"एक नशा एक जुनून एक पागलपन" अपने प्यार में सब कुछ खो देने की चाहत यही तो प्रेम का स्वरूप है।
,जिसके आगे माता-पिता समाज सभी को झुकना ही पड़ता है, अवनी और राजीव का प्रेम भी अब समर्पण के मोड़ पर पहुंच चुका था ।
दोनों एक दूसरे को दिलों जान से चाहने लगे थे बिना कुछ कहे ही एक दूसरे के मन की बात जान जाते उन्हें न समाज की फिक्र थी ना अपनी पारिवारिक प्रतिष्ठा एवं मान मर्यादा की,,,,,
उन्हें तो बस एक दूसरे में डूब जाने की ही आतुरता थी क्या प्रेम का यह स्वरूप समाज के दृष्टिकोण से सही है ॽ और यदि हां तो फिर उन सामाजिक रीति रिवाजों, मर्यादाओं माता पिता के सपनों का आधार क्या होगा??
, क्या माता-पिता का अपने बच्चों से यह आशा करना कि वह अपने रीति रिवाजों एवं मर्यादाओं का पालन करेंगे गलत है ॽ
खैर छोड़िए यह तो सामाजिक मुद्दे हैं चलते ही रहेंगे आइए अपनी कहानी पर वापस आते हैं,
अवनी को ना जाने क्यों आज बहुत सुंदर दिखना था अपनी कई ड्रेसेस निकालकर अवनी यह डिसाइड ही नहीं कर पाती कि कौन सी पहने वह नीलम को बुलाकर पूछती है l
नीलम कहती है तेरे ऊपर सब अच्छी लगती है तू कुछ भी पहन ले अवनी बोली ऐसे कैसे कुछ भी पहन लूं तो नीलम ने कहा इस बार जो तुमने होली पर पहनी थी वही पहन लो उसमें तुम बहुत सुंदर लग रही थी।
अवनी कहती है अरे नहीं उस ड्रेस में तो राजीव ने मुझे देखा है , मैं दूसरी ड्रेस पहनूंगी नीलम बोली जब तुम्हें करना अपने मन की है तो तुम मुझसे पूछती ही क्यों हो ?
अवनी कुछ नहीं बोली और अपनी तैयारी करने में लग गई इधर हॉस्टल की लड़कियां भी पार्टी में जाने के लिए तैयार होने लगी अब राजीव के मन में यह बहुत बड़ी कशमकश थी कि वह क्या पहन के अवनी के सामने जाए,,,,
राजीव ने बड़े प्यार से मयंक से कहा कि मयंक शाम की पार्टी के लिए मैं क्या पहनू, मयंक थोड़ा खींझते हुए कहता है यार पार्टी में कुछ भी पहन के चला चल उसमें क्या है ॽ,
राजीव ने दबी जबान में कहा अबनी जी भी पार्टी में होंगी मयंक ने गुस्साते हुए कहा तो तू ये क्यों नहीं बताता कि तुझे अवनी जी को इंप्रेस करने के लिए कोई अच्छी सी ड्रेस खरीदनी है,
राजीव मयंक की ओर देखकर मुस्कुरा देता है, मयंक बोला चल मैं तुझे अच्छी सी ड्रेस दिला देता हूं, राजीव ने कहा भाई बहुत महंगी नहीं चाहिए?
