कभी-कभी व्यक्ति के सामने जो चीज जैसी दिखाई देती है, वह उसको उसी रूप में ग्रहण करने लगता है । उसे यह जरा भी समझ नहीं आता कि परिस्थितियों को बदलने में समय नहीं लगता, अवनी के सामने सारी चीजें उसी रूप में दिखाई पड़ती है ,जैसे वह पहले थी किंतु उसे जरा भी आहट नहीं लगती की कब किसकी परिस्थितियां बदल गई, यह वह स्वयं भी नहीं जानती, अवनी और नीलम को राजीव के रूम में आए बहुत समय हो गया राजीव की जरा भी इच्छा नहीं कर रही थी कि अवनी अभी उसके कमरे से बाहर जाए ,किंतु मयंक परेशान था कि जितनी जल्दी हो अवनी यहां से चली जाए अवनी के यहां आने से नीलम भी खुश नहीं थी, लेकिन अवनी के बड़े जोर देने पर वह आ तो गई थी, किंतु बार-बार अवनी को चलने के लिए कह रही थी। अवनी राजीव का हाथ पकड़ कर इस तरह बैठी रहती है मानो वह उसकी सारे दर्द को दूर कर देगी अवनी के आने के बाद से राजीव के अंदर एक नई उमंग सी पैदा हो जाती है।
इधर अखंड प्रताप गाड़ी लेकर हवेली से शहर की ओर चल देते हैं । गाड़ी इतनी तेज चलाते हैं फिर भी उनको पता नहीं क्यों आज यह सफर बहुत लंबा लगता है, व्यक्ति जब गुस्से और परेशानी में होता है तो कोई भी सफर उसे काटने में बहुत वक्त लग जाता है, हालांकि वक्त उतना ही लगता है, किंतु उसे ऐसा महसूस होता है कि रास्ते खत्म ही नहीं हो रहे हैं। आज कुछ ऐसी स्थिति अखंड प्रताप के सामने बनी हुई थी । इतना तेज चलने के बावजूद उन्हें लग रहा था कि हॉस्टल आ ही नहीं रहा है, नीलम और मयंक बार-बार घड़ी देखते रहते हैं और अवनी तो जैसी अपनी सारी सुध बुध खो देती है, और राजीव को तो पहले से ही होश नहीं था दोनों एक दूसरे के हाथों को कसकर पकड़े बैठे रहते हैं, तभी नीलम ने खिड़की से बाहर झांका और देखा बाहर अंधेरा है नीलम घबरा कर बोली अवनी शाम होने को आई अगर कहो तो मैं अकेली ही हॉस्टल चली जाऊं अब मुझसे नहीं रहा जा रहा है। मेरे दिल की धड़कने बहुत तेज हो रही है ,जाने क्या होने वाला है। हो सकता है अखंड भैया हॉस्टल में आ भी गए हो, अवनी बावरी बनी कहती है नीलम मेरा जाने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा है, नीलम बोली तुझे तो कुछ नहीं होगा, हां राजीव की जान जरूर जाएगी आज, नीलम की बातों का समर्थन मयंक भी करता है । मयंक अवनी से कहता है ,कैसी लड़की हो तुम किसी की जान लेकर मानोगी क्याॽ क्यों गरीब के पीछे पड़ी हो छोड़ दो उसे और जाओ यहां से ,अवनी बोली हम ठाकुर है हम किसी को छोड़ने के लिए नहीं पकड़ते मयंक गुस्से से कहता है अब मेरे रूम से आप लोग जाइए, राजीव अवनी को समझाता है, जाओ मैं बिल्कुल ठीक हूं ,और अवनी उठकर नीलम के साथ बड़े बुझे मन से अपने हॉस्टल चली जाती है। जो अवनी राजीव को अपने बगल खड़ा करने में अपनी मर्यादाओं को ठेस पहुंचना मानती थी,आज वही अवनी राजीव के कमरे में राजीव के बिस्तर पर राजीव के साथ बैठने में भी अपनी शान समझती है । यह अंधा प्रेम जो व्यक्ति के विवेक पर ऐसा हावी होता है कि उसे कुछ सोचने समझने की शक्ति ही नहीं देता उसे कुछ समझ ही नहीं आता कि क्या सही है और क्या गलत l
