इस धरती को ईश्वर ने बनाया है और ईश्वर की ही एक सुन्दर रचना का नाम है इंसान जिसे ईश्वर ने बल और बुद्धि दोनो को विकसित कर इस धरती पर भेजा है ताकि इंसान अपनी बुद्धि से सही और गलत में अंतर कर सके अब बात करे बागेश्वर धाम की तो ईश्वर का प्रचार प्रसार करना कोई बुरी बात नही है किन्तु ईश्वर से बढ़कर के धामों का संचालन कर रहे गुरुओं को ही सब कुछ मान लेना वह अंधविश्वास है इस भारत देश में गुरु परंपरा का स्थान बहुत ही सर्वोपरि रहा है किन्तु आज के समय में गुरु उस पदवी पर खरा नही उतरता जैसा की इस देश की गुरु शिष्य की परंपरा में रहा है गुरु की परिभाषा क्या है-" सबसे पहले इसको समझे "जो भौतिक सर्व सुख संसाधनो से परे है वही गुरु है अर्थात अरबों की गाड़ी व अरबों के मकान में बैठा गुरु गुरु नही है वह केवल अपना व्यापार कर रहा है अगर जनता ऐसे गुरु का चुनाव करती है तो उसे
कहीं ना कहीं विपरित परिणामों का सामना भी करना पड़ सकता है अर्थात आप जिस किसी भी धर्म से हो उस धर्म के ईश्वर में अपनी आस्था मरते दम तक रखे आपको कहीं जाने की आवश्यकता नही है उतार- चढ़ाव इंसान को तोड़ते नही अपितु: जीवन की परिभाषा को बताते है इसलिये जिस किसी भी ईश्वर को आप मानते है उसमे अपना सर्वस्व बलिदान व आस्था रखने की अगर आप में दर्ड इच्छा है तो कोई भी मुसीबत आपका बाल भी बाँका नही कर सकेगी |