थोड़ी देर के बाद नव्या अपने मां के पास जाती है और कहती है कि अब हमें चलना चाहिए मां ने कहा हां वैसे भी हम लोगों को यहा आये काफी देर हो गई है,।
नव्यां की मां ने विहान की मॉम की तरफ देखते हुए कहा चले फिर सब लोग ग्रैनी के पास जाते हैं, और उनसे कहते हैं कि अब हम सब लोग जा रहे हैं ।
कल या परसों से हम लोग रहने के लिए यहां आपके फार्महाउस में आ जाएंगे, ग्रैनी ने कहा यह भी कोई कहने की बात है, यह तो नव्यां का और सौरभ का ही फार्म हाउस है।
नव्यां का हाथ पकड़कर ग्रैनी कहती है बेटा अपनी यह अमानत भी अपने पास साथ ही रखो क्योंकि सारा दिन नौकरों चाकरों के साथ मैं अकेली ही रहती हूं और किसी का कोई भरोसा नहीं है, ये बेशकीमती हीरो से जड़ा हुआ कंगन मेरे पास तुम्हारी अमानत है।
,इसको मैं कब तक संभाल कर रखूंगी अब तुम इसे अपने साथ ले जाओ यह कहकर ग्रैनी बॉक्स खोल कर नव्या के हाथों में वह कंगन पहना देती है ,,,
कंगन की चमक इतनी तेज और बनावट इतनी खूबसूरत रहती है कि सब लोगों की आंखें चकाचौंध हो जाती है विहान कि मॉम नव्यां की मां की तरफ देखकर बोली कितनी खुशनसीब है आपकी बेटी जो उसे ऐसी ग्रैनी और सौरभ जैसा पति मिला,
तभी ड्राइवर हार्न बजाता है सब गाड़ी की तरफ बढ़ने लगते हैं। सौरभ बुके और गिफ्ट भी नव्या की गाड़ी में रखवाने लगता है, उसे ऐसा करते देख नव्या सोचती है कि अभी मना करूंगी तो जबरदस्ती बात का बखेड़ा बनेगा तब भी वह सौरभ के समीप जाती है और कहती है।
यह सब क्या है सौरभ ने बोला अभी भी आप नहीं समझ पाइ ,कि आपकी मुंह दिखाई की रस्म थी जो पूरी हुई और हां हमारी तरफ से तभी नव्यां गुस्से से सौरभ को देखते हुए कहती है।अब मैं . फॉर्म हाउस में नहीं आऊंगी सौरभ बोला पर मैं तो आपका इंतजार करुंगा।
नव्यां उसे घूरते हुए गाड़ी में बैठ जाती है। सब लोग अपनी अपनी गाड़ी में बैठ जाते हैं और गाड़ी नव्या की घर की तरफ चली जाती है सौरभ वापस आकर ग्रैनी से पूछते हैं, ग्रैनी आपने अपनी बहू को क्या मुंह दिखाई दी ग्रैनी बोली हमारे खानदान का पुश्तैनी कड़ा जो मेरी सासू मां ने मुझे दिया था।
वही मैंने तेरी मां को दिया और मैंने आज वही कड़ा नव्या के हाथों में पहना दिया सौरभ बोला मैं कहा था ??मैंने तो देखा ही नहीं ग्रैनी बोली उसने हाथों में ही पहना था तूने ध्यान नहीं दिया, नव्या को ग्रैनी का दिया हुआ वह कड़ा बहुत खूबसूरत लगता है वह उसे बार-बार ध्यान से देखती रहती है नव्या की मां बोली भगवान करे नव्या का भी हनी की तरह घर बस जाय तो मैं बहुत खुश होंऊगी,
