यह जरूरी तो नहीं कि प्रत्येक प्रेम अपनी पराकाष्ठा को प्राप्त ही करें, ज्यादातर मामलों में देखा गया है की प्रेम कभी भी अंजाम की चिंता किए बिना बढ़ता चला जाता है।
क्योंकि अगर अंजाम की चिंता करें तो प्रेम अपनी पराकाष्ठा को कभी नहीं प्राप्त कर सकता इसीलिए अवनी और राजीव दोनों अंजाम से परिचित होते हुए भी प्रेम में आगे बढ़ते चले जा रहे थे ।
हालांकि ऐसा नहीं था, कि उनको किसी ने समझाने की कोशिश नहीं की मयंक ने भरपूर कोशिश की राजीव को समझाने की और नीलम ने तो अवनी और राजीव दोनों को समझाने की कोशिश की किंतु उनके सिर पर तो जैसे प्यार का भूत सवार था,।
वो दोनों तो कुछ भी सुनने और समझने की स्थिति मैं थे ही नहीं या यू कहिए समझना चाहते ही नहीं थे, रूद्र प्रताप राजीव को बहुत मारते है, अवनी ही जाकर बीच में बीच बचाव कराती है।
भैया भैया कहकर वह रूद्र प्रताप को पकड़ लेती है रूद्र प्रताप गुस्से से कांपते रहते हैं, अवनी से कहते हैंअवनी दूर हो जाओ मेरी आंखों के सामने से वरना कुछ बुरा हो जाएगा,,,,
, अवनी नहीं भैया नहीं भैया छोड़ दीजिए कहती रहती है, राजीव अधमरा जमीन पर पड़ा रहता है कालेज कैंपस के ढेर सारे स्टूडेंट चुपचाप खड़े देखते रहते हैं,।
कोई कुछ नहीं बोलता, रूद्र प्रताप अवनी का हाथ पकड़कर लेकर उसके हॉस्टल के गेट तक जाते हैं और कहते हैं अपना सामान पैक करो और घर चलो अवनी रोते हुए कहती है नहीं भैया मैं ऐसे तुरंत घर नहीं जाऊंगी।
अखंड भैया को बुलाकर तब जाऊंगी रूद्र प्रताप गुस्से से आगबबूला होते हुए कहते हैं जो हम कह रहे हैं उसे सुनो वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा अवनी हॉस्टल के अंदर चली जाती है और बेड पर लेट कर रोती रहती है। रूद्र प्रताप हॉस्टल के गेट से अपने हॉस्टल की ओर जाते है।
हॉस्टल पहुंचते ही सबसे पहले वह अखंड प्रताप सिंह को फोन करते हैं ,और सारी बात बताते हैं अखंड प्रताप को भी गुस्सा बहुत तेज आता है।
किंतु अपने मन में धैर्य रखकर अखंड प्रताप कहते हैं कि रूद्र तुम कुछ मत करो मैं आता हूं और सब देख लूंगा अवनी से भी तुम कुछ मत कहना उससे मैं बात करूंगा।
उसके बाद अखंड प्रताप ठाकुर साहब के कमरे जाते हैं। ठाकुर साहब आराम करते रहते हैं अखंड प्रताप उनके कमरे में दाखिल होते हैं ।
अखंड प्रताप देखते हैं कि ठाकुर साहब आंख बंद किए हैं तो फिर वह उनके आराम में बाधा नहीं डालना चाहते थे इसलिए उल्टे पांव वापस लौटने लगते हैं।
उनको वापस लौटते देख ठाकुर साहब ने पूछा क्या बात है?? अखंड कुछ काम था, कैसे आना हुआ ?अखंड प्रताप ने कहा अभी आप आराम कर रहे हैं ।
बाद में बात करते हैं ठाकुर साहब ने कहा नहीं अब तुम कमरे में आ ही गए हो तो बताओ क्या समस्या है? अखंड प्रताप ठाकुर साहब के समीप जाकर खड़े हुए और ठाकुर साहब से कहने लगे ,अब हम आपसे कैसे कहें?
