नव्या के जेल जाने की बात सुनकर सौरभ के तो हाथ पैर सुन्न पड़ गए, उसे तो यह समझ ही नहीं आ रहा था कि वह इतनी गिरी हरकत कर कैसे सकता है ।
उसे नव्या के लिए बहुत बुरा लग रहा था ।शरद अपनी बातें बताता जा रहा था, सौरभ चुपचाप शांत होकर सोफे पर सिर टिका कर सुन रहा था।
शरद ने बताया सौरभ ने नव्या को पुलिस के हवाले कर दिया था ,जिस दिन नव्या को जेल हुई उसी दिन उसको भी जेल हुई जेल में दोनों साथ-साथ पहुंचे क्योंकि जेल में किसी भी कैदी के जाने पर सारे कैदियों को यह पता चल जाता है, कि वह कैदी किस जुर्म में अंदर आया है ।
इसी तरह नव्या के जेल आने की वजह सारे कैदियों को पता चल गई, मैं भी चोरी के जुर्म में सजा काटने जेल पहुंचा, जब मैंने नव्या को देखा इक्कीस साल की खूबसूरत मासूम सी लड़की एक सलवार सूट में बिना किसी मेकअप के भी इतनी सुंदर मानो कोई परी हो,
मैं उसे देखता रह गया, तभी दोपहर के खाने के लिए पुराने कैदियों ने हम जैसे नये कैदियों को भी बुलाया वैसे तो महिला कैदियों पुरुष कैदियो को अलग-अलग बैरक में रखे जाते थे ,किंतु खाने के समय सब एक ही जगह एकत्र होते थे
, पहले दिन जब नव्या खाना लेने आगे बढ़ी तो एक पुराने कैदी ने उस पर छींटाकशी की जिससे नव्या घबराकर प्लेट रखकर जाने को मुड़ी तभी एक कैदी ने नव्या का हाथ पकड़ कर कहा मुझसे भी शादी कर लो मैं तो तुम्हें जेल भी नहीं भेजूंगा ,
तुम्हारा पूरा ध्यान रखूंगा, तभी दो तीन कैदियों ने कहा शादी करना तो इसका पेशा है ,तुम बड़े बिजनेसमैन थोड़ी ना हो कोई बड़ा बिजनेसमैन होता तो यह शादी कर लेती,
तब नव्या अपने मुंह को छुपाए रोती हुई, वहां से अपने बैरक की ओर भागी ऐसा क्रम दो दिन चला दो दिन नव्या खाना नहीं खा पायी,
जब वह खाना लेने आती तब कैदी उसको ऐसे ही ताने मारते ,और वह शर्म के कारण अपनी नजर झुकाए प्लेट रखकर रोते हुए भाग जाती ।
मैं रोज़ रोज़ उनका यह टॉर्चर देखता रहा ,एक दिन मुझसे यह बर्दाश्त नहीं हुआ और मुझे बहुत तेज गुस्सा आया, मैं नव्या के पास गया और कहा आखिर तुम कब तक खाना नहीं खाओगी, कब तक तुम भूखी रहोगी इन लोगों का तो काम ही है।
भौंकना और यह भोंकते रहेंगे,आज चलो तुम मेरे साथ खाना खाने और तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा मन में तो मेरे भी बहुत डर था ,कि कहीं सब मिलकर मुझे मारे ना किंतु जाने क्यों एक अबला असहाय स्त्री को देखकर मैं अपने आप को रोक न सका ,
साहब मैं चोर जरूर हूं वह भी अपना पेट भरने के लिए और अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए मुझे छोटी मोटी चोरी करनी पड़ती है,
क्योंकि मेरे पास कोई काम धंधा नहीं है बेरोजगार आदमी हूं पढ़ा लिखा हूं मजदूरी भी नहीं कर सकता इसीलिए छोटी-मोटी चोरियां स्टेशन इत्यादि जगहों पर कर लेता था।
,उसी में पकड़े जाने पर मुझे जेल हुई वैसे तो मैं कभी पकड़ा नहीं गया लेकिन उस दिन पहली बार मैं भी पकड़ा गया था, इसलिए जेल के कायदे कानून के बारे में ज्यादा मैं भी नहीं जानता था ।
किंतु, एक महिला का सम्मान करना मुझे बचपन से ही मेरी मां ने सीखाया था, शायद इस कारण मेरे अंदर उस समय बहुत अधिक जोश भर गया और उत्साह पैदा हो गया, और मैं नव्या का हाथ पकड़कर अपने साथ खाना निकलवाने लगा।
मेरा साथ पाकर दो दिन से भूखी नव्या प्लेट उठाकर खाना निकालने लगी तभी एक गंजे सर वाले काले आदमी ने पीछे से मेरे कंधे पर हाथ रखा और पूछा कौन लगती है तेरी
, मैं भी उस समय बहुत जोश से था, पलट कर कहा बहन है मेरी, कोई दिक्कत है आपको तब सभी क़ैदी धीरे-धीरे अपने अपने काम में लग गए, और किसी ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि उस समय गुस्से से मेरी लाल आंखें यह बता रही थी ,कि उस समय मैं कुछ भी कर सकता था,
शायद यही कारण था, कि कोई कभी सामने नहीं आया उस दिन के बाद से नव्या जेल में कुल सात दिन थी ,हम साथ साथ ही रहते थे, खाना खाने भी साथ जाते नव्या से अच्छी दोस्ती हो गई थी
, ज्यादातर समय तो बिचारी रोती रहती मैं उसे हर तरह से खुश करने का प्रयास करता लेकिन वह अपने दर्द से ऊबर ही ना पाती है,
