सौरभ ने रास्ते भर चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी हालांकि उसको बिहान के प्रश्नों का उत्तर देना पड़ा था, किंतु वह बहुत सोच समझकर उसका उत्तर दे रहा था।
नव्या का घर जैसे-जैसे नजदीक आ रहा था, सौरभ खुश हो रहा था चलो अच्छा है अब मैं इन लोगों को उतार कर सीधे फार्म हाउस चला जाऊंगा,
विहान और उसकी फैमिली के विषय में फिर किसी दिन पता करुंगा, लेकिन अपना सोचा अगर होता तो व्यक्ति सारी अच्छी चीजें सोच कर करता लेकिन अपना सोचा तो कुछ होता ही नहीं,
गाड़ी नव्या के दरवाजे पर पहुंचती है पहले विहान और सौरभ की गाड़ी रूकती है उसके ठीक पीछे नव्या और विहान के पेरेंट्स की गाड़ी सब लोग उतरते हैं ।
नव्या की मां स्वागत के लिए निवि के साथ दरवाजे पर खड़ी रहती हैं। विहान आगे बढ़कर नव्या की मां को प्रणाम करता है उसे ऐसा करते देख सौरभ भी नव्या के मां के पांव छू लेता है।
विहान के साथ सौरभ को देखकर नव्या की मां थोड़ा घबराती है ,और असहज महसूस करने लगती है, वह सोचती है कि सौरभ और विहान क्या एक दूसरे को पहले से जानते थे, तभी विहान कि मॉम आकर नव्या की मां के गले लग जाती हैं।
उनके इस व्यवहार से नव्या की मां काफी प्रभावित होती है विहान कि मॉम हंसते हुए कहती हैं, कि किस सोच में डूब गई बहन जी नव्या की मां ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया अरे कुछ नहीं ,,,
बिहान कि मॉम बोली लगता है, कि हमारे आने से आपकी थोड़ी परेशानी बढ़ गई, नव्या की मां के तुरंत चेहरे पर स्माइल आ जाती है और कहती हैं,अरे यह तो हमारा सौभाग्य है, आप हमारे घर आई इससे बड़ी भाग्य की बात हमारे लिए और क्या हो सकती है, और दोनों हाथों से उनका हाथ पकड़कर अंदर की ओर ले जाती हैं नव्या चुपचाप बुत बनी यह सब देखती रहती है।
नव्या मन ही मन सोचती है इतने चैलेंज मैंने एक्सेप्ट किए जीवन में किंतु यह चैलेंज तो मेरे लिए बहुत बड़ा है मैं कैसे इसको हैंडल कर पाऊंगी क्योंकि यह चैलेंज मेरी लाइफ से नहीं जुड़ा है, ।
यह चैलेंज तो हनी की लाइफ से जुड़ा है किंतु कहीं ना कहीं मेरे जीवन की काली छाया उसके जीवन पर धीरे-धीरे मंडरा रही है , किन्तु मैं ऐसा हरगिज़ नहीं होने दूंगी, उसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े,
तभी सौरभ नव्या की तरफ नजर उठाकर देखता है उसका इस तरह से देखना नव्या को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता उसे देखकर नव्या मुंह बना लेती है, सौरभ एक शरारत भरी मुस्कुराहट के साथ अपनी कार में बैठने लगता है,
तभी पीछे से बिहान सौरभ के कंधे पर हाथ रख कर कहता है अरे सौरभ जी अभी तो आप एयरपोर्ट से आए हैं आइए कुछ समय सब साथ में बैठते हैं फिर आप चले जाइएगा कम से कम चाय पानी तो साथ में कर लिया जाए ,
विहान सौरभ का हाथ पकड़े खड़ा रहता है। सौरभ कुछ कहता उसके पहले विहान के डैड बोलते हैं, हां बेटा हमारी वजह से तुम को भी काफी तकलीफ उठानी पड़ी सौरभ ने कहा इसमें तकलीफ की क्या बात विहान और उसके डैड को सौरभ से यह कहते देख नव्या आगे बढ़कर कहती है, जब सब लोग इतना कह रहे हैं तो आइए अंदर चले चलिए ।
