सुबह जब अचानक नव्या की नींद खुलती है तो वह देखती है कि सौरभ सोफे पर यूं ही पड़ा सोता रहता है। नव्या उठ कर फ्रेश होने चली जाती है ।
और बाथरूम से नहाकर बाहर निकलती है ,तब भी सौरभ ऐसे ही सोफे पर पड़ा सोता रहता है, यह देखकर नव्या सोफे के पास जाती है ,उसके सिरहाने खड़ी होकर उसको देखती है और अपने मन में सोचती है मुझे दुख देने वाला कितना निश्चिंत होकर सो रहा है।
,भगवान भी ऐसे लोगों को अच्छी नींद दे देते हैं और मैं चैन से सो भी नहीं पाई तभी नींद में सौरभ कुछ बढ़बढ़ाता है। नव्या वही खड़ी रहती है सौरभ नींद में कहता है ("मुझे माफ कर दो नव्या प्लीज मुझे माफ कर दो")
नव्या अपने मन में सोचती है यह तो नींद में भी मुझे सता ही रहा होगा, इसीलिए तो माफी मांगने का नाटक कर रहा है । नव्या मुंह बना कर कहती है ओ हेल्लो सुबह हो गई है ,???
अब उठ जाओ फिर सोचती है ,जाए पड़ा सोता रहे मुझे क्या करना हैॽ मुझे क्या लेना देना फिर अगले पल नव्या को याद आती है कि अगर कोई नीचे से विहान की फैमिली का मेंबर ऊपर आ गया तो फिर सौरभ को सोफे पर लेटा देख मुझसे कुछ न कुछ जरूर सवाल पूछेंगे इसलिए सौरभ को उठा देती हूं ताकि किसी को यह पता न लग सके कि सौरभ सोफे पर सोया था।
सौरभ को नींद सुबह के टाइम ही लगी थी, इसलिए वह निश्चिंत होकर सोफे पर सो रहा था l नव्या सौरभ को दो-तीन आवाज देती है सौरभ नहीं उठता नव्या पास में रखे जग से थोड़ा सा पानी चुल्लू में लेती है, और सौरभ के चेहरे पर डाल देती है।
पानी की बूंदे पड़ते ही सौरभ घबराकर उठ बैठता है सौरभ का गुस्सा सातवें आसमान पर रहता है। किंतु जैसे ही सामने नव्या को सामने देखता है, तो उसका गुस्सा अचानक गायब हो गया सौरभ मुस्कुरा देता है ,और कहता है, मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा हूं ,
मेरी आंख खुलते ही तुम मेरे सामने खड़ी हो सही बताना नव्या मै सपना तो नहीं देख रहा हूं, सौरभ के इस प्रकार बोलने पर नव्या को थोड़ा सा अचरज हुआ क्योंकि सौरभ हमेशा मिसेज सिंघानिया या फिर नव्या जी कहकर बोलता था,
आज सौरभ सीधे नव्या बुला रहा है, नव्या मन में सोचती है मुझे क्या करना है उसकी मर्जी वह चाहे जो बुलाए मुझे तो अपना काम निकलवाना है ,उसके बाद मैं उसको नहीं जानती वह मुझे नहीं जानता हम दोनों एक दूसरे के लिए अजनबी हैं।
, सौरभ नव्या की ओर देखते हुए कहता है मैडम किस सोच में डूब गई नव्या कुछ नहीं बोली और चुपचाप अपना बिस्तर ठीक करने लगती है। सौरभ भी उठता है और अपने कपड़े उठाता है और नव्यां से कहता है कि आप अगर अपना मुंह उधर कर लीजिए तो मैं अपने कपड़े बदल लूं ,वरना अभी आप कहेगी कि मुझमें तमीज ही नहीं है।
आपने तो मेरी पूरी इमेज खराब कर के रख दी नव्यां अपना मुंह दूसरी तरफ कर लेती है। सौरभ कपड़े बदलने लगता है। उसके सोफे की चादर नव्या बेड पर रख देती है ।
।तभी नव्या सौरभ से कहती है अगर आप फॉर्म हाउस जान चाहते हैं ,तो जा सकते हैं विहान की मॉम को मैं कोई न कोई बहाना बता दूंगी सौरभ ने कहा हां हां मुझे जाना है, क्योंकि मुझे ऑफिस भी अटेंड करना है ।
