व्यक्ति के मन और मस्तिष्क पर उसके आसपास की घटनाओं और सामाजिक परिवेश का उतना ही प्रभाव पड़ता है, जितना की सामने वाले के समझाने का ,
जिस प्रकार किसी सशक्त वक्ता का सामने वाले के मन मस्तिष्क पर पूरा तो नहीं किन्तु काफी कुछ प्रभाव पड़ जाता है, क्योंकि व्यक्ति समाज से अछूता तो रह हीं नहीं सकता।
समाज का उसके मन मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है, उसी परिपाटी को पीढ़ी दर पीढ़ी अपने आप कुछ बदलावों के साथ स्थान मिलता जाता हैं ।
अगर वह उसे उसी रूप में अपना लेता है तो वह रूढ़िवादिता के चंगुल में फंस जाता है, जिस से निकलना बड़ा मुश्किल या फिर यूं कहिए कि असंभव ही होता है।
इन बड़ी-बड़ी हवेलियों और ठाकुरों के संदर्भ में भी कुछ बातें आज भी उसी परिपेक्ष में सत्यं हैं किंतु उसका स्वरूप कुछ बदला हुआ रहता है ।
राजीव और अवनी के संदर्भ में अखंड ने बातचीत से मामले को शांत करने की बात जब ठाकुर साहब से कहीं तो ठाकुर साहब ने अपना साफ और स्पष्ट फैसला सुना दिया कि इस विषय में मैं खुद देखूंगा इस कारण अखंड प्रताप और रूद्र दोनों शांत होकर बैठ जाते हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि बाबा एकदम सही निर्णय लेंगे जिसमे किसी का कोई अहित तो नहीं होगा,
अखंड प्रताप ठाकुर साहब से फिर पूछते हैं कल अवनी को लेने शहर जाना है कि नहीं ठाकुर साहब ने कहा मैं खुद तुम्हें बता दूंगा जब तुम्हें अवनी को लेने शहर जाना होगा यह कहकर कर ठाकुर साहब शांत होकर बैठ जाते हैं ।
अखंड प्रताप चले जाते हैं। ठाकुर साहब कुछ देर शांत बैठे रहने के बाद ठकुराइन से पूछते हैं कि इस विषय में तुम्हारी क्या राय है ।
वे कहती हैं अवनी को अपनी हवेली वापस बुला लीजिए कुछ दिन हम उसके साथ थोड़ी सख्ती बरतेंगे और फिर धीरे-धीरे समय बीतने के बाद किसी अच्छे घराने में उसका विवाह करा देंगे।
फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा ,और किसी को कानों कान इस बात की भनक भी नहीं लगेगी ठाकुर साहब ठकुराइन की ओर देखते हैं और कहते हैं।
आज भी तुम बहुत भोली हो ठकुराइन कुछ समझ पाती उसके पहले ही ठाकुर साहब उठकर कमरे से बाहर निकल जाते हैं थोड़ी देर बाद ठाकुर साहब गांव के ही किसी शख्स से बात करते दिखते हैं।
उसके बाद घूमते टहलते ठाकुर साहब हवेली वापस आ जाते हैं और एकदम सामान्य होकर जैसे कुछ हुआ ही ना हो बैठ जाते हैं।
रात को सब लोग साथ में खाना खाते हैं, इस विषय में कोई कुछ नहीं बोलता ठाकुर साहब भी कोई चर्चा नहीं करते बल्कि ठकुराइन जाना चाहती थी कि ठाकुर साहब के दिमाग में क्या चल रहा है??
किंतु उनसे भी वह कोई सलाह मशवरा नहीं करते खाना खाने के बाद ठाकुर साहब कहते हैं कि कल आप अवनी को लेने शहर जाएंगे अखंड प्रताप ने पूछा बाबा कल ही???
