अचानक तेजी से बिजली कड़की, कड़कती बिजली में अवनी इतनी तेज चौकी कि उसने अपने सामने खड़े राजीव को कस कर पकड़ लिया,
राजीव कुछ समझ पाता उसके पहले राजीव के बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई,
नीलम और मयंक उसकी ओर घबराकर देखने लगते हैं। तभी अवनी नशे की हालत में भी संभलते हुए लड़खड़ाती आवाज में बोली नीलम तुम कहां हो?
सॉरी मैंने सोचा नीलम है, मुझे माफ कर दीजिए कहकर वह नीलम को पकड़ लेती है। नीलम उसे संभालते हुए कहती है,।
हमें लगता है अब हम लोगों को चलना चाहिए राजीव बोला जैसा तुम ठीक समझो, और मयंक आगे आगे चलने लगा उसके पीछे नीलम हाथ के सहारे अवनी को पकड़ी थी,
उसने राजीव से मदद मांगी कहा राजीव जी आप भी थोड़ा सहारा दे दीजिए यह मेरे अकेले के बस की नहीं है।
एक तरफ राजीव पकड़ता है, और एक ओर नीलम, तभी नीलम का पैर फिसला वह बोली इतनी तेज बारिश! मेरे पैर बहुत तेज फिसल रहे हैं।
राजीव ने कहा नीलम तुम अवनी को छोड़ो और मयंक के पीछे पीछे चलो, मैं अकेले ही अवनी को लेकर आता हूं, राजीव ने अवनी का हाथ अपने गले पर डाल लिया और एक हाथ से कमर को पकड़ लिया ।
अवनी जबरदस्ती अपने को छुड़ाकर वहीं बरिश में नाचने लगती है उसकी इस हरकत को आसपास के लोग देखते रहते हैं, ।
नजर उठा कर राजीव चारों तरफ देखता है और फिर अवनी को गोद में उठाकर लॉज की तरफ बढ़ जाता है। उसकी गोद से उतरने के लिए अवनी बच्चों की तरह मचलने लगती है।
किंतु राजीव ने उसे थोड़ा कस कर पकड़ा था ताकि वह उसकी पकड़ से छूटकर फिर ना नाचने लगे लॉज में सीढ़ियों से ऊपर आते समय राजीव की नजर उसके चेहरे की ओर जाती है कैसी मासूम बच्चों जैसी है ।
और वह उसकी ओर निहारने लगता है। बारिश के कारण अधिकांश लड़के अपने रूम के अंदर ही थेl कुछ लड़के जो इधर-उधर कोई काम कर रहे थे उनकी नजर जब राजीव पर पड़ती है ।
तो उनकी नजरें एक सवाल के रूप में राजीव को देखती हैंl राजीव सिर झुकाए सीढ़ियां चढ़ता रहता है। अवनी बड़बड़ाते हुए कहती है ।
तुम मुझे इस तरह क्यों ले जा रहे हो छोड़ो मुझे छोड़ो, मुझे हॉस्टल जाना है। राजीव कुछ नहीं बोलता अवनी अपना दोनों हाथ उसके गालों पर रखकर कहती है।
मैं तुम्हें पहचानती हूं तुम राजीव हो ना देखा मैंने तुम्हें पहचान लिया और उसी प्रकार अपने हाथों में राजीव का चेहरा पकड़े रहती है।
जिसके कारण राजीव थोड़ा असहज हो गया, वह राजीव से कहती है मुझे हॉस्टल छोड़ दो मुझे अपने रूम में जाना है।
ताला खोलते हुए मयंक कहता है, चल नहीं पा रही है मैडम ,लेकिन इतना होश है कि यह हॉस्टल नहीं है। उसने कमरे का दरवाजा खोल दिया कमरा एकदम साफ सुथरा समेटा हुआ था।
अवनी को लेकर चलने के कारण राजीव थक गया था उसने अवनी को बिस्तर पर बैठाया और खुद तौलिया लाकर नीलम को दिया कहा आप इससे पोंछ सकती हैं, एकदम साफ है।
कल ही नई खरीदी है नीलम शर्माते हुए कहती है हम लोगों की वजह से आप लोगों को बहुत कष्ट हो रहा है। मयंक "आपने तो कोई चारा ही नहीं छोड़ा कष्टित करने के अलावा"
नीलम बोली "आई एम सॉरी", इसमें सॉरी की कोई बात नहीं हमें एक दूसरे की मदद करनी चाहिए और ऊपर से अवनी तो हमारे ठाकुर साहब की लड़की है।
नीलम बोली अगर आप लोग बुरा ना माने तो एक बात कहूं, हां हां बोलिए प्लीज आप लोग थोड़ी देर के लिए कमरे के बाहर जाएंगे क्या?
तभी राजीव बोला आप दोनों लोगों के कपड़े तो पूरी तरह से गीले हो गए हैं। बदल लीजिए नहीं तो ठंड लग जाएगीl मयंक क्या तू अपने कपड़े देगा?
