कुछ चीजें व्यक्ति स्वयं ही महसूस करता है उसे महसूस करने के लिए किसी सहारे की जरूरत नहीं होती,,,
, भले वह जानबूझकर अनजान बना रहे ,किंतु यह उसे भी पता होता है। कि उसके मन में अगले के लिए क्या भाव है ॽप्रेम के संबंध में ऐसा हमेशा होता है।
, कि व्यक्ति सामने वाले के भाव को इतनी अच्छी तरह समझता है ,जितना वह व्यक्ति स्वयं के भाव को न समझता होगा ,आज अवनी को भी कुछ ऐसा ही एहसास होता है।
जो उसने अपने जीवन में कभी महसूस ही नहीं किया था ।बार-बार जाने क्यों उसका ध्यान राजीव की ओर बरबस चला जा रहा था,
उसके दिलो दिमाग ने तो जैसे काम करना ही बंद कर दिया हो, उसके सामने बस राजीव की वही आंखें घूम रही हैं उसी आंखों को देखने के लिए उसका दिल बेकरार हो जाता है ।
डाइनिंग टेबल पर सबके साथ हुई बात का उसके ऊपर उतना असर नहीं पड़ा, जितना मंदिर में राजीव की ओर देखते हुए उसकी और राजीव की नजरों का मिलना ।
वह बस यही सोच रही थी, कि अभी तो हफ्ते भर हैं ,कॉलेज जाने में हफ्ते भर वह कैसे रहेगी ?,क्या राजीव उसके हवेली में दोबारा आएगा? फिर सोचती है ,
वह आएगा ही क्योंॽ इसी उधेड़बुन में अवनी चुपचाप बैठी रहती है। उधर राजीव सुबह सवेरे उठकर बगीचे में फूलों को लेने चला जाता है ।
और ढेर सारे फूल एकत्र करके अपने घर वापस लौटता है ,उसकी मां फूलों को देख कर खुश हो जाती है , और कहती है आज तो मैं बहुत ढेर सारी मालाएं बनाऊंगी ,
आज तू भी मेरे साथ बाजार चलना हम दोनों मिलकर फूल और माला बेचेंगे , राजीव कुछ कहता इससे पहले केशव चारपाई पर लेटे लेटे बोलता है।
अगर तुम पैसे के चक्कर में राजीव को अपने साथ बाजार ले जाओगी तो ठाकुर साहब के बगीचे में काम करने कौन जाएगा??
कम से कम जब तक छुट्टी है, तब तक थोड़ा बगीचे में हाथ पैर मार लेने दो, उसके बाद मेरी तबीयत हो सकता है थोड़ी संभल जाए तो मैं हवेली जाकर बगीचे की देखरेख करूंगा।
इस पर केशव की पत्नी बोली, ठाकुर साहब की हवेली में राजीव शाम को चला जाएगा ,मैं तो इससे इस वक्त चलने के लिए कह रही हूं ।
हवेली में तो आप भी दोनों टाइम नहीं जाते थे, केशव बोला त्यौहार और कई दिन न जाने के कारण बगीचे में फूल सूख रहे होंगे,
कई दिनों से किसी ने पानी भी नहीं दिया होगा, केशव की पत्नी बोली राजीव शाम को चला जाएगा सारी चिंता तुम्हें ही है हवेली में बहुत नौकर चाकर है।पानी तो ठाकुर साहब ने दिलवा ही दिया होगा,
ऐसा कहकर उसकी पत्नी राजीव से बोली जाओ तैयार हो जाओ और खुद भी जाने की तैयारी करने लगी, राजीव चुपचाप अपनी मां के साथ फूल लेकर बाजार चला जाता है।
अवनी सोचती है कि राजीव मेरे विषय में क्या सोचता होगा? ,जिस तरह से मैंने धक्का देकर उसको हवेली के बाहर किया और हमेशा उसका अपमान किया वह तो मुझे एक बिगड़ैल लड़की ही समझता होगा,,,
, तभी ठकुराइन अवनी के कमरे में आती है, और अवनी को चुपचाप बैठे देख कर पूछती है। क्या हुआ मेरी लाडो को?? अब अवनी कहें तो क्या कहें उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था,
कि उसको क्या हो गयाॽ अवनी के बगल में ठुकराईन आ कर का बैठ जाती हैं। और बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहती हैं।
यह जो मेरी दूर की मौसी लड़का हमारे घर आ रहा है , हर तरह से तुम्हारे लिए ठीक है। और काफी मॉडल ख्यालात होने के कारण तुम्हारी पढ़ाई भी बंद नहीं होगी,,,
, तुम अपनी शिक्षा पूरी करती रहना अवनी चुपचाप सुन तो रही थी सब ,किंतु उसका मन कहीं और था, मां आगे कहती है। जब तुम उससे मिलोगी तो तुम्हें उसके स्वभाव के बारे में खुद ब खुद पता चल जाएगा ।
इसके लिए तुम्हें एक हफ्ते रुकना पड़ेगा अवनी अचानक से उठी और कहती है, मां मैं नहीं रुकूंगी और फिर इतनी जल्दी क्या है ,शादी की?? ग्रेजुएशन के बाद भी तो हो सकती है।
ठकुराइन बोली हां हो सकती है। लेकिन यह जाने समझे लोग हैं और जाना समझा रिश्ता है ,लड़का भी क्वालीफाई वेल सेटल है, तो हम ऐसा रिश्ता अपने हाथ से क्यों जाने दे,??
