सारे भाव मनुष्य के मन के भीतर ही रहते हैं ।कौन कब किस भाव से किसी व्यक्ति को देखता है ,यह उसकी इच्छा पर निर्भर रहता है, ॽ
नहीं शायद उसमें उसकी इच्छा नहीं चलती हां यह जरूर होता है कि, व्यक्ति भावनाओं में न बहे किंतु भावनाएं तो भावनाएं है, वह उसे बहाती तो जरूर है ,
कोई थोड़ा ज्यादा कोई थोड़ा कम, किंतु बहते तो सभी हैं।जो अवनी आज तक अपनी पढ़ाई को लेकर इतनी ज्यादा सजग थी कि( कहीं बाबा को पता चल जाएगा तुम तो वह मेरी पढ़ाई बंद करा देंगे )वह किसी भी लड़के से बात भी नहीं करती थी फिर आज उसने जो महसूस किया वह क्या थाॽ क्यों राजीव के चले जाने के बाद उसकी आंखों के सामने सिर्फ उसकी निगाहें घूमती रहीं उस एक नजर में ऐसा क्या था, जिसने उसको एकदम बेचैन कर दिया था, वह चाह कर भी सामान्य व्यवहार नहीं कर पा रही थी, क्यों उसके मन में उसी नजर को दोबारा देखने की चाह पैदा हो जाती है ,खुद नहीं समझ पा रही थी कि ऐसा उसके साथ क्यों हो रहा है। राजीव से उसका सामना तो बहुत बार हुआ था, लेकिन ऐसा तो कभी नहीं हुआ कि राजीव का चेहरा उसके सामने से हट ही ना रहा हो चेहरे से ज्यादा राजीव की नजर ने उसके ऊपर जादू कर दिया था। उधर राजीव सोचता है कि आज तो अवनी मुझ पर नाराज भी नहीं हुई ,और जिस निगाह से उसने मुझे देखा उससे मैं एक अजीब सी बेचैनी महसूस कर रहा हूं और उसकी ओर आकर्षित होता जा रहा हूं, राजीव बहुत देर तक इसी उधेड़बुन में बैठा रहता है ,तभी उसकी मां कहती है। कल सुबह उठकर जैसे आज फूल ले आया था लेते आना सारे के सारे फूल बिक गए और अच्छे पैसे भी मिले राजीव कुछ बोला नहीं बस हां में सिर हिला दिया, उधर नीलम अवनी से कहती हैं ।कि आज शाम को वह अपने घर चली जाएगी क्योंकि एक हफ्ते बाद ही कॉलेज खुलने वाला है। कुछ दिन अपने मम्मी पापा के साथ रहेगी वह तो होली के कारण अकेले बोर होती इसलिए अवनी के यहां हवेली चली आई, अवनी बोली मैं अखंड भैया से कहती हूं कि तुझे घर तक पहुंचा देंगे नीलम बोली तू परेशान ना हो आंटी ने पहले ही अखंड भैया से कह दिया है ।वे शाम को हमें पहुंचा देंगे, नीलम अपनी जाने की तैयारियां करने लगती है। अपने कपड़े वगैरह बैग में डालती हैं। अवनी भी उसकी मदद करती है। नीलम कहती है अगर कुछ छूट जाता है, तो तू हॉस्टल आते समय लेती आना अवनी बोली तेरी पैकिंग में कुछ छूट ही नहीं सकता नीलम हंस देती है, और अपना सामान रखने में व्यस्त हो जाती हैं। शाम को नीलम तैयार होकर बाहर निकलती है, और ठकुराइन से कहती है आंटी अखंड भैया कहां है तभी अखंड प्रताप अपने कमरे से नीलम की आवाज सुनकर बाहर आते हैं, और कहते हैं बड़ी जल्दी तैयार हो गई नीलम बोली हां भैया हमें छोड़कर आपको लौटना भी हैं ,नहीं तो लौटने में आपको देर हो जाएगी और कलावती की तरफ देखकर कहती हैं, तब भाभी कहेंगी कि इस घर की नंदे बड़ी खराब है ,कलावती मुस्कुरा देती है ।और नीलम भी हंस देती है। अवनी सोचती है मुझे पता नहीं क्या हो गया है ।