वह कहते हैं ना किसी को दुख देने वाला कभी सुखी नहीं रह सकता भगवान कहीं ना कहीं हिसाब बराबर करते हैं। पश्चाताप की आग में जल रहे सौरभ की तड़प का नव्या को तो एहसास ही नहीं था। नव्या धीरे से हाथ का सहारा लेकर उठती है। और सामने दवा देखकर समझ जाती है कि मां मेरे कमरे दवा रखने आई थी, दवा मुंह में डालकर एक घूंट पानी से दवा निगल लेती है फिर किसी तरह उठकर धीरे -धीरे वाशरुम की ओर जाती है। थोड़ी देर के बाद हाथ मुंह धो कर वापस कमरे में आती है, देखती है उसके मोबाइल पर लगातार घंटी बज रही है। नव्या का दिमाग आज इतनी उलझन में था, कि उसे लग रहा था कहीं भाग जाए; इतना दूर जहां कोई उसे न जानता हो ना पहचानता हो, और वह फोन उठाकर हेलो बोलती है, इस बार उसके सेक्रेटरी का फोन था हां हेलो मिस्टर अमन वर्मा बोलिए, जी मैडम मैंने इसके पहले भी आपके पास फोन किया था पर उठा नहीं आप बिजी थी क्या? नव्या मन में सोचती है।(अच्छा तो मिस कॉल मिस्टर अमन की थी) नहीं बिजी नहीं थी वह मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही थी अरे ;क्या हुआ मैडम? कुछ नहीं अब आराम है। आप मीटिंग में पहुंचिए मैं आती हूं ,और हां सारी फाइलें मेंटेन करके लाइए गा यह डील हमें ही मिलनी चाहिए , किसी भी कीमत पर, सेक्रेटरी ने जी मैडम कहकर फोन रख दिया। नव्या कपड़े बदलने के लिए कपड़े निकालती है। और कपड़े बदलने लगती है ,फिर कंघी करते समय अपने मांग में लगे सिंदूर को देखकर मन ही मन कहती है।(वाह! रे ऊपर वाले तूने क्या किस्मत दी है, ऐसी निराली किस्मत अब किसी को मत दीजिएगा क्योंकि हर कोई नव्या नहीं बन सकता) और तैयार होकर सीढ़ियों से नीचे आती है तभी मां से निवि कहती है मां दीदी कहीं जा रही है क्या? मां घबराई हुई कहती है अरे उसे तो बुखार है ।इस लड़की को तो काम के आगे कुछ सूझता ही नहीं, ड्राइंग रूम की तरफ आती है ।नव्या मां से कहती है मां 5:00 बजे मेरी मीटिंग है। एक डील फाइनल होनी है। मां बोली जाना जरूरी है ,नव्या ने कहा हां मां जाना जरूरी है ।अगर जरूरी ना होता तो ना जाती मैं बस यूं गई और यू आयी बस आप मुझे आशीर्वाद दीजिए कि यह डील मुझे ही मिले मां नव्या के सिर पर प्यार से हाथ फेरती है और नव्या से कहती हैं तुझे ही मिलेगी मेरी बच्ची, नव्या आगे बढ़ती है। ड्राइवर कार का दरवाजा खोलता है नव्या कार में बैठ जाती है, कार आगे बढ़ती है कार के ओझल होने तक मां उसे देखती रहती हैं ।और सोचती हैं। (यकीन ही नहीं होता कि यह वही नव्या है जो मेरे सब बच्चों में सबसे कमजोर डरी -डरी सी रहती थी हमेशा अपने पापा के पीछे पीछे रहने वाली अपने पापा की परी आज कैसी इतने आत्मविश्वास के साथ अडिग हो खड़ी है) बहुत बड़े शानदार होटल के सामने कार रूकती है ।बेंगलुरु का जाना माना पांच सितारा होटल जिसमें अक्सर बड़े बड़े बिजनेसमैन की मीटिंग होती थी ड्राइवर कार का दरवाजा खोलता है ,और नव्या बाहर आती है तभी सामने से उसके सेकेंटरी अमन भी आ जाते हैं। अमन से बात करतें करते ही वह आगे आगे चलती है अमन सारी फाइलें लिए उसके पीछे-पीछे आते हैं जैसे ही नव्या दरवाजे पर पहुंचती है सबकी नजर उस की ओर जाती है। एक खूबसूरत दुबली पतली लड़की साड़ी में लिपटी जिसकी बड़ी-बड़ी आंखों में आत्मविश्वास इतना ज्यादा था कि कोई एक टक उसकी और देख नहीं सक रहा था ।