कभी-कभी व्यक्ति करना कुछ चाहता है ।और हो कुछ और ही जाता है उसे समझ ही नहीं आता कि यह कार्य उसे करना चाहिए???
था कि नहीं करना चाहिए था, यह ज्यादातर चरितार्थ होता है, प्रेम या प्यार के संदर्भ में जिसमें लोग अपनी मान मर्यादा पारिवारिक संस्कार सभी को दांव पर लगा देते हैं।
और उनके मन में तनिक भी इसका पछतावा नहीं रहता उस समय उन्हें लगता है .। कि जो वह कर रहे हैं वह एकदम सही है ।अक्सर बाद में भले पछतावा हो किंतु, उस समय तो व्यक्ति में एक जुनून एक नशा सा छाया रहता है। यही कारण था की अवनी अपनी क्लास के पश्चात आज आर्ट्स डिपार्टमेंट की ओर पागलों की तरह दौड़ी चली जाती है ,वहां पहुंचने पर मयंक की क्लास लगती रहती है ,क्लास के बाहर खड़ी होकर मयंक का इंतजार करती है, कुछ देर क्लास लगने के पश्चात प्रोफेसर साहब क्लास से बाहर निकलते हैं उनके क्लास से बाहर निकलते ही झट से दौड़ कर अवनी मयंक क्लास में घुस जाती है। अवनी को अपनी क्लास रूम में देखकर मयंक घबरा जाता है। फिर वह देखता है अवनी उसकी ओर ही बढ़ी चली आ रही है, वह मन में सोचता है कि आज मैडम का गुस्सा क्या मुझ पर उतरेगा आज तो राजीव भी नहीं है, यही सोचता रहता है तभी अवनी उसके समीप आकर मयंक से कहती है हैलो मयंक कैसे होॽ मैं बोला मैं बिल्कुल ठीक हूं फिर अवनी नजर नीचे किए खड़ी रहती है तब से नीलम भी अवनी और मयंक के समीप आ जाती है मैंने पूछा यहां कैसे आना हुआ अवनी कुछ बोलती उसके पहले नीलम ने कहा तुमस ही मिलने आई है। यह सुनकर मयंक अवनी की ओर देखता है और पूछता है मुझसे कुछ काम था, अवनी नीचे देखते हुए कहती है हां जानना था कि राजीव आज कॉलेज क्यों नहीं आया मयंक अपने मन में सोचता है कि आज मैडम को लगता है अपमानित करने के लिए कोई मिला नहीं इसीलिए राजीव के बारे में जानने यहां तक दौड़ी आई मयंक बोला, आज सुबह ही मैंने राजीव से पूछा था की क्लास करने चलोगे तो उसने साफ मना कर दिया इसके पहले भी वह क्लास नहीं कर रहा था अवनी ने आश्चर्य से पूछा उसकी तबीयत तो ठीक है मयंक बोला पता नहीं दो दिन से तो ट्यूशन पढ़ाने भी नहीं जा रहा है सुबह ही बच्चे पूछने आए थे कि सर कब से आएंगे तो उसने कहा मैं फोन करके बता दूंगा आजकल तो उसका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता, पता नहीं कहां खोया खोया सा रहता है, अवनी सारी बातें सुनती है फिर अचानक से कहती है कि आज मयंक मैं भी तुम्हारे साथ तुम्हारे लांज चलूंगी, मयंक ने घबराकर कहा यह तुम कैसी बातें कर रही हूं लड़कों की लॉज में कहीं लड़कियां जाती है क्या ॽ तभी नीलम ने कहा कि तुम तो मयंक से मिलने आई थी मयंक से मिलभी ली तो अब तुम्हें उसके साथ उसके रूम में क्यों जाना हैॽ अवनी बोली मयंक के साथ मुझे राजीव से मिलने जाना है नीलम ने कहा पर क्यों अवनी थोड़ा झेपते हुए बोलती है, कि कहीं राजीव की तबीयत तो नहीं खराब हो गई इसीलिए मैं मयंक के साथ उसके रूम में जा रही हूं। मयंक अपने मन में सोचता है अच्छी मुसीबत है अगर यह मेरे साथ लॉज में गई तो लॉज में जितने लड़के देखेंगे वे सब हमारा भी तो मजाक उड़ाएंगे कि अपने