नव्या मन में सोचती है जैसे ऑफिस जाकर बड़ा काम ही कर देंगे काम तो कुछ करते नहीं हां ऑफिस जरूर जाते हैं, सौरभ ने नव्या से पूछा आपने कुछ कहा ,नव्या बोली नहीं फिर नव्या ने कहा मिस्टर सिंघानिया, नीचे सब हमारा बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
, सौरभ ने आश्चर्य से कहा अब क्यों ?क्या हम कोई नए कपल है ,कि पूछने के लिए हमारा इंतजार कर रहे हैं। नव्या ने बड़ी मासूमियत से पूछा क्या पूछने के लिए सौरभ ने कहा कि हमारी सुहागरात कैसी बीती
,नव्या नजरें नीचे कर लेती है और अपने मन में सोचती है ऐसी घटिया सोच तो सिर्फ मिस्टर सिंघानिया आप ही की हो सकती है और सौरभ से बोली, अगर आपकी उटपटांग बातें हो गई हो तो नीचे चले सौरभ ने कहा आप जहां ले चले हम वहां चलने को तैयार हैं ।
।नव्या ने आगे चलते हुए कहा कभी तो सीरियस रहा करिए मिस्टर सिंघानिया हर समय आपको मजाक ही सूझता है, सिचुएशन कोई भी हो आपके लिए तो बस सब मजाक है ,वह फिर रिश्ता हो या फिर संबंध हो नव्या ने बहुत गहरी बात कही थी क्योंकि इस बात का अर्थ सौरव साफ-साफ समझ गया था कि नव्या ने उसी के ऊपर टिप्पणी की है। किंतु कुछ बोलता नहीं और चुपचाप नव्या के पीछे सीढ़ियों से उतरता है।
नव्या और सौरभ को सीढ़ियों से साथ-साथ उतरते देख नव्या की मां दौड़कर नव्या के पास आती है और नव्या को एक किनारे ले जाकर पूछती हैं ।
यह यहां तुम्हारे कमरे में क्या कर रहा है नव्या की मां जल्दी सोने चली गई थी इसलिए उन्हें यह नहीं पता था कि सौरभ यही रुका है।
नव्व्या ने कहा धीरे बोलिए, नहीं तो अभी विहान कि फैमिली को यह पता चल जाएगा कि सौरभ इस घर में पहली बार रुका है, और हमारी सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। मां कहती हैं लेकिन बेटा सौरभ रात भर तुम्हारे साथ तुम्हारे कमरे में था कहीं ऐसा ना हो कि एक बेटी का जीवन संवारने के चक्कर में दूसरी बेटी का जीवन बर्बाद हो जाए नव्या ने कहा अब मेरा जीवन क्या बर्बाद होगा बर्बाद चीज को कोई कितना बर्बाद कर सकता है ।
आप ऐसे क्यों सोच रही हैं । मां ऐसा कुछ नहीं होगा मां बोली मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है ,किंतु सौरभ का क्या करें कहीं वह हमारी मजबूरियों का गलत फायदा ना उठाए नव्या ने कहा मां अब तुम्हारी नव्या कमजोर डरी सहमी सी लड़की नहीं है बल्कि आपकी बेटी अब चट्टान की तरह मजबूत इरादों वाली लड़की बन गई है इसलिए आप निश्चिंत रहिए सौरभ हमारा कुछ नहीं कर सकता और रही बात मजबूरी की वह तो विहान की फैमिली जब तक है जब तक हनी की शादी नहीं होती हनी की शादी के बाद हनी को लेकर विहान की फैमिली वैसे भी लंदन चली जाएगी तब हमारा राज खुलने का तो कोई चांस ही नहीं है। बस कुछ दिनों की बात है उसके बाद तो सब अपने आप ठीक हो जाएगा, नव्या की ओर निहारते हुए नव्या की मां कहती है कि मेरी बेटी कितनी बड़ी हो गई ,इतनी समझदार हो गई मैं तो सोच भी ना पाई और आगे बढ़कर नव्या के माथे को चूम लेती है।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे तडप तेरे प्यार की और हमें समीक्षा करके जरूर बताएं कि हमारी यह कहानी आपको कैसी लगी 👍🙏🙏
क्रमशः।।।।