कभी कभी व्यक्ति ऐसे भंवर में फंस जाता है कि वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता, ऐसा ही कुछ रूप प्रेम करने वालों के समक्ष देखा जाता है।
वह यह नहीं चाहता कि मेरा प्रेम स्पष्ट रूप से किसी को दिखाई दे, सिवाय उसकी प्रेमिका के किंतु परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं। ना चाहते हुए भी उसके चेहरे उसके हावभाव उसके दीवानेपन से हर कोई समझ जाता है।
कि व्यक्ति प्रेम में पड़ गया है। कुछ ऐसा ही लक्षण राजीव में भी लोगों को दिखने शुरू हो गए थे, मयंक जब जब कहता राजीव से कि तुझे अवनी से प्यार हो गया है,
तब तब राजीव ऊपर से यही जताने की कोशिश करता कि नहीं मुझे किसी से कोई प्यार व्यार नहीं हुआ किंतु उसकी हालत देखकर कोई भी कह सकता था, कि उसको अवनी से कहीं ना कहीं प्यार हो चुका था।
या तो वह इस बात को मानना नहीं चाहता था या लोगों के सामने लाने से डरता था, कारण जो भी हो उस की बढ़ी हुई दाढ़ी अलसाये बदन जाने कहां खोई हुई आंखों से यह स्पष्ट हो रहा था कि कुछ तो इसके जीवन में सामान्य नहीं है।
क्योंकि प्रेमी जन सामान्य जन तो होते नहीं, मीरा कृष्ण की प्रेम में बावरी बनके घूमने लगी थीl
परीक्षाएं समाप्त हो चुकी थी, लगभग सभी छात्र अपने घर जाने की तैयारी में जुट गए थे, क्योंकि कुछ दिन बाद होली का त्यौहार था। इस कारण छुट्टियां भी ज्यादा पड़ रही थी, मयंक ने राजीव से पूछा तू कब निकलेगा घर के लिए मैं तो आज शाम को जाऊंगा
, राजीव किसी सोच में बैठा था, अचानक ऐसे घबराकर हां बोला जैसे किसी ने उसके ऊपर एक बाल्टी ठंडा पानी डाल दिया हो ,
मयंक बोला यार तू कहां खोया रहता है, इस पर राजीव कहता है कहीं नहीं तूने जो कहा वह मैंने सुना हां तो फिर बता तू कब जाएगा,,,
राजीव बोला तू आज शाम को जाएगा मैं कल चला जाऊंगा मयंक बोला ठीक है। जैसी तेरी मर्जी, हॉस्टल में अवनी के चले जाने के पश्चात नीलम अपने आप को बहुत अकेला महसूस कर रही थी
, ऐसा नहीं था कि हॉस्टल में लड़कियों की कमी थी किंतु दोनों हमेशा साथ साथ रहती थी इसलिए नीलम को अकेले कमरे में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था।
वह सोचती है आज जाकर यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरी का काम जरूर निपटा दूंगी, ताकि कल घर निकल सकूं ऐसा सोचते हुए बाथरूम की ओर चली जाती है।
थोड़ी देर बाद तैयार होकर नीलम कॉलेज लाइब्रेरी की ओर जाती है। इधर राजीव का मन बिल्कुल नहीं लग रहा था पता नहीं क्यों बार-बार उसके मन में यही विचार आ रहा था।
कि ऐसा क्या हुआ?? की एग्जाम के तुरंत बाद सीधे अवनी हॉस्टल चली गई, कहीं बीमार तो नहीं है यह सोचकर उसका मन घबराए जा रहा था।
। फिर अचानक उठा और कपड़े पहन कर सोचा जाकर थोड़ी देर लाइब्रेरी में कुछ किताबें पढ़ लूंगा तो मन थोड़ा शांत होगा, पता नहीं क्यों ?
?रह रह कर अशांत हो जा रहा है। राजीव लाइब्रेरी पहुंचता है ।आज पहले के अपेक्षा बहुत कम भीड़ थी ।राजीव रैक में पुस्तके देखने लगा तभी उसकी नज़र न्यूज़पेपर पर पड़ी उसने सोचा पहले न्यूज़ पेपर पढ़ लूं
तब कोई किताब पढ़ूं और वह न्यूज़ पेपर पढ़ने बैठ जाता है। तभी उसकी नजर अचानक लाइब्रेरियन से बात करती हुई नीलम पर पड़ी वह तुरंत अपनी कुर्सी से उठकर नीलम को आवाज देता है।
नीलम उसे देखते ही अरे राजीव तुम यहां घर नहीं गए क्या? राजीव बोला जाऊंगा कल की ट्रेन है राजीव नीलम को देखकर बहुत कुछ पूछना चाह रहा था ,
किंतु उसके शब्द होंठ तक आकर बाहर नहीं निकल रहे थे, इस बात को जाने कैसे नीलम समझ गई फिर खुद से ही बोली अवनी तो कल ही घर चली गई !
