सौरभ मीटिंग में जाने के लिए अत्यंत ही उतावला हो रहा था। क्योंकि उसको अच्छी तरह पता था , कि नव्या मीटिंग मिस नहीं करेगी वह आएगी जरूर,,,,
एक बार फिर नव्या उसके सामने होगी और वह जी भर के नव्या को देख लेगा, कम से कम यहां रहने पर एक फायदा तो था ।
, नव्या उसके आंखों के सामने तो रहती थी। दिन भर में एक आध बार ही सही सामने तो आती ही थी। उधर नव्या ड्राइवर के साथ जाते हुए रास्ते में सोचती है ,कि इस सौरभ सिंघानिया को यहां से किस तरह वापिस भेजा जाए,,,
,क्योंकि उसके रहते होटल का काम रुका हुआ था। जिसके कारण उसको पैसों का बहुत नुकसान हो रहा था ,क्योंकि मिस्टर अशोक नव्या के साथ मिलकर ही फार्महाउस को होटल में तब्दील कर उससे पैसा कमा रहे थे।
फिर सोचती है ।जल्दी बाजी ठीक नहीं कहीं सौरभ को शक हो गया तो सारा राज खुल जाएगा वैसे भी वह बहुत ही तेज दिमाग वाला है।
यह सोचते -सोचते नव्या अपने ऑफिस के पास पहुंच जाती है ।ड्राइवर गाड़ी रोकता है, और उतर कर कार का दरवाजा खोलता है ।नव्या बाहर आती है ,और ऑफिस में प्रवेश करती है , सामने देखती है, उसकी कुर्सी पर उसके ऑफिस में सौरभ सिंघानिया बैठे रहते हैं ।
उसे अचानक देखकर नव्या ठिठक जाती है सौरभ से इस तरह के व्यवहार की तो उसने कल्पना ही नहीं की थी, ढीठ मुस्कुराहट के सा,थ सौरभ उसको देखता है ।
वह अंदर से जल जाती है मानो उसके तन बदन में आग लग गई हो और तेज आवाज में चिल्लाती है। मैनेजर मेरी सीट कहां मैं कहां बैठूं??? मैनेजर कहता है मैम देखता हूं।
नव्या गुस्से से चिल्लाती है। अभी तक आप क्या देख रहे थे,"सॉरी मैम 'उसमें तो मिस्टर सिंघानिया बैठ गये, अब सौरभ की मुस्कुराहट बढ़ती जा रही थी,
वह नव्या को देखकर ऐसे मुस्कुरा रहा था मानो उसने कोई किला फतह कर लिया हो , और नव्या उसे देखकर उतना ही चिढ़ रही थी कि बस पास जाए और गाल पर खींचकर थप्पड़ मारे किंतु कुछ सोचकर चुप रह जाती है।
सौरभ बोलता है, मिसेस सिंघानिया आप नाराज क्यों होती हैं? इस पर मिस्टर सिंघानिया बैठे या मिसेज सिंघानिया बैठे बात तो एक ही है ना, नव्या गुस्से से लाल लाल आंखें किए हुए उसकी ओर घूमती है ।
सौरभ हंसकर कहता है। सॉरी आप बैठ जाइए अपनी कुर्सी पर और उठ कर खड़ा हो जाता है नव्या कुर्सी के समीप जाती है। सौरभ उसके पास आते ही उसके बदन की खुशबू से सौरभ मानो पागल सा हो रहा था।
, उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। तभी नव्या के कान के समीप जाकर धीरे से कहता है गुस्से में बड़ी सुंदर लगती हो,
अब तो नव्या का गुस्सा बर्दाश्त बाहर हो जाता है।उसका पूरा बदन पसीने से भीग जाता है। वह कांप उठती है और सौरभ को हल्का सा ढकेलते हुए निकल जाती है। पूरा का पूरा ऑफिस स्टाफ यह दृश्य देखता रहता है।
नव्या गुस्से से भरी हुई कार के समीप आती है तभी मिस्टर अमन वहां जाते हैं और नव्या से कहते हैं सॉरी मैडम 5 मिनट लेट हो गया मीटिंग खत्म हो गई क्या ??