मयंक बोला पर तुझे चाहिए तो जरूर ही क्योंकि तुझे अवनी जी के सामने स्मार्ट जो बनना है, राजीव कुछ नहीं बोलता।
मयंक सोचता है कि इस अवनी के चक्कर में राजीव क्या से क्या हो गया हमेशा अव्वल आने वाला राजीव काफी नंबर कम होने के बाद भी इसे जरा भी चिंता नहीं कि वह कितना पिछड़ गया है।
,और अवनी ने इसका इस्तेमाल कर इससे आगे निकल गई मयंक अपने मन में दुखी हो जाता है उसको देखकर राजीव कहता है।
क्या बात है मयंक ?मयंक दुखी मन से कहता है कुछ नहीं और राजीव के साथ कपड़े खरीदने दुकान पर चला जाता है, राजीव गोरा, सुंदर और आकर्षक था,
उसने काले रंग की शर्ट खरीदी मयंक बोला पैंट नहीं लोगे क्या, इस पर राजीव ने उत्तर दिया नहीं, मयंक ने कहा कि लेलो पैसे मैं दे दूंगा, राजीव ने कहा नहीं पैंट मुझे नहीं लेना, शर्ट लेकर राजीव और मयंक वापस अपने लांज से आ जाते हैं,
शाम का समय सभी तैयार होकर बाहर जाने की तैयारी में लग गए थे सभी लड़कियों ने अपनें अपने रूम को लॉक किया और निर्धारित जगह पर सब जाने लगी,
अवनी और नीलम भी तैयार होकर उसी होटल में जाने के लिए निकलती हैं, हॉस्टल गेट से कुछ दूर बढ़ने पर उन लोगों को राजीव और मयंक रास्ते मिल जाते हैं।
राजीव और मयंक को देखकर नीलम पीछे से आवाज देती है। दोनों रुक कर उनके आने का इंतजार करने लगते हैं जैसे ही अवनी राजीव और मयंक के पास पहुंचती है।
राजीव को देखते ही वह अपनी सुध बुध खो देती है काली शर्ट में गोरा लंबी कद काठी का सुंदर नैन नक्श वाला राजीव सामने खड़ा रहता है,।
राजीव भी अवनी को नजर उठा कर देखता है अवनी उस समय किसी देवी से कम ना लग रही थी। मयंक ने अवनी की तरफ देखते ही कहा आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो।
अवनी ने राजीव की ओर देखकर कहा कि आज आप बहुत स्मार्ट लग रहे हैं अवनी के ऐसा बोलते ही राजीव खुश हो जाता है ।
मयंक उन लोगों की बातें सुनता रहता है,और कहता है तारीफ एक दूसरे की हो गई हो तो हम लोग होटल चले यह सुनकर जाने के लिए सब साथ में आगे बढ़ जाते हैं।
पूरी रास्ते राजीव और अवनी की नजरें एक दूसरे को देखती हुई होटल की तरफ जा रही थी नीलम और मयंक अपनी बातों में मस्त होकर चल रहे थे,
होटल पहुंचकर अवनी जाकर एक सोफे पर बैठ जाती हैं, धीरे-धीरे सभी लड़कियां और एकाध लड़के जिनको नीलम ने कहा था,आ जाते हैं,
नीलम ने देखा अपनी सोफे पर बैठी है नीलम जानबूझकर अवनी के पास जाती है ,और बिल्कुल उससे सट कर बगल में बैठ जाती है।
अवनी बोली नीलम तुम कहीं और बैठ जाओ नीलम जानबूझकर कुछ ना समझते हुए कहती है, क्यों यहां ठीक तो है ।
राजीव भी चुपचाप एक किनारे खड़ा रहता है, नीलम चुटकी लेती हुई कहती है क्यों यहां किसी और के बैठाने का इरादा था तुम्हारा अ्वनी बोली किसी को तो नहीं नीलम ने कहा मैं सब समझती हूं
और एक किनारे खड़े राजीव का हाथ पकड़कर अवनी के समीप बैठा देती है राजीव अवनी के बगल में बैठ कर डरा सहमा सा महसूस कर रहा था ।
उसके शरीर में जाने कैसे कप कपी सी लग रही रही थी ,क्योंकि कभी किसी लड़की के बगल वह इस तरह बैठ ना था,
अवनी को भी कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था कि सब लड़कियां इस ओर ही देख रही है जाने क्या अपने मन में सोच रही होंगी अवनी जैसे ही उठने लगती है राजीव पीछे से अवनी की ड्रेस पकड़कर उसको बैठा देता है,
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे प्रतिउतर 🙏🙏 क्रमशः।।।।।।