राजीव नहीं तेरे कपड़े दूंगा मयंक बोला ओ हैलो अपना जो देना है दे मेरे कपड़ों को हाथ भी मत लगाना यह सुनकर नीलम बोली हमें कपड़े की कोई आवश्यकता नहीं है ।
हम ऐसी ही ठीक है पंखा चलाएंगे थोड़ी देर में सूख जाएगा बाहर जाने के लिए तो हम लोग इसलिए कह रही थी जिससे अच्छे से अवनी को पोंछ दूं ताकि उसे सर्दी न लग जाएl
राजीव बोला हम दोनों बाहर इंतजार करते हैं आप आवाज दे दीजिएगा यह कहकर दोनों कमरे के बाहर निकल आए मयंक गुस्से से 'यह क्या कह रहा था तू??
मेरे कपड़े सोचा भी कैसे कि मैं उनको अपने कपड़े दे दूंगा'? राजीव बोला तू तो बच्चों की तरह झगड़ता है, तो क्या करूं ??सब दे दूँ उन महारानियों कोl
तभी नीलम आवाज देती है, राजीव जी आ जाइए, नीलम ने अवनी के बाल खोल दिए थे, उसको देखकर राजीव की नजरें अवनी के ऊपर से हट ही नहीं रही थी
, खुले बालों में इतनी आकर्षक इतनी मोहक लग रही थी कि राजीव चाह कर भी अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था। तभी राजीव ने नीलम से पूछा आप चाय पिएंगी नीलम बोली ठंड है पी लूंगी,
राजीव किचन की तरफ जाने लगता है, नीलम बोली चाय मैं बना दूं? नहीं आप इनको संभालिए चाय तो मैं ही बनाउंगा आप हमारे घर पहली बार आई है।
अवनी कमरे में उठकर चारों तरफ देखने लगती है फिर पीछे पीछे किचन में चली आती है राजीव पूछता है आप यहां किस लिए आयी है ??
कुछ चाहिए क्या? अवनी जमीन पर बैठने लगती है राजीव उसको पकड़ कर ले आता है अवनी छुड़ाने लगती है। नीलम के पास लाकर बैठा कर कहता है नीलम जी प्लीज इनको इधर-उधर मत जाने दीजिए
, अवनी कब चली गई मैं तो देख ही नहीं पाई, खैर अब आप निश्चिंत रहिए मै इस पर बराबर ध्यान दूंगी। अंदर किचन में जाकर राजीव ग्लास कप मिलाकर चार जगह चाय ले आता है।
एक नीलम को देता है एक मयंक को देता है एक अवनी वाला नीलम के हाथ में पकड़ा कर कहता है आप इन्हें पिला दीजिए
एक प्याला वह खुद ही लेकर बैठ जाता हैl वह तीनों चाय पी रहे थे किंतु अवनी बीच-बीच में कुछ ना कुछ बोल रही थी कभी कहती है मेरा हॉस्टल नहीं है
कभी कहती मुझे मेरे घर जाना है कभी कहती मुझे कपड़े बदलने है मैं भीग गई हूं, बड़ी मुश्किल से शांत हुई थी और चुपचाप सब को बैठी देखती रहती है ।
तभी नीलम कहने जा रही थी की अवनी चाय पी लो किंतु राजू ने इशारे से मना कर दिया नीलम ने पूछा तुमने चाय क्यों मना कर दी राजीव ने कहा अभी बहुत गर्म है
अवनी को देना ठीक नहीं होगा इसलिए मैंने मना किया राजीव के बिस्तर की चादर इन लोगों के बैठने के कारण गीली हो गई थी।
राजीव बोला आप लोग खड़े हो जाइए तो मैं चादर बदल दूं नीलम बोली अगर आपको ऐतराज ना हो तो हम दोनों आपके बिस्तर पर ही बैठकर रात काट देंगी।
राजीव बोला नहीं मुझे कोई एतराज नहीं आप लोग आराम से बैठिए मन हो तो लेट भी सकती है मैं तो कुर्सी पर पढ़ते हुए पूरी रात बिता दूंगा।
मयंक बोला पर मैं रात भर सोता हूं इस पर नीलम हंस पड़ी बोली रात में तो सभी सोते हैं। मयंक बोला मेरा मतलब था मैं अपना बिस्तर किसी को नहीं दूंगा,
आई एम सॉरी नीलम बोली इट्स ओके कोई बात नहीं हम दोनों इसी बिस्तर पर रात काट देंगे और सुबह तड़के ही उठकर हॉस्टल चली जाएंगी
राजीव बोला जैसा आप लोग उचित समझे और हाथ का सहारा देकर नीलम के बगल में अवनी को लिटा दिया अब अवनी थोड़ी थोड़ी नींद की आगोश में जा रही थी ।
राजीव कुर्सी मेज पर कापी किताब लेकर बैठ गया मयंक अपने बिस्तर पर आकर दूसरी तरफ मुंह घुमा कर करवट होकर लेट गया राजीव ने कहा आप लोग सोइए मैं लाइट ऑफ कर देता हूं और अपनी मेज का लैम्प जला लिया l
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर?? क्रमशः,,,,,