जिस प्रकार हम साल भर में किसी विशेष तिथि को अपना जन्म दिन, सालगिराह इत्यादि मनाते रहते है | ठीक उसी प्रकार हर साल में पितृपक्ष प्रारंभ होते है | ये वो सुनहरे अवसर होते है |
जब हमे अपने मृत पूर्वजों के प्रति कुछ करने का अवसर मिलता है इंसान अपने व अपनी संतान के लिये नित्य कुछ न कुछ करता ही रहता है | किन्तु जो पूर्वज हमें जमीन,जायदाद इत्यादी का भौतिक सुख देकर के गये है | जिन्ही की बदौलत आज हम ऐश्वर्या का सुख भोग रहे है | हमारा भी कर्तव्य बनता है की हम उनके नीम्मित कुछ न कुछ अवश्य करे | इसके लिये जहां तक हो सके गायत्री मंत्र अथवा भगवद्गीता का पाठ करे ज्यादा से ज्यादा जो उन्हे तृप्त व शन्ति प्रदान करने का एक अचूक उपाय का काम तो करेगा ही वरन आपके भी परिवार मे खुश हाली का माहोल भी बनाये रखने का काम भी करेगा |