभाल ली है, बस तुम्हें आकर आगे की बातें संभालनी है तुरंत और और जल्दी आओ यह कहकर नीलम ने। फोन रख दिया,
अवनी राजीव से कहती है कि अखंड भैया का सामना मै कैसे कर पाऊंगी,? उनके सामने मैं कैसे झूठ बोल पाऊंगी ??राजीव कहता है कि अगर तुम सच बताओगी तो शायद वह तुरंत गुस्से में अपना आपा खो दें??
इसलिए तुम्हें जैसा नीलम ने कहा वैसा ही करना पड़ेगा तुम कहो तो मैं तुम्हारे साथ चलता हूं, तुम्हें हॉस्टल तक पहुंचा दूंगा अवनी बोली नहीं नहीं तुम मेरे साथ मत चलो वैसे भी अगर किसी ने हमें साथ में देख लिया तो हम बुरी तरह फंस सकते हैं।
इसलिए मैं अकेली ही चली जाऊंगी लेकिन मेरी तो जाने की हिम्मत ही नहीं पड़ रही है ?राजीव उसको हौसला देता है और कहता है अब देर मत करो वैसे ही बहुत देर हो चुकी है ।
अवनी जल्दी-जल्दी राजीव के कमरे से निकलने लगती है तभी पीछे से राजीव कहता है अरे किताबे तो ले लो वर्ना अखंड भैया कहेंगे तुम खाली हाथ क्लास करने गई थी ?
अवनी ने कहा की मैं तो अपनी कोई किताब लाई ही नहीं राजीव बोला कोई बात नहीं तुम मेरी किताबें अपने पास रख लो अखंड भैया खोलकर थोड़े देखने जा रहे हैं ।की किसकी किताब है वह तो यही समझेंगे तुम्हारे पास है तो तुम्हारी किताब ही होगी ।
अवनी राजीव की किताब लेकर अपने बैग में डाल लेती है, और राजीव की ओर देखती है राजीव उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर कहता है।
कुछ नहीं होगा बस तुम धैर्य रखो इसके बाद अवनी अपने हॉस्टल के लिए निकल पड़ती है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे प्रतिउत्तर ॽॽॽ 🙏क्रमशः।।।।