, शहर से रुद्र का फोन आया था उसने अवनी और राजीव को कॉलेज कैंपस में एक साथ बैठे देखा तो वह अपना आपा खो बैठा और उसने राजीव को बहुत मारा ठाकुर साहब आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहते हैं की दोनों साथ में पढ़ते हैं, ।
तो अगर साथ में बैठ गए तो क्या बुराई है ,?रूद्र को इस तरह नहीं करना चाहिए अखंड प्रताप खुलकर ठाकुर साहब को सारी स्थिति नहीं समझा पा रहे थे।
अखंड प्रताप बोले बाबूजी साथ बैठने में कोई बुराई नहीं लेकिन जिस तरह अवनी और राजीव बैठे थे, वह अमर्यादित और अशोभनीय नहीं था,
आप समझ रहे हैं ना हम क्या कहना चाह रहे हैं। अवनी राजीव से प्रेम करने लगी है ,यह सुनकर ठाकुर साहब के तो जैसे गले की आवाज ही सूख गई थूक निगलते हुए बोले क्या कहा तुमने? ॽ
अखंड प्रताप ने कहा जो आपने सुना वही हमने कहा बाबूजी और वही सच है इसी कारण रूद्र को अत्यधिक गुस्सा आ गया ठाकुर साहब ने कहा राजीव में इतनी हिम्मत कहां से आ गई?
जरूर किसी ने उसे उकसाया होगा देखने में वह सीधा साधा लगता है। अखंड प्रताप बोले किसी के चेहरे पर नहीं जाना चाहिए,
भोले चेहरे के पीछे एक शातिर दिमाग में क्या चल रहा है । यह किसी को भी नहीं पता चलता है। ठाकुर साहब ने कहा अखंड यह बात कितने लोगों तक पहुंची है।
अखंड बोले कि अभी तो मुझे रुद्र ने बताया लेकिन आप चिंता न करें मैं आपको सारी बातें पता करके जरूर बता दूंगा, ठाकुर साहब बोले यह सब बातें आग की तरह फैलती है, ।
थोड़ा ध्यान से पता करना अपने हवेली की मान मर्यादा का प्रश्न है। अखंड प्रताप ने कहा जी बाबूजी हम सब समझते हैं। आप परेशान ना हो हम इसका कोई ना कोई निश्चित हल निकाल लेंगे ,,,,
ठाकुर साहब बोले अब परेशानी तो आ ही गई है हल तो निकालना ही पड़ेगा, इधर राजीव किसी तरह धीरे-धीरे उठता है, उसकी मदद को कोई भी छात्र आगे नहीं आता किंतु यह बात जब मयंक को पता चलती है।
तो वह दौड़ते हुए कॉलेज कैंपस में आता है। और अपने हाथों का सहारा देकर राजीव को रूम की ओर ले जाता है राजीव की हालत देखते हुए मयंक बड़बड़ाते हुए कहता है।
जिस चीज का डर था वही हुआ किस तरह कोई किसी को मार सकता है कोई जबरदस्ती है क्या? और राजीव की तरफ देखते हुए कहता है मैंने तुम्हें कितनी बार समझाया था लेकिन तुमने मेरी एक न मानी ,,,
मैं तुम्हें इसी अंजाम के बारे में समझाता था देखा उस लड़की से प्रेम करने का नतीजा अब लो भुगतो उसे क्या वह तो चली गई? अपने भाई के साथ आराम से राजीव मयंक को चुप कराने लगता है ।
तो मयंक गुस्से से कहता है। कि लगता है अभी तुम्हें चोट कम लगी है जो उसकी तरफदारी करने में फिर लग गए राजीव कहता है ।
अवनी को तो पता भी नहीं था कि वहां रूद्र भैया आ जाएंगे, मयंक गुस्से से राजीव को देखते हुए कहता है चलो ठीक है हम तुम्हारी बात मान लेते हैं।
कि उसे पता नहीं था किंतु वह अपने भाई को ऐसा करने से रोक तो सकती थी फिर उसने रोका क्यों नहीं?? मयंक ने कहा बड़े घर की लड़कियां ऐसी ही होती है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे प्रतिउतर 🙏🙏क्रमशः