मैं नीलम को यह बात बताऊं कि ना बताऊं लेकिन बताऊं भी तो क्या बताऊं ॽ और नीलम के साथ बाहर आती है, नीलम जीप में बैठ जाती है ,और अखंड प्रताप के साथ अपने घर की ओर चली जाती है। नीलम के जाने के बाद अवनी काफी अकेलापन महसूस करती है ,क्योंकि नीलम हर समय उसके साथ साए की तरह रहती थी। अखंड प्रताप नीलम को पहुंचा कर वापस आते हैं और रात में सब लोग एक साथ डाइनिंग टेबल पर खाना खाने बैठ जाते हैं। खाना खाते समय ठकुराइन कहती हैं, कि कॉलेज खुलते ही तो पढ़ाई शुरू नहीं हो जाएगी, ना हो अवनी तुम कुछ दिन रुक कर तब कॉलेज जाओ इस पर अवनी कहती है कि नहीं मां कॉलेज खुलते ही पढ़ाई शुरू हो जाएगी, रुद्र बोला रिजल्ट के एक हफ्ते बाद तक कहां ढंग से क्लास से लगती हैं। मां कह रही है तो तू एक हफ्ते और रुक कर तब जा अवनी रुद्र की की तरफ घूर कर देखती है। और कहती है एक हफ्ते और आप ही रुक जाइए भैया क्योंकि मेरी तो क्लास लगेगी फिर मुझे फिजिक्स केमिस्ट्री कौन समझाएगा मैं तो जाऊंगी अखंड प्रताप बोले मां कोई न कोई सब्जेक्ट की क्लास तो होती ही रहती है ।आप यहां रोक कर क्या करेंगी ठकुराइन बोली मैं सोच रही थी कि मेरी दूर की मौसी का लड़का विदेश से पढ़कर मुझसे मिलने हवेली आ रहा है, तो अवनी भी रहती तो ठीक रहता रूद्र बोले इसके यहा रहने की क्या जरूरत है। इतने सारे नौकर चाकर तो है ,अवनी बोली मैं कोई नौकर थोड़ी हूं , रुद्र प्रताप बोले इसीलिए तो मां तुझे रोक रही है ठकुराइन बोली नहीं मैं इसको इसलिए नहीं रुक रही हूं मैं चाहती हूं कि मेरी मौसी का लड़का एक बार इसको देख ले ताकि पता चल जाए कि उसको यह पसंद आती भी है कि नहीं अखंड बोले किस लिए पसंद कराना है मां, ठकुराइन बोली ठाकुर साहब को तो इसकी पढ़ाई के अलावा कुछ समझ आता नहीं आखिर इसका ब्याह भी तो करना है। रूद्र ने मुस्कुराते हुए अवनी को देखा अवनी मुंह बनाकर कहती है रुद्र भैया बड़े है पहले उनका ब्याह करा दीजिए और उठ कर चली जाती है। ठाकुर साहब बोले शरमा गई , अखंड बोले अगर अवनी नहीं रुकना चाहती तो उसे जाने दीजिए हफ्ते भर रुकना कोई जबरदस्ती है क्या ॽ ठकुराइन बोली कैसी बात करते हो इस पर अखंड ने कहा जिस दिन आप कहेंगे उस दिन मैं जाकर अवनी को ले आऊंगा और फिर दूसरे दिन छोड़ दूंगा, उसके लिए पूरा हफ्ता खराब करने की क्या जरूरत है। ठाकुर साहब बोले अखंड ठीक ही तो कह रहा है एक हफ्ते रखने क्या जरूरत है ।ठकुराइन बोली आप समझते नहीं साथ रहने से दोनो एक दूसरों की भावनाओं को समझेंगे दोनों एक दूसरे के स्वभाव को जानेंगे तब अगर सब कुछ सही रहा तो मैं अपनी मौसी से रिश्ते की बात कर सकती हूं ,क्योंकि बहुत बड़ा घराना है और कई स्टेट में इनकी कोठियां है ,और लड़का अपने मां बाप का अकेला वारिस है। अपनी बेटी राज करेगी हो सकता है विदेश भी चली जाए क्योंकि लड़का तो वही सेटल है ठाकुर साहब चुपचाप सुनते रहते हैं, और फिर कहते हैं एक बार अवनी से पूछ लो जैसा वह कहेगी वैसा ही हम सब करेंगे ठकुराइन गुस्सा हो जाती हैं, और कहती हैं भला कोई सयानी लड़कियों से इस तरह पूछता है ।उन्हें तो बताया जाता है कि ऐसा कर लो ठाकुर साहब जो तुम्हें उचित लगे वह करो हां एक बात और अवनी जिद्दी बहुत है ,मानेगी नहीं मना सकती हो तो मना लो, ठकुराइन बोली मनाने के मुझे बहुत तरीके आते हैं। उसकी चिंता आप लोग ना करें मैं मना लूंगी, और अवनी को आवाज देती है, अवनी भीतर से आती है, ठकुराइन कहती हैं तू खाना खा और बड़े प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहती हैं देख आज मैंने तेरी पसंद का खाना बनवाया है। अवनी कुछ नहीं बोलती और सब लोग चुपचाप खाना खाने लगते हैं।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽ क्रमशः