नीलम और अवनी हॉस्टल में पहुंच जाती है, तभी वार्डन उनके रूम में आती हैं। और पूछती हैं कहां गई थी आप दोनों लोग? अब डर के मारे नीलम की हालत खराब हो जाती है, वह घबराकर कहती है मैडम अपनी फ्रेंड से मिलने गए थे वार्डन ने कहा आपको बता कर जाना चाहिए, आज दोपहर में आप दोनों ने लंच भी नहीं किया नीलम सोचती है , आज ही इतनी इंक्वायरी क्यों हो रही है इतना तो कभी वार्डन ने नहीं पूछा फिर आज ऐसा क्या हो गया, तभी वार्डन बोली अवनी आपके घर से दो बार फोन आया लेकिन आप अपने कमरे में थी ही नहीं ,अपने घर फोन करके इन्फॉर्म करिए कि आप हॉस्टल आ गयी हैं। अवनी ने वार्डन की ओर देखते हुए कहा जी मैडम बात कर लेती हूं ,और उसके बाद वार्डन कमरे से उठकर बाहर चली जाती है। नीलम और अवनी ने चैन की सांस ली और कहा बाप रे बाप मेरी तो हालत खराब हो गई मैंने सोचा क्या हो गया अवनी कहती है इतना क्यों तुम डरे जा रही हो इसके पहले तो तुम मुझे बड़ा ज्ञान देती थी नीलम ने कहा तुमने काम ही ऐसा किया है। जो किसी को भी डरा दे जाने कहाँ से तुम में हिम्मत आ गई,
दोनों बैठ कर बातें ही करती रहती है तभी वार्डन फिर कमरे में आती है और कहती हैं अवनी सिंह ठाकुर जाइए आप के भाई आए हैं और आपसे मिलना चाहते हैं, अवनी को अच्छी तरह पता था कि अखंड भैया आयेंगे जरूर अवनी अखंड प्रताप से मिलने जाती है, पर पता नहीं क्यों आज अखंड प्रताप के सामने जाने की उसकी हिम्मत ही नहीं पड़ती फिर नीलम के कहने पर वह ऑफिस में जाती है। सामने अखंड प्रताप बैठे रहते हैं ।अवनी की हिम्मत ही नहीं पड़ती नजर उठा कर देखने की नजरें झुकाए ऑफिस के दरवाजे पर खड़ी हो जाती है, अवनी को देखते ही अखंड प्रताप गुस्से से खून का घूंट पीकर रह जाते हैं ,और बड़े प्यार भरे शब्दों में अवनी से कहते हैं ,आओ यहां मेरे पास बैठो अवनी अखंड के पास आती है और बैठ जाती है, अखंड प्रताप बोले बाबा ने कहा है कि मैं तुम्हें घर लेकर आऊँ अवनी बोली क्लास के बीच में कैसे जा सकती हूं, अभी क्लास चल रही है ,अखंड प्रताप मन में सोचते हैं कि हमें खूब पता है कि कौन सी क्लास चल रही है लेकिन ऊपर से मुस्कुराते हुए कहते हैं ,ज्यादा दिन की बात नहीं है एक-दो दिन रहना फिर मैं वापस तुम्हें खुद छोड़ जाऊंगा चाहो तो नीलम को भी अपने साथ ले लो अवनी सोचती है, कि नीलम को अगर मैं साथ में लेकर जाती हूं तो यह लोग मुझे आने देंगे वरना कहीं ऐसा ना हो कि मेरी पढ़ाई छुड़ा दे और मुझे वापस हॉस्टल आने ही ना दें और खुश होकर कहती है, हां भैया ठीक रहेगा मैं नीलम को साथ लेकर चलती हूं आप एक मिनट बैठिए मैं अपना सामान और नीलम को बता कर नीलम के साथ आती हूं अवनी का खुश चेहरा देखकर भी अखंड प्रताप को कोई खुशी नहीं हुई जाने क्यों आज उनको अवनी का चेहरा तनिक भी अच्छा नहीं लग रहा था, वह अपने मन में एक अपराध बोध महसूस कर रहे थे और सोच रहे थे कहीं ना कहीं मैं भी इस हालात का जिम्मेदार हूं ना मैं अवनी को शहर आने की इजाजत देता और ना यह सब होता।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहें प्रतिउतर 🙏क्रमशः।।