जिस प्रकार किसी मकान की नीवं उस मकान की मजबूती को बयां करती हैं ठीक उसी प्रकार परिवार की नीवं बुजुर्गों पर टिकी हुई होती हैं बुजुर्ग ही परिवार की एकता को बनाये रखते है वो बात अलग है की आज बुजुर्गों को केवल बोझ समझा जाता है किंतु उनके द्वारा कमाई गई व कठोर परिश्रम से ऐक्त्रिरित करी गयी सम्पत्ति पर सभी अपना हक जमाते है किंतु जिन बुजुर्गों ने हमे यह सब संपत्ति विरासत में दी है उनसे हम आदर तो दूर की बात है ठीक भाषा में बोलते भी नही आज के समय में पारिवारिक विरासत ही सबसे बड़ा झगड़ का कारण है सभी को इसमे अपना हक चाहिये थोड़ा कोई लेने को तय्यार नही सभी को सारी विरासत चाहिये फिर चाहे वो इसके लिये कारावास भी जाने को तय्यार है
"मनुष्य यह भूल रहा है की पारिवारिक विरासत केवल सांसे चलने तक ही सिमित है सांसे बंद होने के बाद इंसान के पहने हुये कपडे भी उतार लिये जाते है पारिवारिक विरासत तो बहुत दूर की बात है"|