तभी नव्या के मोबाइल पर फिर से फोन आता है फोन उसी व्यक्ति का रहता है जिससे नव्या की पहले बात हुई थी नव्या उसको फिर वही समझ आती है कि तुम हनी की शादी तक ऐसा कुछ नहीं करोगे नव्या की मां नव्या की बातें ध्यान से सुनती रहती है बात करने के बाद नव्या जब फोन रख देती है तब नव्या की मां पूछती है किसका फोन था नव्या बोली किसी का नहीं ऐसे ही , नव्या की मां ने कहा किसी का तो था क्योंकि तू उससे कह रही थी कि हनी की शादी तक ऐसा कुछ नहीं अरे हां वह मेरी एक दोस्त है उसका फोन था झूठ बोलकर नव्या ने बात टाल दी नव्या जैसे ही घर पहुंचती है, नव्या के मोबाइल पर फिर से उसी आदमी का फोन आता है फोन करने वाला जाने क्या कहता है कि नव्या उससे गिड़गिड़ाते हुई कहती हैं, प्लीज तुम हनी की शादी तक रुक जाओ उसके बाद मैं तुमसे वादा करती हूं कि मैं तुम्हारे साथ हूं और मैं तुम्हारा हमेशा साथ दूंगी बात मेरी बहन की शादी की है इसलिए तुम्हें रुकना हीं पड़ेगा तुम जहां कहो वहां मैं , तुमसे मिलने को तैयार हूं और हां अब बार बार मेरे मोबाइल पर फोन मत करना इतना कहकर नाश्ता ने फोन काट दिया और ऊपर अपने कमरे में चली आई, नीचे ड्राइंग रूम में सब लोग बैठ कर हवेली की सुंदरता और भव्यता की तरफ तारीफ करते रहते हैं तभी नव्या की मां अपने मन में सोचती है भगवान ने कैसी मां हूं जो एक लड़की के जीवन के सुधरने में खुश हो या फिर दूसरी लड़की के जीवन की बर्बादी का गम मनाए नव्या का जीवंत अभी तक सुधरा हुआ है जब तक आने की शादी नहीं हो जाती हनी की शादी के बाद सब कुछ फिर पहले जैसा हो जाएगा फिर नव्या अकेली अधूरी सी जीवन बिताने को मजबूर रहेगी मैं यह भी तो नहीं कह सकती की बेटी जाओ तुम सौरभ जी के साथ रहो क्योंकि अभी सौरव का में हमने जो स्वरूप देखा क्या पता वह नाटक ही हो इसलिए अभी तो कुछ कहा ही नहीं जा सकता कि सच में सौरभ मेरी बेटी से प्यार करने लगा क्या वह उसे सारे पत्नी वाले अधिकार लौटाएगा, क्या नव्या का जीवन फिर से सुखी हो पाएगा या फिर यूं ही वह जीवन भर जिम्मेदारियों का बोझ होती रहेगी, अभी निवि और हनी अपनी मां के पास आती हैं, मां की उदास चेहरे को देखकर हनी कहती है मां चिंता ना करें धीरे-धीरे नव्या दीदी क्या जीवन भर सुधर जाएगा अगर ऐसा न होता तो भगवान दुबारा सौरभ जीजू को नव्या दीदी की जिंदगी में क्यों लाते इसलिए भगवान की इच्छा मानकर जैसा चल रहा है वैसा चलने दीजिए एक न एक दिन दीदी सौरभ जीजू को जरूर अपनाएगी, और यह सुनकर नव्या की मां खुशी से रो पड़ती है और कहती हैं जिस दिन सौरभ जी ने नव्या को अपना लिया उस दिन मेरे जीवन का सबसे खुश दिन होगा उस दिन मैं तेरे पापा को जवाब भी दे सकती हूं कि मैंने अपनी बेटी के साथ न्याय किया और उसे कमजोर कभी नहीं होने दिया हनी मां को अपने गले से चिपका लेती है और उसकी पीठ पर धीरे-धीरे हाथ रहती है और कहती है मां तुम चिंता मत करो समय के साथ सब कुछ बदल जाएगा,
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे तड़प तेरे प्यार की और हमें समीक्षा करके जरूर बताएं हमारी यह कहानी आपको कैसी लगी 👍👍🙏