जिस प्रकार इंसान को सांस लेने के लिये दिल व फैफडो का इस्तेमाल करना पड़ता है ठीक उसी प्रकार आज के आधुनिक युग में इंटरनेट इंसान का दिल व फैफडा बन चुका है जहां आप इसके बिना सांस तक ले नही सकते हैं फिर वो चाहे बच्चों की ऑनलाइन क्लास हो या वर्क फ्रॉम होम हो या कोई भी ऑनलाइन कार्य ही क्यों न हो बिना इंटरनेट केआज कुछ भी संभव नही है इंटरनेट से ही चंद घंटो का काम चंद मिनटो में किया जा सकता है लेकिन आज के युग में जहां इंटरनेट का उपयोग इन्सान के कार्य को आसान कर रहा है वही इसका गलत उपयोग भी जोरो शोरों से हो रहा है इंसान एक शहर से दूसरे शहर में बैठे कहीं से भी दंगे करवा सकता हैं वो भी इंटरनेट के ही जरिये अब वो इन्सान की प्रकर्ति पर निर्भर है की वो इसका सदुपयोग करता है या फिर दुर्पयोग |