राजीव ने तुरंत पूछा क्यों बीमार थी क्या? नहीं बीमार क्यों होगी बीमार हो उसके दुश्मन तो फिर परीक्षा के तुरंत बाद हॉस्टल क्यों चली आई ??
नीलम को अब लगने लगा कि राजीव को कहीं ना कहीं अवनी से कुछ तो लगाव अवश्य है। वरना इतने उतावले पन से ना पूछता आगे नीलम बोलती है ,।
कल अखंड भैया और रुद्रभैया दोनों लोग हॉस्टल आए थे अवनी उन्हीं के साथ घर गई होली का त्यौहार भी है। अब उसके बाद ही वापस आएगी।
राजीव ने नीलम से कहा आप घर नहीं गई मुझे लाइब्रेरी में कुछ काम था, इसलिए मैं अवनी के साथ ना जा सकी लेकिन आज शाम को मैं चली जाऊंगी,
तभी लाइब्रेरियन ने नीलम को आवाज दी आइए साइन करिए और किताब जमा कर दीजिए नीलम साइन करने चली जाती है । और किताबों को जमा करने लगती हैl
राजीव न्यूज़पेपर पढ़ते-पढ़ते सोचता है कि मैं तो खामखा डर गया था, चलो अब तसल्ली हुई थोड़ी देर बाद राजीव वहां से उठकर अपने कमरे में चला जाता है।
मयंक सामान रख रहा था ।राजीव ने पूछा कुछ खाना हो तो बना दूं मयंक बोला नहीं मैंने खाना ऑर्डर कर लिया है, अपना भी और तेरा भी और हां अब तक तू कहां था ।
अरे मैं लाइब्रेरी में था। तो बता कर जाना चाहिए मैं यह सोच सोच कर परेशान हो रहा था कि तू जाने कहां चला गया? राजीव हंसते हुए तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा
, मयंक बोला तेरी अवनी सिंह ठाकुर मिली कि नहीं, राजीव बोला तू ऐसे क्यों बोलता है। मैं सच में लाइब्रेरी में न्यूज़ पेपर पढ़ रहा था ।
वैसे भी वह घर चली गई है। ओहो तुझे बड़ा पता है कहते हुए मयंक जोर जोर से हंसने लगता है। उसको इस तरह हंसता देख राजीव को थोड़ा गुस्सा आता है ।
किंतु वह चुपचाप बैठ जाता है। उधर अवनी अपने घर पहुंच चुकी थी। जैसे ही गाड़ी दरवाजे पर रुकी अवनी बाबा बाबा चिल्लाते हुए हवेली में घुसती है।
ठकुराइन बोलती हैं, लीजिए आ गई आपकी दुलारी बिटिया ठाकुर साहब तुरंत उठ कर बाहर निकलते हैं ।अवनी दौड़ कर उनसे चिपक जाती हैं ।
।ठाकुर साहब उसको गले लगा लेते हैं। तभी ठकुराइन आती हैं। अवनी उनको दोनों हाथ से कसकर पकड़ कर गोल गोल नचा देती है। ठकुराइन कहती हैं लड़कियों वाले तो कोई लक्षण ही नहीं है।
, इसमें जब देखो कूदती रहती है। फिर भाभी भाभी चिल्लाते हुए आंगन की ओर अवनी चली जाती हैl सभी उसके पीछे पीछे आते हैं।
अवनी की आवाज सुनकर उसकी भाभी कलावती बाहर निकल आती हैं ,और कहती हैं अरे आ गई आप और उसको प्यार से गले लगा लेती हैं। किसी एक व्यक्ति के ना रहने से हवेली में इतनी शांति कैसे रह सकती है।
और उसी के आज आने पर इतनी चहल-पहल मानो हर तरफ शोर ही शोर हो रहा हो हर कोई अवनी से बात करते नहीं थक रहा है ।
चारों तरफ से घेर कर सब बतियाते रहते हैं, और वह अकेली बोलते बोलते नहीं थकती तभी ठकुराइन कहती है जा हाथ मुंह धुल कर कपड़े बदल ले।
तुम थक गई होगी तुम्हें पूरी रास्ते बैठे-बैठे सफर करना पड़ा है ठाकुर साहब का बस चलता तो क्लास रूम से ही तुझे बुलवा लेते अवनी तो कौन सा क्लास रूम से नहीं बुलवाया जैसे ही पेपर खत्म हुआ मैं खाना खा ही रही थी।
तभी अखंड भैया पहुंच गए, और मैं उनके साथ सीधे चली आई तो इसको क्लास रूम तुमसे बुलवाना ही तो कहते हैं। अवनी का तर्क सुनकर सभी हंस पड़े। ऐसा लगा मानो हवेली की रौनक वापस आ गई हो।