असीम शून्य के भीतर
जो पसरा है भयानक सन्नाटा
है अभी भी उनमें आग
पर शून्य के बाहर
जो कोलाहल मच रहा है
इस दावानल को वह
कैसे ठंडा कर सकती है
इस जमीं के भीतर
और आकाश के मध्य
विस्फोटों की गूंज से
तूफानों का दौर उठा है
और बच्चों की चीखों में
या गर्भ की चेतनाओं में
ना उनकी आंखें देख पाती है
ना कान ही सुन पाते हैं
यहां से वहां तक
कटी फटी लाशों के बीच
कई गिद्घ मंडरा रहे हैं
और आसमां को छेद करती चीखें
टैंकों के आगे बेबस है
सही निशाने पे
ना पक्षी उड़ पा रहे हैं
ना बच्चे खेल पा रहे हैं
कुछ है मेरे तुम्हारे भीतर
जो नहीं है उनके भीतर
कि युद्ध के खतरे
युद्ध के बाहर जितने हैं
उतने उनके कैंपों में नहीं हैं
तभी तो वे हवाओं में फोड़ रहे हैं
पेप्सी कोक की बोतलें.