नव्या के आने पर शिष्टाचार के कारण सभी बिजनेसमैन खड़े हो जाते हैं। नव्या उनको बैठने का इशारा करके स्वयं भी बैठ जाती है। और मीटिंग शुरू हो जाती है, दो घंटे के पश्चात यह कॉन्ट्रैक्ट नव्या को मिल जाता है और डील पक्की हो जाने पर नव्या अत्यधिक खुश नजर आ रही थी उसकी सारी कमजोरी थकान जैसे छूमंतर हो गई थी वह जल्दी से जल्दी अपने घर पहुंच कर यह खुशखबरी अपनी मां और अपनी बहनों को देना चाहती थी सभी बिजनेसमैन रात्रिभोज में शामिल थे किंतु नव्या में मीटिंग खत्म होने के तुरंत बाद उठकर घर की ओर चली जाती है। सभी बिजनेसमैन आपस में बात कर रहे थे कि नव्या सिंह सिंघानिया का आत्मविश्वास बता रहा है कि उनके साथ डील करके हमने कोई घाटे का सौदा नहीं किया है। इधर नव्या कार पर बैठे-बैठे अपनी अतीत की यादों में खो जाती है उसे वह पल अचानक याद आ जाता है ।जब उसके पापा अस्पताल में अंतिम सांसे गिन रहे थे ,और नव्या डरी सहमी सी इस चिंता में थी कि अब हमारा क्या होगा तभी पापा ने नव्या का हाथ पकड़कर जोर से दबाया और कहां मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं शायद यही ताकत नव्या को हमेशा मजबूत बनाए रखने में मदद करती थी। गाड़ी घर के पास पहुंच गई थी ड्राइवर ने दरवाजा खोला और नव्या घर के भीतर दाखिल हुई और जोर से चिल्लाई मां डील फाइनल हो गई मां और दोनों बहने भागती हुई आई मुझे पता था मेरी बच्ची मैं जानती थी यह डीलल तुझे ही मिलेगी भगवान का लाख-लाख शुक्र है जिन्होंने मेरी बेटी को इस मुकाम पर पहुंचाया ,तभी नव्या का मोबाइल बजा हैलो हैलो उधर से कोई आवाज नहीं आई मां ने पूछा किसका फोन है ।पता नहीं मां कई बार मिस कॉल आई तू नंबर नहीं पहचानती मां अलग-अलग नंबर से मिस कॉल आ रही है तभी हनी बोलती है मां दीदी को बहुत लोग बधाई देने के लिए फोन कर रहे होंगे हो सकता है कहीं क्रॉस कनेक्शन लग जाता हो बीच में कई बार मिस कॉल करने के बाद सौरभ ने इस बार निश्चय किया कि वह आज बधाई देकर रहेगा आज की मीटिंग की डील के बारे में उसे मैनेजर से पता चल गया था। पूरी हिम्मत करके उसने फिर से फोन किया अबकी बार नव्या ने फोन उठाया ही नहीं सौरभ परेशान होता है नव्या तो फोन कभी मिस नहीं करती पता नहीं क्यों उसने फोन नहीं उठाया हो सकता है अभी अभी आई है ।इधर उधर होगी, और थोड़ी देर के बाद उसने दूसरे नंबर से फिर से नव्या के मोबाइल पर फोन किया हेलो यह नव्या की आवाज थी ,जो सौरभ को पागल बना रही थी आवाज सुनने के बाद फिर उसके मुंह से एक शब्द ना फूटा कहती है कि जब फोन पर बोलना नहीं तो फोन क्यों किया इस क्यों का ही तो उत्तर सौरव के पास नहीं था। फिर भी हिम्मत करके बोला (कांग्रेचुलेशन) नव्या हेलो कौन? आवाज कुछ जानी पहचानी सी लगी फिर भी समझ ना पाई, फिर बोली जी कौन कोई आवाज नहीं आई , सौरभ डर गया कि अगर नव्या मेरी आवाज़ को पहचान गयी तो वह मेरा फ़ोन कभी नहीं उठायेगी तो फिर मैं उसकी आवाज नहीं सुन पाऊंगा, इसलिए चुप रहना ही उचित समझा नव्या ने फोन काट दिया। नव्या ने अपनी दोनों बहनों को अपने पास बुलाकर एक गिफ्ट पैक पकड़ाया और बोली आज हम सब जीत का जश्न मनाएंगे और तीनों हंस पड़ी मां भी उन्हें खुश देखकर खुश हो जाती है। उधर सौरभ सोचता है, कि जब नव्या मेरे पास मेरी सेक्रेटरी थी तब हर समय कैसी डरी सहमी सी रहती थी। मेरी एक आवाज पर उसके चेहरे की रंगत उड़ जाती थी
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए तड़प तेरे प्यार की और हमें जरूर बताइए कि हमारी यह कहानी आपको कैसी लगीं 🙏🙏🙏 क्रमशः