हम हर साल कोई ना कोई दिवस मनाते ही रहते है किंतु आज के विषय के अनुसार क्या समाज व देश दुनिया में आज बालिका सुरक्षित है तो जवाब होगा नही जहां इस विषय पर तमाम राजनीती भी होती रहती है बुद्धिजीवी नेता भी इस विषय पर खुलकर बोलते रहते है किंतु समाधान इस विषय का अब तब कोई साकार होता नजर नही आ रहा है जहां आज के समय में बालिका हर क्षेत्र में अपना वर्चस्व दिखा रही है और देश व समाज के लिये एक उदाहरण प्रस्तुत कर रही है किंतु क्या आज बालिका सुरक्षित है अनिष्टकारी नजरे कहीं ना कहीं बालिकाओं पर नजर गड़ाए खड़ी है और उनका शिकार करने की योजना बना रही है जब तक एक ऐसा कठोर कानून जो सभी के लिये बराबर नही बनता तब तक बालिका दिवस बनाना सार्थक नही हो सकता |