मैडम अंदर चले नव्या गुस्से से कहती हैं । मुझे इस पागल आदमी के साथ कोई मीटिंग नहीं करनी है बोर्ड के चेयर पर्सन को इन्फॉर्म कर दीजिए यह कहती हुई गाड़ी में बैठ जाती है ।और ड्राइवर से कहती है घर चलिए ,,,
सौरभ बाहर निकल कर यह सब देखता और सुनता रहता है। फिर चेयरपर्सन को एक फोन खुद ही करता है और कहता है। सर मुझे एक इंफॉर्मेशन चाहिए उधर से चेयरपर्सन बोलते हैं ।कहिए सर , सौरभ कहता है अगर किसी की डील फिक्स हो जाए तो अगला मीटिंग करने से इंकार कर सकता है ।
प्रोजेक्ट पर काम करने से मना कर सकता है चेयर पर्सन बोले नहीं क्योंकि प्रोजेक्ट पर साइन होने के बाद उसको पूरा करना जरूरी होता है उसके कुछ नियम होते हैं।
,जिनका पालन हमें करना होता है। इसीलिए बोर्ड मेंबर्स पहले ही मीटिंग करके सबको अपनी टीम का चुनाव करने के लिए कह देते हैं।
किसी को अगर ऑब्जेक्शन होता है तो वह उसी समय कह सकता है ।अपना नाम कैंसिल करा सकता है, लेकिन एक बार प्रोजेक्ट का वर्क शुरू होने के बाद कुछ नहीं हो सकता सौरभ कहता है जी "थैंक यू वेरी मच "और जाकर अपनी गाड़ी में बैठ जाता है।
इधर नव्या कार में बैठी पसीना पसीना हो रही थी ।दोनों हाथों की मुट्ठी कसके बंद कर रखी थी , दांत को लगभग पीसते हुए मन ही मन बड़बड़ाती है। (तुम्हें तो मैं देख लूंगी मिस्टर सिंघानिया तुमने अपने आप को समझ क्या रखा है अब वह दिन नहीं है जब नव्या कमजोर थी अब यह नव्या एक मजबूत नव्या है जिसको तुम क्या कोई भी नहीं हिला सकता)
ऐसा कहकर वह आत्मविश्वास से भर जाती है। घर पहुंचने पर मां बोली आज इतनी जल्दी चली आई नव्या तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ,ना नव्या कहती है। हां मा तबीयत ठीक है,
बस यूं ही थोड़ा मन नहीं किया मां कहती है आजकल मैं देख रही हूं तेरा मन कुछ बुझा बुझा सा रहता है। कहीं सौरभ के आने से तो नहीं नव्या गुस्से से मत ले उसका नाम मूड खराब हो जाता है ।
।वैसे भी ऑफिस में आज उसने अच्छा खासा ड्रामा किया समझता क्या है ?अपने आपको, मैं चुप हूं ,इसका मतलब यह नहीं कि ,मैं कमजोर हूं। कहती हुई अपने कमरे में चली जाती है।
और मिस्टर अशोक को फोन मिलाने लगती है ।मिस्टर अशोक बोलते हैं, जी मैडम नव्या बोलती है अशोक जी सौरभ सिंघानिया कब तक रहेंगे?? क्यों नहीं आप उनकी कोई ऐसी मीटिंग फिक्स करते जिससे उनको बाहर जाना ही पड़े ,,,
अशोक बोले मैडम मैं भी तो यही चाहता हूं नव्या चाहने से कुछ नहीं होगा, कुछ ना कुछ तो तरकीब निकालनी पड़ेगी इनको यहां से भेजने की, वरना वह दिन दूर नहीं जब यह शख्स हम लोगों का सारा बिजनेस चौपट कर देगा ।
अशोक बोलता है, मैडम आप चिंता ना करें मैं कुछ इंतजाम करता हूं और फोन रख देता है। उधर सौरभ चेयरपर्सन के घर जाते हैं , और उनसे मिलकर बातचीत करते हैं और कहते हैं कि नव्या कितनी भी कोशिश कर ले उसे इस प्रोजेक्ट से अलग होने की अनुमति ना मिले,
अगर अलग हो तो उसे इतना ज्यादा नुकसान भरना पड़े कि वह अलग होने की सोच भी न सके, चेयरपर्सन उसके पुराने मित्र भी थे वह उसके इस प्रस्ताव को मान लेते हैं ।
और कहते हैं, सौरभ जी आप चिंता मत करिए जैसा आप चाहते हैं वैसा ही होगा , सौरभ उन्हें धन्यवाद देता है ।और घर की ओर चल देता है ।
घर में ग्रैनी उसका बड़ी बेसब्री से इंतजार करती रहती हैं। आते ही दौड़ कर पूछती हैं , तुम दोनों का प्रोजेक्ट काम शुरू हो गया कैसा रहा ?
आज पहला दिन सौरभ हंसते हुए बोला ग्रैनी तुझे बड़ी चिंता है , ग्रैनी बोली चिंता क्यों ना हो आखिर नव्या है तो सिंघानिया परिवार की बहू ही यह तू मानती है वह तो यह सब मानती ही नहीं
, ग्रैनी बोलती है कैसे मान सकती है , बेटा तूने उसके साथ कितना बुरा किया वह कैसे इतनी जल्दी तुझे माफ कर देगी लेकिन मेरा विश्वास है। एक न एक दिन वह तुझे माफ जरूर करेगी ।
और इस घर में वापस आएगी सौरभ मन में कहता है ग्रैनी तेरा विश्वास सही हो , मैं भी तो यही चाहता हूं, सौरभ ग्रैनी से कहता है ।
ग्रैनी मैं तो पश्चाताप करने को भी तैयार हूं, लेकिन वह मुझसे बात ही नहीं करती ,तो मुझे पता ही नहीं चल पाता कि आखिर वह चाहती क्या है।
ग्रैनी कहती है बेटा एक औरत के ह्रदय को धीरे-धीरे समझा जा सकता है ।क्योंकि एक तरफ वह जितना कोमल होता है दूसरी तरफ उतना ही कठोर होता है।
जिससे वह प्रेम करती है उसे अपना सब कुछ समर्पित कर देती है। और जिस से नफरत करती है, उसकी तरफ नजर उठाना भी पसंद नहीं करती,,
सौरभ कहता है शायद ग्रैनी तुम सच कह रही हो मैं नफरत के योग्य ही हूं इसीलिए नव्या मेरी और नजर उठाकर भी नहीं देखती ग्रैनी बोली ऐसा नहीं है बेटा तुझे अपने किए का पछतावा है। इस बात को नव्या एक दिन जरुर समझेगी।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए तड़प तेरे प्यार की और हमें जरूर बताइए कि हमारी यह कहानी आपको कैसी लगीं , 🙏🙏🙏 क्रमशः