रूम में लड़कियां लेकर ये लोग आते हैं। और हमारे चरित्र पर उंगली उठती मयंक ने तुरंत कहा नहीं मैं अपने रूम में आपको नहीं ले जा सकता चाहे आपको अच्छा लगे या बुरा लगे मैं बहुत साफ दिल का लड़का हूं ,आपकी वजह से मेरा किसी भी तरह से नाम खराब हो यह मुझे पसंद नहीं ,इसलिए मैं आपको अपने रूम में नहीं ले जा सकता हां इतनी मदद आपकी कर सकता हूं कि राजीव को यह जरूर बता दूंगा कि अवनी तुम्हें पूछ रही थी, मयंक के मना करने के बाद अवनी और नीलम अपने हॉस्टल की ओर लौट आती है ।उधर मयंक अपने लॉज में पहुंचकर अपने कमरे का दरवाजा खटखटाता है। दरवाजा खुलने में थोड़ी देर लगने पर मयंक बोला राजीव पढ़ रहे थे क्या ॽराजीव बोला नहीं यार वह रात में ठीक से नींद नहीं आई थी ,तो थोड़ा आंख लग गई, मयंक बोला रात में जब जल्दी सोओगे तब तो नींद आएगी तुम तो आधी रात तक तो चांद देखते बैठे रहते हो, तो नींद कहां से आएगी, तभी मयंक ने राजीव से कहा तुम्हारे लिए खुशखबरी है, राजीव ने पूछा क्या खुशखबरी है , मयंक बोला इतनी आसानी से तो मैं नहीं बताऊंगा, राजीव ने कहा ऐसी कौन सी बात है जिसके लिए तुम इतना भाव खा रहे हो, मयंक ने कहा यार चाय बना दे , चाय पीते पीते मैं तुझे वह खुशखबरी भी बता दूंगा हालांकि राजीव का मन नहीं था ,लेकिन उसने सोचा कॉलेज से आकर मयंक थक गया होगा इसलिए वह कह रहा है तो उसे चाय दे देनी चाहिए ।और जाकर किचन में चाय बनाने लगता है ,चाय बना कर राजीव दो छोटी गिलासों में लेकर आता है और रखता है ।मयंक उससे कहता है। की बात ऐसी है तू सुनेगा तो खुशी से उछल पड़ेगा, राजीव बोला ऐसी कौन सी बात है अब बता दो मयंक ने कहा आज अवनी और नीलम मेरे डिपार्टमेंट में सिर्फ यह पता करने आई थी कि राजीव कॉलेज क्यों नहीं आया, और अवनी तो मेरे साथ रूम पर भी आने को तैयार थी वह तो मैंने ही उसे अपने साथ लाने के लिए मना कर दिया ,राजीव ने कहा कि तुमने अवनी जी को क्यों मना किया मयंक बोला क्योंकि आपकी अवनी जी का कोई भरोसा नहीं क्या पता उनके दिमाग में कोई शरारत चल रही हो, और हम जबरदस्ती उसका शिकार हो जाये , राजीव बोला अवनी जी ऐसी लड़की नहीं है उसे समझने में तुम भूल कर रहे हो ,मयंक ने कहा तू उसके प्यार में पागल है, मैं नहीं मुझे खूब पता है कि बड़े घर की लड़कियां कैसी होती है ।वह हम जैसों के साथ कैसा व्यवहार करती हैं, राजीव ने कहा अच्छा यह सब बात छोड़ो पहले हमें यह बताओ कि अवनी जी ने कहा क्या मयंक बोला बस तुझे पूछ रही थी ,बाकी कुछ कहा नहीं अब तो राजीव कि सासे मानो अटक गई हो, उसकी दिल की धड़कनें मानो थम गई हो अब तो उसे यकीन हो गया था कि जिस तरह मुझे अवनी को देखकर कुछ होने लगता है वैसे ही लगता है ,अवली को भी होता है ,फिर अगले क्षण उसके मन में विचार आता है क्या पता यह उसकी मेरे प्रति सहानुभूति हो और मैं उसे प्यार समझ बैठा राजीव इसी कशमकश में रहता है मैं उसके चेहरे को देखता रहता है। आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रत्युत्तर और प्लीज लाइक शेयर और कमेंट करके हमें जरूर बताइए कि आपको यह कहानी कैसी लग रही है। 🙏🙏🙏 क्रमश: