तुम्हारे भीतर
जहां हरे भरे खेतों में
फसलों की जगह
रखे जा रहे हैं बम
किसे पता
ये विस्फोटों के धमाके
घुलाते हैं जेहन में
डर का जहर
और भरते हैं अराजकता
जरूरत की रोटी
और प्यास का पानी
छीन ली जाएगी तुमसे
तुम्हारे हाथों में
कुदाल की जगह
भय की बंदूक थमा दिए जायेगें
स्थिर और वर्तमान को
खोदा जाएगा
खंडहर की तरह
जहां पानी की जगह
उबाला जाएगा तुम्हारा खून
और सेंका जाएगा
रोटी की जगह
हादसों के सन्नाटे को
जब तुम पहली बार
मृत्युगंध को
जहरीले बेल की तरह
खुदाई पर महसुसोगे
तब तुम हर्ष और उमंग को
फेंक डालोगे दलदल में
और खुद मलबा बन जाओगे
ना चीख सकोगे ठीक से.