कभी-कभी जब सामने कोई ऐसा व्यक्ति दिख जाता है। जिसे हम कहीं ना कहीं मन के किसी कोने में पसंद करते हैं तो उसके सामने शिष्टाचार अपने आप ही प्रदर्शित होने लगता है।
व्यक्ति थोड़ा एटीट्यूट में आ जाता है ,और वह अपनी सारी खूबियां अपने समस्त गुणों को उसके सामने प्रदर्शित करने की कोशिश करता है ।
कुछ यही हाल इस समय मिस्टर नीलेश का हो रहा था ,नव्या के सामने वह बहुत ही अच्छे बन रहे थे हालांकि वह एक अच्छे व्यक्ति थे।
फिर भी नव्या को देखकर जाने क्यों वह अपनी सारी अच्छाइयां उड़ेल कर रख देना चाहते थे ,नव्या भी उन्हें देखकर थोड़ी देर के लिए असहज होती है ।
फिर खुश होकर मिस्टर नीलश से बातचीत करने लगती है ।बातें करते करते दोनों ऑफिस में प्रवेश करते हैं। सौरभ अपनी सेक्रेटरी मीनल के साथ वहां पहले से ही मौजूद रहता है। नीलेश और नव्या के पीछे पीछे नव्या के सेक्रेटरी मिस्टर अ
मन तथा निलेश के सेक्रेटरी मिस्टर सिराज आते हैं। निलेश नव्या से कहते हैं, मैं भगवान से मनाता रहूंगा कि मेरा यह प्रोजेक्ट जल्दी खत्म ही ना हो ,और मैं आपके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताऊं, नव्या कहती है क्या? मिस्टर नीलेश आप तो कुछ भी बोलते हैं ।मिस्टर निलेश हंसमुख और खुले विचारों वाले व्यक्ति थे। हंसना- हंसाना उनके स्वभाव में था, इससे सभी परिचित थे जब नीलेश नव्या से ऐसा कहते हैं तो नव्या हंस पड़ती है ।हंसते हुए दोनों ऑफिस में जब प्रवेश करते हैं ,तो सामने सौरभ की नजर उनके चेहरों पर पड़ती है, सौरव को अंदर से बड़ा बुरा महसूस होता है। फिर भी मन के भाव को छुपते हुए सौरभ उनका वेलकम करता है ।और पूछता है इस प्रोजेक्ट में चार लोग काम कर रहे हैं तीन तो हो गए चौथा व्यक्ति कौन है? तभी एक भारी-भ-रकम आवाज आई ,सबने अचानक दरवाजे की ओर देखा तो सभी एक साथ चौंक उठे अरे मिस्टर हर्षवर्धन हर्षवर्धन काफी नामी व्यक्ति थे, और बेंगलुरु में काफी फेमस है। उनका ज्यादातर बिजनेस यहीं से होता था इसलिए वहां मार्केट में उनकी पकड़ मजबूत थी। प्रोजेक्ट की फाइलें खुलती हैं ,सभी अपने अपने काम में लग जाते हैं। नव्या भी अपना काम बड़ी तल्लीनता के साथ करती रहती है जितनी बार सौरभ की नजर उस पर जाती है वह कहीं और ही देखती रहती है। थोड़ी देर के लिए तो सौरभ को बहुत तेज गुस्सा आता है क्योंकि वह सोचता है कि मेरे सामने बैठे होने पर भी कोई किसी और से कैसे इस तरह की बात कर सकता है। निलेश के विषय में तो सभी जानते हैं।कि वह कैसा है? किंतु आज नव्या को क्या हो गया वैसे तो बड़ा सिंदूर मंगलसूत्र पहनकर घूमती है। और आज मेरे ही सामने किसी और के साथ फ्लर्ट करने में इसको जरा भी संकोच नहीं हो रहा है। कहीं जान -बूझ पर मुझे दिखाने के लिए तो ऐसा नहीं कर रही है, तभी सब आपस में अपना परिचय देते हैं। सौरभ सिंघानिया सुनते ही निलेश हंस पड़ता है और कहता है अरे, वाह !!आप दोनों दूर के रिश्ते के भाई बहन तो नहीं है। यह सुनकर सौरभ को थोड़ा बुरा लगता है ।तभी मिस्टर हर्षवर्धन बोलते हैं ,कि क्या आप दोनों हस्बैंड वाइफ है क्या ? इस पर सौरभ और नव्या के चेहरे पर हवाइयां उड़ गई नव्या कहती है। अरे नहीं मैं तो इनको जानती भी नहीं अभी-अभी इसी प्रोजेक्ट के विषय में इन से मुलाकात हुई और यह तो यहां के है भी नहीं, उसकी यह बातें सौरभ को बेतुकी लगती है वह उसे ध्यान से देखता है लेकिन चुप रहता है। तभी निलेश कहता है, नव्या जी अगर बुरा ना माने तो एक बात पूछूं आपके पति सौरभ सिंघानिया भी एक बिजनेसमैन है? नव्या गुस्से से उठती है ।