प्रकर्ति ने इंसान को बनाया है इंसान ने प्रकृति को नही बनाया है इसलिये विकास के चलते देश में आय दिन पहाडों को तोड़ा व वृक्षों की निरंतर कटाई के चलते इंसान ने प्रकृति को अपने स्वार्थ के चलते कहीं का नही छोड़ा है जिस प्रकार हर सजीव वस्तु को आघात करने पर पीड़ा होती है ठीक उसी प्रकार प्रकृति पर हो रहे आय दिन अत्याचार पर प्रकृति भी दर्द से रोती है इंसान इस कलयुग में इतना भ्रष्ट व अंधा हो चुका है की अपने स्वार्थ के चलते प्रकृति को भी नही बक्श रहा है एक तरफ तो हम नारा लगाते है की पेड लगाओ पर्यावरण बचाओ दूसरी तरफ अपने स्वार्थ के लिये निरंतर पेड़ों की कटाई होती है जिस प्रकृति के नजारे व जिस प्रकृति की गोद में इंसान अपने सुख शन्ति व एकांत के लिये घूमने जाया करता था वो दिन दूर नही अगर निरंतर पहाड़ नदियों व वृक्षों को ऐसे ही क्षति पहुँचती रही तो आने वाले समय में प्रकृति का
नाम ही रह जायेगा इस धरती पर और तो और प्रकृति पर हो रहे आघात के चलते प्रकृति इस धरती को ही अपने अन्दर समा लेगी अर्थात प्रकृति पर ऐसे ही अत्याचार होता रहा तो एक दिन सब समाप्त ही हो जायेगा जिसकी यह शुरुआत और जिसका यह जीता जागता उदाहरण उत्तराखंड में जोशीमठ में हो रहे भूस्खलन की शुरुआत का नजारा पूरी दुनिया के सामने शुरू हो चुका है |