किसी कार्य को करने के पहले उस कार्य में उसके कारण का होना निहित होता है,यह पूर्णता सत्य तथ्य है, ,किंतु अज्ञानता वश या फिर ऐसा होना निश्चित ही रहता है, ।
इस कारण व्यक्ति उसी ओर उन्मुख होता चला जाता है। प्राय: हम देखते हैं कि आम के बीज से आम ही पैदा होता है तो जब व्यक्ति जिस कार्य की ओर प्रवृत्त हो रहा है उसी का परिणाम उसके समक्ष आता है।
कुछ चीजें प्रारब्ध में पूर्व निर्धारित होती है। अवनी और राजीव के समीप पैदा हुई परिस्थितियां शायद किसी बड़े कार्य की ओर उन्हें अग्रसर कर रही थी।
अगर परिस्थिति बार-बार किसी एक व्यक्ति के समीप ले जाती है तो कहीं ना कहीं उसका उसके जीवन में एक विशेष महत्व रहता है। वही महत्व आज राजीव के मन में अवनी के प्रति बढ़ता जा रहा था,
अवनी तो अपने हॉस्टल पहुंच गई, किंतु राजीव लाख तर्क-वितर्क करने के बावजूद उसके मोहपाश से मुक्त नहीं हो पा रहा था, दूसरी तरफ से उसका मन मस्तिष्क को नई-नई दलीलें दे रहा था ।
जिसमें हर बार अवनी का पड़ला भारी पड़ रहा था। इसीलिए जब मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है तो व्यक्ति मन की सुनता है और मन तो सबसे पहले बेचैन हो जाता है, ।
वह मस्तिष्क को भी अपने साथ अशांत कर देता है। सब कुछ जानने के बावजूद भी आज राजीव की स्थिति वही हो गई थी, वह अच्छी तरह से जानता था कि यह गलत है।
, इसका परिणाम भी अच्छा नहीं होगा किंतु फिर भी मन यही कहता जो होगा देख लिया जाएगा, अभी से मैं डर के क्यों बैठ जाऊंl अचानक उसकी नजर घड़ी पर जाती है कॉलेज का समय हो गया था। मयंक तो कॉलेज जा भी चुका था।
वह उठा और जल्दी तैयार होने लगा। इधर परीक्षाएं निकट आ रही थी और राजीव मन ही मन सोचता है, कि बस आज से मैं सीरियस हो जाऊंगा बहुत हो गया अब अपना ध्यान भटकने नहीं दूंगा।
, किंतु नियति को तो कुछ और ही मंजूर था। इधर नीलम और अवनी भी तैयार हो कर कॉलेज पहुंचती है। क्लास में रिया दौड़ कर उनके समीप आती है और कहती है ।
कल तुम लोगों को काफी लेट हो गया था उसके लिए "आई एम सॉरी 'और कुछ लोग कह रहे हैं, कि कोल्ड ड्रिंक में कुछ नशीला पदार्थ मिला था, मुझे इसके बारे में कुछ भी पता नहीं?
खैर जिसने यह हरकत की होगी उसे मैं सजा तो अवश्य दूंगी इतना कहकर वह अपनी सीट पर जा बैठी, प्रोफेसर साहब क्लास में आए और परीक्षा की तिथि की उन्होंने घोषणा की,,,,
उसके बाद सभी छात्र छात्राएं परीक्षा को लेकर आपस में बातचीत करने लगे क्योंकि परीक्षा अत्यंत निकट थी, राजीव भी अपनी पढ़ाई को लेकर काफी चिंतित हो जाता है। अवनी तो पहले से ही अपनी पढ़ाई को लेकर काफी सीरियस थी उसे तो राजीव से आगे जाना था।
सेकंड पोजीशन सुनना उसे बिल्कुल पसंद न था इसलिए वह अपने पढ़ाई की तैयारी में जी जान से जुट गईl राजीव चाह कर भी अपने मन को अवनी की ओर जाने से नहीं रोक पा रहा था
, किंतु बीच-बीच में अपने मन को पढ़ाई की ओर ले जाता। हास्टल में परीक्षा के समय माहौल ही बदल जाता है। हर कोई अपनी तैयारियों में जुट जाता है।
परीक्षाएं शुरू हो गई, आज परीक्षा का आखिरी दिन था।इग्जाम के कारण राजीव कई दिनों से अवनी को नहीं देख पाया था।
आज सुबह से जाने क्यों उसका मन बेचैन हो रहा था, आज उसने सोचा कि वह अवनी से जरूर मिलेगा। किंतु जैसे ही एग्जाम खत्म हुआ अवनी तुरंत नीलम को लेकर अपने हॉस्टल चली गई ,
जब तक राजीव परीक्षा हॉल से बाहर निकलता अवनी अपने हॉस्टल जा चुकी थी। राजीव मन में सोचता हैं, इतनी जल्दी क्यों चली गई,?