ठाकुर साहब ने कहा परसों हवेली में हमने एक पूजा रखी है, जिस में सम्मिलित होने के लिए अवनी का भी होना आवश्यक है।
इसलिए आप अवनी को लेने शहर जाएंगे और हां नीलम को भी लेते आइएगा उस पूजा में अवनी रुद्र और आप तीनों बच्चों का होना जरूरी है ।
अखंड प्रताप ने सोचा लगता है बाबा अवनी को बुलाकर फिर हॉस्टल नहीं जाने देंगे ऐसा ही कुछ उन्होंने सोचा होगा और ठाकुर साहब से उन्होंने कहा ठीक है ।
मैं कल सुबह ही अवनी को लेने निकल जाऊंगा और रुद्र से भी कह दूंगा कि वह भी हम लोगों के साथ हवेली आ जाए कलावती सब की ओर ऐसी निहारती है जैसे वह कोई गैर हो, और अपने मन में सोचती है अगर पूजा थी तो मांजी ने मुझे एक बार भी नहीं बताया ,आखिर कौन सी पूजा हैं ????
जिसमें तीनों का होना जरूरी है वह सवाल भरी नजरों से ठकुराइन की ओर देखती है ठकुराइन नजरें नीचे कर लेती है, और कहती हैं ठाकुर साहब आपने मुझे भी नहीं बताया इस पूजा के विषय में ?
ठाकुर साहब ने कहा पंडित जी ने मुझसे बहुत पहले से कहा था किंतु यह पूजा काफी समय से टल रही है। हो सकता है इसी कारण से बच्चों के कुछ ग्रह नक्षत्र ठीक ना हो यह पूजा होने के पश्चात सारे ग्रह नक्षत्र अपने आप ही ठीक हो जाएंगे,
इसीलिए तीनों बच्चों का होना आवश्यक है। ठकुराइन सोच में पड़ जाती है यह कौन सी पूजा है जिसकी चर्चा कभी ठाकुर साहब ने हमसे भी नहीं की फिर मन में सोचती हैं।
कि अभी थोड़ी देर पहले ठाकुर साहब कहीं गए थे हो सकता है वह इस पूजा के विषय में ही पंडित जी से बातचीत करने गए हो। खैर जो भी हो अगर इस पूजा से अवनी की बुद्धि थोड़ा भी ठीक होती है तो इसे कराने में बुराई कुछ नहीं है। खाना खाने के पश्चात सब अपने अपने कमरे में चले जाते हैं।
ठाकुर साहब अपने बैठक में इधर-उधर टहलते रहते हैं एक अजीब सी बेचैनी उनको परेशान करती रहती है ठकुराइन ने कहा अब तो कल आप अपनी को अपने पास बुला भी रहे हैं।ग्रह शांति की पूजा भी करा रहे हैं ।
,अब आप परेशान बिल्कुल मत होइए अब सब कुछ अच्छा होगा भगवान ने चाहा तो सब कुछ पहले जैसा ही हो जाएगा ठाकुर साहब ने कहा हां ऐसा ही हो,
इधर अखंड प्रताप से कलावती पूछती है की कैसी पूजा है?? कौन सी पूजा है ?अखंड प्रताप ने कहा मुझे भी नहीं पता जब बाबा ने बताया तब मुझे भी पता चला कल सुबह मुझे निकलना है ।
कलावती चुप हो जाती है और करवट होकर सो जाती है सुबह तड़के उठकर अखंड प्रताप तैयार होकर अवनी को लेने के लिए जाने लगते हैं।
तभी ठाकुर साहब अखंड प्रताप के समीप आते हैं और कहते हैं अवनी अगर आने के लिए राजी नहीं होगी से कहना, की बाबा की बहुत इच्छा है कि तुम पूजा में अपने भाइयों के साथ जरूर शामिल हो
इतना कहकर ठाकुर साहब ने कहा अब जाओ रुद्र और अवनी दोनों को लेकर आओ अखंड प्रताप अपनी जीप निकालते हैं और शहर की ओर चल देते हैं।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽॽ 🙏 क्रमशः।।