और कहती हैं मुझे पर्सनल क्वेश्चन पसंद नहीं है। वैसे भी मेरे हस्बैंड फॉरेन में है ।किसी को कोई दिक्कत है। सभी शांत हो जाते हैं किन्तु नव्या बोलती रहती है। वो कहती है, मैंने तो किसी से नहीं पूछा कि कौन शादीशुदा है ?कौन नहीं है ?तो आप लोग मेरे पीछे क्यों पड़े हैं? सौरभ मन ही मन सोचता है, कहीं सही में तो नहीं विदेश में इसका पति हो फिर अपने मन ही में जवाब देता है कि नहीं ऐसा नहीं होगा, सभी अपने काम में लग जाते हैं। नव्या की नजर बार-बार मीनल पर जाती है क्योंकि सौरव का ज्यादातर काम तो मीनल ही कर रही थी ,वह चुपचाप बैठा था नव्या व्यंग बोलती है कि यहां तो लोग सेक्रेटरी और प्यून से काम कराते है। लेकिन इस प्रोजेक्ट में यह सब नहीं चलेगा ऐसा कहने पर सौरभ उसकी ओर देखने लगता है। किंतु उसकी नजरें फाइलों में गड़ जाती हैं। सौरभ समझ जाता है कि यह वह उसी के लिए कह रही थी और मीनल से फाइल खुद ही ले लेता है मीनल को यह बात थोड़ी बुरी लगती है लेकिन वह कुछ बोलती नहीं, दोपहर के दो बज गए सभी कुछ खाने के लिए उठते सिवाय नव्या के और नव्या के कारण सौरभ भी नहीं जाता सौरभ मीनल से कहता है ।कि मिस मीनल आप जाइए मैं थोड़ा सा काम निपटा कर आता हूं, मीनल भी चली गई अब आफिस के कमरे में नव्या और सौरभ ही बचते । सौरभ के मन बहुत सारे सवाल थे , जो वह नव्या से पूछना चाहता था। नव्या इस तरह काम में व्यस्त थी कि वह नजर उठाकर भी नहीं देख रही थी इस कारण उसकी हिम्मत कुछ पूछने की नहीं हुई बहुत देर तक एक ट्रक व नव्या को निहारता रहा इतना सुंदर चेहरा उस पर थोड़ी सी जुल्फें गालों तक लटकी हुई एक लंबी चोटी गालों की दोनों और पढ़ते डिंपल बरबस उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे तभी काम करते हुए नव्या बिना नजर उठाए कहती है मिस्टर अमन इसको मैंने चेक कर लिया है आप भी एक बार देख जरुर लीजिएगा सौरभ नव्या के बिल्कुल ठीक पीछे खड़ा होकर कहता है जी मैडम ,अमन की आवाज कुछ बदली हुई जानकर नव्या पीछे पलट कर देखती है तो सौरभ खड़ा रहता है नव्या को बहुत तेज गुस्सा आता है अपने हाथ की दोनों मुट्ठी कस के बंद कर वह अपनी फाइलों को देखने में व्यस्त होजाती है ।तभी सौरभ ने कहा कि क्या तुम्हारे पति विदेश में रहते हैं ?नव्या ने सौरभ की तरफ घूर कर देखा और बोली इससे आपको मतलब सौरभ ने फिर पूछा आप अकेले यहां रहती हैं ।नव्या फिर बोली आपको क्या करना है। मैं अकेले रहूं तो मेरे साथ दस लोग रहे तो आपको इससे क्या लेना देना अपने काम पर ध्यान दीजिए।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए तड़प तेरे प्यार की 🙏🙏🙏 क्रमशः
मुझे साहित्यिक किताबें पढ़ना बहुत पसंद है ।और मैं लिखती भी हूं, कहानियां, उपन्यास , कविताएं और अपने विचार, सामाजिक समस्याओं पर ग्रह एवं नक्षत्रो पर ,,,D
मिस्टर सौरभ सिंघानिया एक खूबसूरत स्मार्ट एवं सफल बिजनेस मैन होने के साथ बेहद गुस्सैल स्वभाव के थे, उनकी सेकेट्री नव्या जो काफी समझदार, सुन्दर और मिडिल क्लास फैमिली की थी, किसी मजबूरी के चलते सौरभ को नव्या से शादी करनी पड़ती है ।
लेकिन मकसद पूरा होने के बाद सौरभ उसे छोड़ देता है। नव्या सौरभ से उनके किए का बदला लेने के लिए क्या क्या करती है।
क्या वह सचमुच सौरभ से बदला लेने में कामयाब हो पाती है,?या फिर उसके प्यार की तड़प उसे ऐसा करने से रोक देती है।
पूरी कहानी जानने के लिए पढ़िए तड़प तेरे प्यार की,,,,