थोड़ा बहुत उसने अपने बॉस के बारे में बताया ज्यादा तो नहीं बताया किंतु जितना बताया उससे मुझे लगा समाज कितने घटिया और गंदे लोगों से भरा पड़ा है ,
जहां एक लड़की सिर्फ इसलिए ठुकरा दी जाती है ।क्योंकि उसका पति उसे अपना के उसको छोड़ देता है। जैसे वह किसी की धरोहर हो या कोई बाजार का सामान की खरीद कर लाए मन नहीं किया उठा कर फेंक दिया या किसी को दे दिया क्या बीती होगी उस पर जब उसके पति ने ही उसको जेल में डाला होगा,
मैं उसकी पूरी कहानी तो नहीं जानता पर जितना जाना , मैंने यही पाया कि कभी अगर उसका पति मिलेगा तो मैं उससे जरूर पूछूंगा तुम कितने भी बड़े बिजनेसमैन क्यों न बन जाओ किंतु तुम हो तो एक घटिया इंसान
् ,मैंने अपने जीवन में इतना घटिया इंसान नहीं देखा साहब हम गरीब जरूर है, लेकिन अपनी पत्नी की इज्जत बहुत करते हैं, सौरभ एक अपराधी की तरह चुपचाप बैठा हुआ था उसे लग रहा था मानो पूरे विश्व में उससे बड़ा गुनाहगार कोई नहीं
, अभी तक तो उसको पता ही नहीं था, कि उसके कारण नव्या को जेल भी हुई ,सौरभ ने सोचा क्यों बहुत सी बातें मेरे तक नहीं आ पाती ,क्यों बहुत सी चीजों को मैं नहीं जान पाता, क्या कमी मेरे अंदर है या फिर मेरे साथ यह सब होनी होनी ही थी।
सौरभ इसी कशमकश में एक गरीब निरीह प्राणी की तरह सोफे पर निढाल होकर पड़ा रहता है। सौरभ को चुप देखकर शरद कहता है साहब ,आपको भी नव्या के पति पर गुस्सा आ रहा होगा ना,
सौरभ चुपचाप शरद को देखता रहता है। और धीरे से हां में सिर हिला देता है। सौरभ फिर धीरे से उठते हुए संभल कर बैठते हुए कहता है। जो हमारे और तुम्हारे बीच बात हुई है, यह बात नव्या को पता नहीं लगनी चाहिए,
शरद तुरंत पूछता है क्यों साहब ॽ सौरभ ने कहा क्योंकि इसके बदले मैं तुमको अपने यहां नौकरी पर रखूंगा और अच्छी पगार भी दूंगा ,लेकिन मेरी एक शर्त है कि तुम यह चोरी का काम छोड़ दोगे,
शरद ने सौरभ के पैर पकड़ लिए और बोला साहब यह काम तो मैं मजबूरी में करता था, जब आप मुझे काम देंगे तो मैं चोरी क्यों करूंगा,
लेकिन एक बात समझ नहीं आई की यह बात नव्या मैडम से क्यों छुपानी है। कि मैंने आपको उनकी सच्चाई बता दी सौरभ थोड़े गुस्से से बोला तुमको यहां काम करना है, या नहीं शरद ने कहा साहब करना है,
तो फिर जैसा मैं कह रहा हूं वैसा चुपचाप करो और हां अब तुम नव्या के पास नहीं जाओगे, नव्या के आस पास दूर दूर तक नजर नहीं आओगे ,
फिर अचानक से सौरभ उठता है और अंदर जाता है। नोटों की गड्डी लेकर बाहर आता है। शरद के हाथ में रखते हुए कहता है। यह लो तुम्हारी बीवी और बच्चों के लिए कि तुमने जो कहा है, उसे हमेशा ध्यान रखना वरना ,तुम तो जानते हो मैं क्या कर सकता हूं।
शरद लपककर नोटों की गड्डी उठाते हुए कहता है, साहब आप जैसा कहेंगे वैसा ही मैं करूंगा बस साहब बता दीजिए काम क्या करना है ,और कब से आ जाऊं सौरभ ने कहा मेरे मैनेजर कल तुम्हें बता देंगे।
शरद खुश हो जाता है, और सौरभ से कहता है। साहब अब मैं जाऊं, सौरभ ने कहा हां रात बहुत हो गई है तुम्हारे घर वाले भी तुम्हारे राह देख रहे होंगे, ।
और मुझे भी सोना है ,तुम जाओ इतना कहकर सौरभ उठकर अपने कमरे की ओर जाते हुए ग्रैनी के कमरे में झांकता है। ग्रैनी आराम से सोती रहती है, सौरभ अपने मन में कहता है ग्रैनी तुमने भी मुझे नहीं बताया कि नव्या को जेल हो गई थी,
सच जानने के बाद मैं क्या मुंह लेकर नव्या का सामना करु मैंने उसको इतना दुख दिया कि नव्या की जगह अगर मैं होता तो ऐसे व्यक्ति को अपने साथ एक सेकंड भी बर्दाश्त ना करता वह बेचारी तो मुझे पूरे टाइम बर्दाश्त करती है।
पर नव्या मैं क्या करूं तुम्हें कैसे यकीन दिलाऊ कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं ,तुम्हारे बिना एक पल भी मेरे लिए गुजारना मुश्किल हो रहा है, आज मैं अपने आप से एक वादा करता हूं, कि मैं तुमसे अपने सारे गुनाहों के लिए माफी मांग कर रहूंगा या तो तुम मुझे माफ करो या सजा दो प्लीज नव्या यह कहते हुए सौरभ अपने कमरे में चला जाता है। आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए तड़प तेरे प्यार की और प्लीज समीक्षा जरूर दें
जिससे हमें पता चले कि हमारी कहानी आपको अच्छी लग रही है 🙏🙏🙏क्रमशः