क्या कहीं जाना था, ?या फिर उसकी तबीयत नहीं ठीक थी इसी उहापोह में राजीव सोचते हुए चल रहा था तभी उसे मयंक दिखाई दियाl राजीव को देखते ही, मयंक कहता है,,,
चल यार कैंटीन में कुछ खाते पीते हैं राजीव बुझे मन से कहता है। नहीं यार मेरा मन नहीं है। मयंक बोला क्या हुआ? तेरा पेपर खराब हो गया क्या?
नहीं यार आज मैंने सोचा था, कि आज कॉलेज के बाद अवनी से मिलूंगा, क्यों ?तुझे अवनी से कुछ काम था राजीव झेंपते हुए बोला, नहीं यार बस यूं ही ,पता नहीं क्यों,
वह इतनी जल्दी में थी कि पेपर खत्म होते ही तुरंत हॉस्टल की ओर चली गई, मयंक ने उसकी आंखों में अवनी के लिए झलकता प्यार देख लिया था,
फिर भी जानबूझकर कहता है, कि जब तुझे उससे कोई काम नहीं था, तो फिर मिलना क्यों था? राजीव मयंक की तरफ देखता है और सोचता है।
मैंने शायद कुछ ज्यादा ही बोल दिया मयंक कहता है, यार किस सोच में डूब गए ??मैं तो मजाक कर रहा था, राजीव शरमा जाता है।
इधर अवनी अपने पेपर को लेकर निश्चिंत थी उसके सभी पेपर बहुत अच्छे हुए थे ,आज तो वह इसलिए और भी बहुत खुश थी क्योंकि बाबा का फोन आया था।
, उन्होंने यह बताया की अखंड भैया को वह भेज रहे हैं, अखंड के साथ उसे घर आना था, अवनी नीलम से कहती है यार तू भी मेरे साथ घर चल, नीलम कहती है कि ,मैं भी तुम्हारे साथ घर चलती लेकिन मुझे लाइब्रेरी की किताबें जमा करनी है।
इसलिए मैं कल शाम को ट्रेन से आ जाऊंगी अवनी ने कहा किताबे किसी को दे-दे वह जमा कर देगा। नहीं मुझे ही जमा करनी पड़ेंगी क्योंकि वहां जमा करते समय साइन कराते हैं।
और लेते समय मैंने ही साइन की थी ,इसलिए मैं किसी को जमा करने के लिए नहीं दे सकती। अवनी अपने सामान को रखने में व्यस्त हो जाती है।
इधर नीलम खाना खाने के लिए मेस की ओर जाते हुए कहती है ।सामान रखकर तुम भी खाना खाने आ जाना, अवनी बोली तू चल मैं अभी थोड़ी देर में आती हूं, कुछ देर पश्चात अवनी भी मेस में खाना खाने पहुंच जाती है।
मेस में बहुत भीड़ थी क्योंकि आज एग्जाम समाप्त होने के बाद सारी लड़कियां एक साथ मेस में खाना खाने के लिए जाती है। इससे उनके दो काम हो जाते एक तो पेपर डिस्कस हो जाता और दूसरे खाना भी खा लेती ।
क्योंकि एग्जाम की जल्दी के कारण तो कईयो ने नाश्ता तक नहीं किया था, और आज तो एग्जाम खत्म होने के कारण सब एकदम फ्री महसूस कर रही थी।
तभी उन लड़कियों के शोर में वार्डन की आवाज गूंजती है वार्डन पुकारती हैं, अवनी सिंह ठाकुर, अवनी चहककर उठ जाती है, और बोल पड़ती है भैया आ गए,
, नीलम कहती है अरे हांथ तो धो ले कि ऐसे ही जाएगी अवनी हंसते हुए बेसिन में हाथ धुलने लगती है। फिर तौलिए से पोंछ कर नीलम से कहती है,
मैं चल रही हूं तू जल्दी आ, और मेस के बाहर निकल जाती है। वार्डन के ऑफिस की ओर आती है तो अखंड प्रताप एवं रुद्र प्रताप बैठे हुए थे।
अवनी को देखकर अखंड बोले सामान सब रख लिया ना अवनी ने कहा हां भैया तो चलो अभी मैं समान लेकर आती हूं, और अपने रूम में अपना सामान लेने चली जाती है। रूम में नीलम पहले ही पहुंच जाती है,
अवनी नीलम से कहती है तू भी चलती तो अच्छा रहता, हां मेरा भी मन था, लेकिन क्या करें लाइब्रेरी की किताब जमा करना जरूरी है।
नीलम और अवनी दोनों सामान उठाती हैं, अवनी कहती है ,अब परसों मुलाकात होगी नीलम बोली नहीं परसों नहीं क्योंकि उसके दो दिन बाद होली है।
तब तो मैं तेरे घर आऊंगी ही, दोनों बातें करती हुई हॉस्टल गेट तक पहुंच जाती हैं ।हॉस्टल गेट पर पहुंचकर नीलम अपने हाथ का सामान अवनी को पकड़ा देती है। और हाथ हिला कर उसे विदा करती है।
क्रमशः