सौरभ को इस तरह के व्यवहार की नव्या से तो उम्मीद नहीं थी, सौरभ ने विहान से हाथ छुड़ा ते हुए नव्या के थोड़ा समीप आकर नव्या के कान में धीरे से कहा सच में मैं आऊं आपके घर में यह आप चाहती हैं,
नव्या ने गुस्से से आंख घूरते हुए कहा सौरभ जी इतने बड़े होकर अंकल जी आपसे कह रहे हैं तो आपको नाश्ता करके ही जाना चाहिए नव्या ने नकली मुस्कुराहट चेहरे पर लाते हुए कहा,
सौरभ को हंसी आ गई एक तरफ नव्या ने आंख तरेरी थी ,और दूसरी तरफ होठों पर मुस्कान सौरभ अपनी हंसी रोक न सका और हंसते हुए कहा जब आप सब लोग इतना कर ही रहे हैं तो चलिए मैं आपका दिल नहीं तोडूंगा सौरभ का इशारा नव्या की तरफ था, किंतु अंकल को देखकर सौरभ यह बात कहता है नव्या थोड़ा पैर पटकती हुई आगे बढ़ जाती है। अंदर ड्राइंग रूम का नजारा आज बदला हुआ था सभी चीजें बहुत करीने से रखी हुई थी नए डिजाइनर सोफे पर नए कुशन दीवान पर सुंदर नई चादरें सब कुछ नया नया सा लग रहा था,
इसके पहले जब सौरभ एक बार नव्या के घर आया था तब इतनी सजावट नहीं थी, जितनी कि आज हर एक चीज में नयापन था यहां तक कि उसे अपने रिश्ते में भी नयापन नजर आ रहा था सौरभ सोचने लगा इतना स्वागत तो घर के दमाद का ही होता है और मेरा स्वागत तो यह लोग करने से रहे अब तो मुझे पता लगाना ही पड़ेगा कि यह विहान है कौन ॽ फिर दूसरी ओर सौरभ सोचने लगा कि अगर मैंने ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश की तो कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर होगी फिर जो नव्या मुझे कह रही अंदर चल कर नाश्ता करिए वही मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर कर देगी इसलिए बेटा शांति से नाश्ता कर लो और चुपचाप खिसक लो, यह सब बाद में पता करते रहना की यह सब नव्या के कौन से रिश्तेदार हैं तभी सौरभ ने देखा ड्राइवर गाड़ी से सामान निकाल निकाल कर अंदर गेस्ट रूम में ले जाने लगा सौरभ चुपचाप यह सब देख रहा था ,नव्या की मां ने विहान की मॉम को अपने समीप बैठाया और पूछने लगी बहन जी आपको आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई विहान की मां ने हंसते हुए कहा दिक्कत का तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता आपकी बेटी और आपके दामाद तो हमारे आने से पहले ही वहां खड़े थे बेटी के साथ दमाद शब्द सुनकर नव्या की मां थोड़ा घबराई फिर सोचने लगी कि नव्या अपने साथ सौरभ को क्यों लेकर गई थी, पता नहीं इसने क्या-क्या बातें बताई होंगी फिर शांत होकर विहान की मॉम की हां में हां मिलाने लगी एक नजर उठाकर नव्या की मां ने सौरभ की ओर देखा सौरभ से नजर मिलते ही वह एक अपराधी की भांति सिर शुरू झुका लेता है।
आगे जानने के लिए पढ़ें तड़प तेरे प्यार की और समीक्षा करके हमें यह जरूर बताएं कि आपको हमारी यह कहानी कैसी लग रही है । 🙏🙏🙏 क्रमशः।।।।।