प्रत्येक मनुष्य कभी न कभी कोई न कोई गलती अवश्य करता है किंतु कुछ गलतियां छम्य में होती है तथा कुछ अछम्य,,,,,
राजीव ने भी ऐसी कोई गलती की नहीं थी जितना उसके विषय में अवनी और राजीव दोनों सोच रहे थे रंग खेलने के पश्चात राजीव अपने घर जाता है।
और अपनी मां से बोलता है अम्मा तुम्हें ठकुराइन ने बुलाया है। जाकर होली की त्यौहारी ले आना, राजीव की मां कहती है तू क्यों नहीं लेकर आया ??
राजीव बोला ,मैं लेकर आता किंतु मेरे ऊपर सबने रंग डाल दिया तो फिर मैं कैसे लेकर आता खाने पीने की चीजें थी, खराब हो जाती अभी मुझे हवेली फिर जाना है।
राजीव की मां बोलती है अब क्या लेने जाना है ।वह ठाकुराइन ने खाने पर बुलाया है। केशव चारपाई पर पड़ा उन दोनों की बातें सुन रहा था।
केशव अपनी पत्नी से बोलता है। राजीव ठीक ही तो कह रहा है जाकर तुम ही हवेली में ठकुराइन के यहां हो आना तुम बड़ी हो सयानी हो राजीव का जाना तो बच्चों के तले आ जाएगा,,,
उसकी पत्नी कुछ बिगड़ कर कहती है, राजीव अभी आपको बच्चा लग रहा है। अभी हाथ पीले किए होते तो दो बच्चों का बाप होता
, केशव टोकते हुए कहता है क्यों ऐसी बातें करती हो? पहले राजीव अपनी पढ़ाई पूरी करेगा फिर मैं उसका विवाह करूंगा, राजीव की मां बोली मेरी बात तो सबको बुरी लगती है।
किंतु पूरी बिरादरी में राजीव के उम्र के लड़कों के विवाह हो गए हैं। तुम्हें वह अभी बच्चा ही लग रहा है। केशव कुछ नहीं बोलता राजीव की मां भीतर चली जाती है।
राजीव भी नहाने धोने चल देता है। उधर हवेली में अभी भी होली चल ही रही थी कोई किसी को पहचान नहीं पा रहा था सबरंग में ऐसे सराबोर थे ।
तभी ठकुराइन आवाज देती हैं। आप सब लोग अब रंग बंद करिए ,नहा धोकर भोजन पानी भी होगा ठाकुर साहब बोले हां भाई समय बहुत हो गया ,अब हमें भी नहाने जाना चाहिए?
ठाकुर साहब के उठते ही , धीरे-धीरे सभी लोग कम होते गए एक दो बचे थे, वे भी लड़खड़ाते हुए अपने घर की ओर निकल गए,
बारी बारी घंटों सबका नहाना शुरू हुआ उसके पश्चात रंग खेलने और थकान के कारण सबको भूख अत्यधिक लगी थी ।कुछ को तो भांग के कारण भूख बहुत तेज लगी थी।
।नीलम और अवनी नहा धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहन कर डाइनिंग टेबल पर खाना खाने बैठ जाती हैं। तभी बाहर से कोई आवाज आती है ।
अखंड देखते हैं, बाहर राजीव खड़ा रहता है। अखंड प्रताप अपनी मां से बोलते हैं, मां राजीव आया है। ठकुराइन कहती हैं ,हां उसे बाहर बरामदे में बैठने को खोल दो मैं उसका खाना वही भिजवा देती हूं ,।
डाइनिंग टेबल पर नौकर खाना सजा रहे थे ठाकुर साहब अवनी ,नीलम अखंड प्रताप रुद्र प्रताप और ठाकुर साहब के पुराने मित्र भी शामिल थे,
तभी ठकुराइन अवनी को आवाज देती हैं ।और कहती हैं किचन से खाना लगवा कर बाहर राजीव को दे दो अवनी उठने लगती है ,नीलम भी उसके साथ उठती है, दोनों किचन की ओर जाती हैं ।
।राजीव का खाना निकलवा कर बाहर लेकर आती हैं बाहर बैठक में देखती हैं राजीव एक कुर्सी पर किनारे बैठा रहता है उसकी नजरें झुकी हुई रहती हैं ,
नीलम जब नजदीक पहुंचती है तो कहती है अब ठीक हो ?राजीव बोला मुझे माफ कर दीजिए मैं कभी भांग वाली ठंडाई नहीं पीता वह तो अखंड भैया ने पकड़ा दी ,,,
तो मैं संकोच में मना नहीं कर पाया, और उसी के नशे में मैंने आप लोगों के गालों पर गुलाल लगा दिया नीलम कहती है कोई नहीं यह सब तो चलता है।
राजीव उसके उत्तर से थोड़ा संतुष्ट हुआ, फिर अवनी की ओर देखने लगता है। अवनी कोई उत्तर नहीं देती राजीव धीरे से पूछता है
,आपने हमें माफ किया? अवनी कुछ कहती इसके पहले ठकुराइन की आवाज आती है, राजीव ठीक से खाना खा लेना राजीव कहता है , जी,,,,
