अभी नहीं है उनके पास
मंत्र मुग्ध कर देने की कला
कि स्त्री की औसत झल्लाहट
रोक पाता हो कोई रास्ता
जटिल है इसके नेपथ्य में
कोड़ों की फटकार सुनना
और कोयल की कूक
बची है उसके पास
कि खोल पाए संभावनाओं के द्वार
दिखता नहीं है उनके पास
फलांगती दीवारें अभेद्य
सागर पार के विस्फोटक धुंए
बिजली के नंगे तारों के तरह
उनके पास बची है गर्म तलूए
और शब्दों में है गजब का उल्लास
कि बुहारते घर आंगन से
ठीक से चम्मच भर इच्छाएं जगे
पता नहीं
कितने सागरों का जल है उनकी आंखों में
और हाथों में है भोजन की थाली
भला कितनी जगह
वे लहराएगी सफेद झंडा
और गढ़ेगी कपड़ों में टांकें
ताकि पूरा ब्रह्माण्ड
मसले हुए टोटों के बीच
समुल नष्ट होने से बचा रहे
संभावनाओं के पूरे संस्कार
जरा देखिए तो
मंजूरी की अस्मिता में
कितने डंक चुभने को हैं
और गहरी धुंध में सारे रास्ते
मेंहदी लगे हाथों में
कतार दर कतार
छोटी लगती है उन्हें दुनिया
देख रही है पूरी पृथ्वी
उनका इस तरह होना
कि शीशे से बनी नैतिकता के बीच
अर्ध रात्रि में
किस तरह चांद उग रहा है.