आकाश का नीलापन
जब तैरता है
सागर के अंतस में
तब विचरने की प्रक्रिया
आकाश से समुद्र तक
या फिर समुद्र से आकाश तक
मछलियों की तैरने की तरह
या तारों के उगने की तरह
समय के अंतराल को
पार करता हुआ
और खंडित होने से बचता हुआ
हममें आकर टिक जाता है
यह सच है
कि आकाशीय पिंड
अभी अपने को टूटने से
कहां बचा पा रही है
तभी तो रोज टूटते तारों से
चमकते आंसू
हमें कहां रुला पाते हैं
और हम रोजाना भेदते रहते हैं
आकाश की गरिमा को
सेटेलाइट और मिसाईल से
यह सच है
कि समुद्री जीव
अभी अपने को लुप्त होने से
कहां बचा पा रही है
तभी तो रोज ज्वार के डगारों से
सफेद झाग सा आंसू
हमें कहां रुला पाते हैं
और हम रोजाना छेदते रहते हैं
समुद्र की गरिमा को
पनडुब्बी और परमाणु परीक्षण से
आकाश और समुद्र के बीच
हमारी समझ
हमारी सारी मानवता को
भेड़ में बदल दी जाती है
और हमें भी
बदल दिए जाते हैं
कालापानी के शक्लों में
वे हमें समझा रहे हैं
आकाश और समुद्र की परिभाषा
बिल्कुल नए अर्थ में
ताकि हम जान लें
आकाश और समुद्र भी
भौतिकता से परे नहीं है
और उड़ा दें
अपनी संवेदनशीलता को
आकाश में
या बहा दें
समुद्र की गहराई में.