सभी बुद्धिजीवी लोगों को आपने यह तो कहते सुना ही होगा की "युवा ही इस देश का भविष्य है "| पर क्या यह बात आज के समय में सत्य होती दिखायी दे रही है तो जवाब होगा नही राज्य कोई भी हो सरकार किसी भी राज्य की कही भी क्यों ना हो वो चाहे वर्तमान में स्थित हो या फिर पहले रह चुकी सरकारे हो सभी को अपनी सियासत की रोटियां सेकनि है और उन्हीं सियस्तों से भरी रोटीयों को वह जनता को खिलाती है एक बार युवा के हालात पर अगर सरकार गौर फरमाये तो बहुत ही दर्द भरी दास्तान है युवाओ की जिनमें युवा व युवतियां दिन रात पढ़कर के अपने परिश्रम के बल से स्कूल व कॉलेज में अव्वल आते है उसके बाद भी वह नही रुकते अपने जुनून से प्रतियोगी परीक्षा को भी वह उत्तरीण करते है और बदले में युवा व युवतियों को परीक्षा रद्द व परीक्षा लीक जैसे परिणाम प्राप्त होते है सरकारे कहती है की बेरोजगारी को दूर
कर देंगे जबकी कड़वा सच तो यह है की सरकारे ही नही चाह की बेरोजगारी दूर हो क्योंकि अगर बेरोजगारी दूर हो जायेंगी और सभी अपना काम ईमानदारी से करने लगेंगे तो भ्रस्टाचार से प्राप्त धन कौन कमाएगा और उसी भ्रस्टाचारी रुपी धन से हवेलियाँ कौन बनाएगा इसलिये यहां सभी एक ही थाली के चट्टे बट्टे है सरकार पांच साल के लिये आती है और अन्तिम चुनाव के समय ही इन्हें भर्तियां याद आती है और युवा व युवतियां याद आते है बाकी के चार साल ये मौज का लुत्फ उठाते है जब तक अन्दर व बाहर से सभी के लिये कठोर कानून नही बनता फिर चाहे तो कितना भी बड़ा पद क्यों ना हो अपराधी को अगर कठोर दंड के चलते दंडित नही किया जाता तो इस भारत देश में बेरोजगारी हो व चाहे कोई भी समस्या क्यों ना हो किसी भी समस्या का समाधान नही हो सकता |
सरकारे केवल वोट बैंक साधती है व अन्तिम पांच वर्ष पूर्ण होने के चलते इन्हें भर्तियां याद आती है और युवा व युवतीयाँ याद आते है बल्कि होना यह चाहिये की जो जिस योग्य है उसे जल्द से जल्द नौकरी दे दी जावे बिना देरी किये लेकिन ये तब तक संभव नही जब तक नेता व सरकार अपनी सोच नही बदलते युवाओ के प्रति उनका दर्द व उनका परिश्रम नही देखते उनके माता-पिता की हालत को नही देखते की किस किस हालत के चलते युवा व युवतियाँ अपने माता-पिता का सपना पूरा करने के लिये किन हालातों में कैसे कैसे परिश्रम करके आगे बढ़ते है और सरकार इनके सपनों को चकनाचूर कर देती है |