हमारे सनातन धर्म में कई रीति रिवाज है जिनका सदियों से पालन होता आ रहा है और हम सभी अलग-अलग त्यौहार व रीति रिवाज से बँधकर के इन रीति रिवाज व त्योहारों का सम्मान कर आनंद की अनुभूति प्राप्त करते है जैसे की स्त्रियों के प्रमुख त्योहारों में है करवाचौथ अर्थात करवाचौथ का अर्थ है करवा +चौथ- जिसमे की एक मिट्टी के करवे में सुहागन जल भरकर के उसका पूजन करती है व रात्रि को चांद देख देखकर व चांद को अर्घ देकर के अपने पति को जल पिलाकर के व्रत को पूर्ण करती है एक व्रत और होता है जिसे हम वट सावित्री के व्रत से जानते है उसकी महिमा यह है की जैसे सावित्री ने सत्यवान के प्राण यमराज से वापस प्राप्त कर लिये थे अपने पतिव्रता व्रत व अपनी पतिव्रता नारी व अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से इस व्रत को सावित्री व्रत की संज्ञा दी है जिसमे की स्त्री एक वट के पेड़ पर कच्चे धागों से परिकर्मा प्राप्त कर अपने
पति की लंबी आयु की कामना करती है यह सनातन धर्म की विशेषता ही है जहां आज भी ऐसे व्रत मौजूद है जिनका अगर सच्चे मन से पालन किया जावे तो आज भी चमत्कार होते है सनातन धर्म और भारत जैसे देश में जन्म लेना अपने आप में ही गर्व की बात है चंद पंक्तियां करवा चौथ के व्रत पर प्रार्थी द्वारा लिखी इस प्रकार है- " नारी अपने त्याग से |
नारी अपने बलिदान से |
हर मुश्किल को करती आसान है |
यह वो शक्ति है |
यह वो अवतार है |
प्राण अपने पति के यमराज से भी जो ले
आये वापस |
यह वो पतिव्रता नारी का अवतार है |