अवनी वहां से चुपचाप चली जाती है, और जाकर सबके साथ डाइनिंग टेबल पर बैठती है। नीलम राजीव के पास खड़ी होकर उससे बात करती रहती है तभी अवनी आवाज देती है ,आवाज सुनकर नीलम भी अवनी के पास चली आती है। राजीव चुपचाप खाना खाने लगता है । और अपने मन में सोचता है ,कि अवनी को गुलाल लगाते अगर किसी ने देख लिया होगा तो क्या होगा? फिर दूसरे क्षण सोचता है कि अगर किसी ने देखा होता तो कोई कुछ न कुछ कहता जरूर इसका मतलब किसी ने कुछ नहीं देखा इसी उहापोह में वह खाना खा रहा थ। किंतु अवनी के कुछ न बोलने के कारण वह बेचैन हो रहा था ।इधर डाइनिंग टेबल पर सबने खाना खा लिया था। और कुछ देर के लिए सब आराम करने चले गए ठकुराइन राजीव से कहती है ।कि घर जाते समय मुझसे मिलकर जाना राजीव मन में थोड़ा भयभीत हो जाता है कि अब किसलिए ठकुराइन ने मुझे बुलाया है। राजीव खाना खाने के बाद अन्दर ठकुराइन के कमरे की ओर जाने लगता है तभी रुको !!!!!!!!!!! पीछे से आवाज़ आई राजीव पलटा तो देखा हवेली का नौकर था, पास आकर उसने पूछा कहां जाना है । राजीव ने कहा ठकुराइन ने बुलाया था, उनके कमरे में जाना है। नौकर बोला तो भैया यहां कहां? यह तो अवनी बिटिया का कमरा है। अवनी का नाम सुनते ही राजीव ठिठक गया ,और उसने नौकर से पूछा कि किधर जाऊं नौकर दाहिने हाथ की तरफ इशारा कर के चला गया दाहिने हाथ पर थोड़ी दूर जाकर एक बहुत बड़ा हाल दिखा वह हाल के दरवाजे के पास जैसे ही पहुंचा ठकुराइन बोली आ जाओ राजीव हाल में जाता है वह हाल किसी पांच सितारा होटल से कम न था। ठकुराइन ने एक बड़ा सा थैला राजीव को पकड़ाया और बोली आज केशव हवेली आने की स्थिति में नहीं है ।किन्तु उन्हें और अपनी मां को यह नये कपड़े मेरी ओर से दे देना बहुत सेवा की है उन्होंने हमारे परिवार कि ,इसलिए यह हमारा फर्ज है। और हां जाते समय बायी तरफ के कमरे में नीलम है ।उसे कुछ फूल और मालाएं चाहिए कल के लिए उससे पूछते हुए जाना, राजीव बोला जी ठकुराइन और ठकुराइन के पैर छुए तथा ,वहां से निकल गया। वहां से निकलकर बायी कमरे की तरफ राजीव जाता है । किन्तु जाने क्यों उधर जाते समय उसके दिल की धड़कनें अचानक तेज हो जाती है, कमरे के दरवाजे के बाहर खड़े होकर वह नीलम- नीलम आवाज देता है। राजीव की आवाज पहचान कर नीलम और अवनी दोनों सकते में आ जाती है ।और आपस में कहती हैं अरे यार इसको क्या हो गया ,यह तो यहां तक चला आया इस पर अवनी गुस्सा कर कहती है, तू रुक मैं इसे देखती हूं और दरवाजा खोलती है। राजीव कुछ बोलता उसके पहले अवनी गुस्से से उसकी ओर देखती है ।और कहती है, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे कमरे तक आने की अपनी औकात में रहो उससे आगे बढ़ने की कोशिश भी मत करना वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा, एक बार मैंने गलती समझ कर छोड़ क्या दिया तुम तो एकदम पीछे ही पड़ गए शायद तुम्हें पता नहीं है की हवेली के कुछ नियम है।। और उन नियमों का पालन सभी पूरी तत्परता से करते हैं। अगर तुमको किसी ने यहां इस तरह खड़े देख भी लिया तो, तुम्हारी खैर नहीं राजीव कुछ बोलता उसके पहले अवनी ने उसका हाथ पकड़ा और लगभग थोड़ा खींचते हुए हल्का सा धक्का देते हुए कहती जाओ तुरंत बाहर निकल जाओ, तब तक नीलम भी आ जाती है। और कहती है अवनी रुको ,इसकी बात तो सुन लो अवनी कहती मुझे इसकी कोई बात नहीं सुननी, मुझे इससे बात भी नहीं करनी है ,क्यों जबरदस्ती घूम फिर के मेरे आस पास आ रहे हो ।अगर किसी ने देख लिया तो इसका तो कुछ नहीं मेरी पढ़ाई लिखाई सब बंद हो जाएगी। राजीव अपने किए पर बहुत शर्मिंदा था ।किंतु उसने जानबूझकर तो ऐसा कुछ नहीं किया था। उसे तो ठकुराइन नहीं ऐसा करने के लिए कहा था, वह समझ नहीं पा रहा था, कि नीलम और अवनी को कैसे बताएं कि वह फूल पूछने आया था। नीलम राजीव से बोली तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था। यह हवेली है कॉलेज की बात और थी ,राजीव कुछ बोलता उसके पहले अवनी तेज आवाज में कहती हैं जाओ और तुरंत यहां से निकल जाओ इसके पहले कोई आए तुम यहां से चले जाओ राजीव चुपचाप वहां से निकल जाता है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽॽ 🙏 क्रमशः