सभी देश के इन्सान व सभी देश की राजनीती के बड़े- बड़े प्रख्यात व बहुचर्चित इन्सान फिर वो चाहे राष्ट्रपति हो या प्रधानमंत्री हो या कोई भी क्यों न हो सभी इसी बात पर बल देते है की "अहिंसा न हो " किन्तु फिर भी हिंसा किसी न किसी कारणवश हो ही जाती है उसका सबसे बड़ा कारण यह भी है की "जब तक इन्सान शक्ति के लालच के वशीभूत होकर के दूसरे को अपनी शक्ति से समाप्त करने की मानसिक्ता नही छोड़ता तब तक हिंसा समाप्त नही होगी अब चाहे कोई भी देश हो वह जहां तरक्की पैसा खर्च करता है अपनी आवाम के लिये वही वह सबसे ज्यादा खर्चा अस्त्र शस्त्र पर करता है अस्त्र शस्त्र किसी भी देश की सेना को उसकी मजबूती प्रदान करने के लिये होता है किन्तु अब ऐसा नही दिखायी दे रहा है अब चाहे कोई भी देश हो वर्चसव की भूख सभी देशों की इतनी बढ़ चुकी है की वह युद्ध के लिये तय्यार है |
फिर वो चाहे कितनी भी बर्बादी का सामना क्यों ना देख ले किन्तु युद्ध के लिये तय्यार है सभी देश "जबकी युद्घ केवल बर्बादी का नाम है यह केवल बर्बादी लाता है जिसका जीता जागता उदाहरण है अमेरिका द्वारा किया गया हिरोशिमा व नागासाकी पर हमला जहां आज भी युद्घ की भयावह तस्वीर देखने को मिलती है इसलिये सभी देश मिल जुल कर रहे और अपनी आवाम की तरक्की पर पैसा खर्च करें ना की एक दूसरे पर युद्ध कर एक दूसरे को बर्बाद करे |