अवनी बोली तुम देख समझ लेना उसको जब आप अखंड भैया स्को भेजेंगे मैं उनके साथ चली आऊंगी उसके लिए मैं हफ्ते पर यहां नहीं रुक सकती मेरी पढ़ाई का बहुत नुकसान हो जाएगा ।
फिर मैं पिछड़ जाऊंगी तुम मेरी बात समझती क्यों नहीं, ठकुराइन हर तरह से अवनी को समझाने का प्रयास करती हैं। किंतु अवनी किसी भी हालत में 1 हफ्ते के लिए रुकने को तैयार नहीं होती।
, ठकुराइन समझ जाती हैं की अवनी को मैं इस तरह से नहीं रोक सकती अब मुझे कुछ दूसरा उपाय करना पड़ेगा क्योंकि सबकी चहेती है सब ने सिर चढ़ा रखा है ,
जहां सबके सामने दो चार बार कहेगी सब उसी की हां में हां मिला देंगे ,तब मैं कुछ कर भी नहीं पाऊंगी यह सोच कर ठकुराइन उस समय अवनी के कमरे से बाहर चली जाती हैं।
,किंतु उनके दिमाग में कुछ तो चल रहा था। शाम के समय सब अपने-अपने काम में व्यस्त थे अवनी चुपचाप अपने कमरे में पड़ी रहती है।
तभी कलावती अवनी के कमरे में जाती हैं और पूछती हैं ।आपकी तबीयत तो ठीक है। अवनी कहती है पता नहीं भाभी कुछ अच्छा नहीं लग रहा है,
कलावती बोली नीलम चली गई ना आप दोनों हर समय साथ साथ रहती थी ,इसीलिए अकेलापन महसूस हो रहा होगा अवनी बोली शायद आप ठीक कह रही हैं ,
कलावती बोली बाहर बागीचे में थोड़ा टहल लीजिए आपको अच्छा लगेगा कलावती अच्छी तरह जानती थी कि अवनी रिश्ते की बात से परेशान है ।
किंतु वह जानबूझकर नीलम का नाम लेती है। अवनी बोली भाभी मेरा बाहर जाने का मन नहीं है सिर कुछ भारी सा है मैं चुपचाप लेटी हूं।
कलावती कमरे से बाहर आ जाती है तभी बगीचे में, राजीव काम करने के लिए आता है, ठकुराइन गोपाल से कहती है गोपाल बगीचे में जा राजीव आया है उससे कह दे सारे पौधों में ठीक से पानी डाल दे ।
और कुछ नए पौधे रखे हुए हैं उनको भी लगा दे पता नहीं कब केशव आएंगे काम पर गोपाल बोला जी ठकुराइन और बगीचे की ओर चल देता है।
तभी अवनी के कान में राजीव शब्द पड़ा जिसे सुनकर वह अचानक से उठती है और बिजली सी दौड़ती हुई बगीचे की तरफ जाती है,।
उसे इस तरह जाता देख कलावती की नजर उस पर पड़ती है और वह मन ही मन सोचती है चलो अच्छा है उठ तो गई अब थोड़ा बगीचे में टहल लेंगी तो इनका सिर हल्का हो जाएगा,।
बगीचे में पहुंचते ही सामने उसे राजीव दिखाई देता है, वो चुपचाप झूले पर जाकर बैठ जाती है, अचानक झूला चलने की आवाज से राजीव का ध्यान उस और जाता है।
, अवनी राजीव को एक टक ध्यान से देखती रहती है ।राजीव सकपका आ जाता है, और नजर नीचे कर लेता है। फिर काम करते करते राजीव की नजरें अवनी की ओर जाती हैं ।
अवनी उसे कुछ बीमार सी लग रही थी, लेकिन चाह कर भी वह अवनी से बोल नहीं पाता, तभी वहां ठाकुर साहब आ जाते हैं।
अवनी घबरा जाती है और झूले से उठकर कहती है अरे बाबा ॥ठाकुर साहब बोले मैंने सुना तुम्हारे सर में दर्द है, ॽ कल की बात से तुम परेशान तो नहीं हो ॽ
मैं वही काम करूंगा जो तुम्हें पसंद होगा राजीव चुपचाप सुनता रहता है, अवनी बात करते करते बीच-बीच मे राजीव को भी देखती जा रही थी।
उसे ऐसा लग रहा था मानो उसको दिल को बड़ा सुकून मिल रहा हो, राजीव के मन को भी अवनी को देखकर बड़ी शांति मिली।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए प्रतिउत्तर ॽॽ