कुछ शब्द
होते हैं
बच्चों के खिलौने
तो कुछ
बुजुर्गों के जुगनू
कुछ शब्द
होते हैं
फूलों की संवेदनाएं
तो कुछ
फसलों की बहार
कुछ शब्द
होते हैं
नदियों के संगीत
तो कुछ
सागर की हिलोरें
कुछ शब्द
होते हैं
आकाश की गरिमा
तो कुछ
धरती के उसांस
कुछ शब्द
होते हैं
कविताओं की आग
तो कुछ
हमारे तिनके
कुछ शब्द
होते हैं
मन के उत्ताप
तो कुछ
मृत्यु के उदगार
कुछ शब्द
होते हैं
चूल्हे की आंच
तो कुछ
अंधेरे की वीरानियां
कुछ शब्द
होते हैं
अहसास की पीड़ा
तो कुछ
दर्द के मरहम
होते हैं
कुछ शब्द
बंद तुम्हारी मुट्ठी में
जो देख नहीं पाते
अपने अक्षरों को
जो बदलते हैं
किसी गिरगिट के शक्लों में.