शाम को सौरभ ऑफिस से फॉर्म हाउस पहुंचते हैं तो ड्राइंग रूम में ग्रैनी गुस्से में बैठी रहती है, सौरभ ड्राइंगरूम में घुसते ही हंसते हुए, हेलो ग्रैनी हाउ आर यू ग्रैनी अपना मुंह दूसरी ओर घुमा लेती हैं, ।
और कुछ नहीं बोलती सौरभ ग्रैनी के पास जाकर उससे लिपट ते हुए कहता है ,ग्रैनी मैंने आधा नाश्ता तो किया था ना ,और आधा नाश्ता मैंने तुम्हारी बहू के यहां कर लिया ग्रैनी आश्चर्य से सौरभ को देखते हुए और खुश होकर पूछती है ।
सच में तू नव्या के घर गया था ,सौरभ हंसते हुए कहता है ,अरे वाह मुझसे तो इतना मुंह फुला कर बैठी थी और नव्या का नाम सुनते ही कैसी तुम खुश हो गई कितना पक्षपात करती हो तुम ग्रैनी ,
ग्रैनी ने सौरभ के सिर पर धीरे से मारा और कहा क्यों न करूं पक्षपात बेचारी को अब तक क्या सुख मिला है ।सौरभ चुप हो जाता है और एक दम शांत होकर ग्रैनी की ओर निहारने लगता है, ।
सौरभ को ऐसे निहारते देख ग्रैनी कहती है तू क्या जाने एक औरत के दर्द को तू तो सोच भी नहीं सकता कि उस औरत को कितनी तकलीफ होती है।
जिसका आदमी जीवित होते हुए भी उसे अपना नाम और सम्मान नहीं देता उसे अपनाता नहीं सौरभ सोचता है मैं तो कब से नव्यां को अपनाने को तैयार हूं।
लेकिन क्या वह मेरे पास आने को राजी होंगी?, और ,अचानक ग्रैनी आज ऐसी ज्ञान की बातें क्यों कर रही हैॽ इसके पहले तो कभी ग्रैनी ने मुझे यह यह सब बातें नहीं बताई तभी सौरभ के दिमाग में रात से ही जो एक बात खटक रही थी, कि नव्या जेल कैसी गईॽ
ग्रैनी से पूछता है ग्रैनी, ग्रैनी ने कहा हां बोलो बेटा ,सौरभ बोला मेरी एक बात का उत्तर दोगी ग्रैनी बोली हां पूछ ग्रैनी मै यह जानना चाहता हूं, कि नव्या को जेल मेरी वजह से हुई थी...
, ग्रैनी बोली इस विषय में मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है किंतु एक बार नव्या की मां हमारे हैदराबाद वाले घर पर आई थी, तो उन्हीं से मुझे भी पता चला कि दो दिन पहले नव्या जेल से छूट कर घर आई है।
उन्होंने ही मुझे बताया कि तेरे कारण उनकी बेटी की जिंदगी तबाह हो गई वह कहीं की नहीं रही अब तो वह जेल से रिहा हो गई, किन्तु वह कहां जाएं क्या करेंॽ और मेरे पैरों के पास सर रखकर रोने लगी मैंने उन्हें उठाया और उन्हें बहुत समझाने की कोशिश की ,कि मैं सौरभ से बात करूंगी उसको समझा दूंगी धीरे-धीरे सारी परिस्थितियां ठीक हो जाएंगी किंतु वह सारी गलती तेरी ही मानती रही और चुपचाप वहां से चली गई ऐसा नहीं है कि उसके बाद मैंने उनका पता नहीं लगवाया मैंने मैनेजर को भेजा था ।उन लोगों का पता लगाने के लिए लेकिन उसी दिन वह लोग शहर छोड़कर जाने कहां चले गए थे,
यह सुनकर सौरभ आंख बंद करके एक गहरी सांस लेता है उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं, और मन ही मन कहता है ,अब मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा उसके लिए मुझे चाहे जो भी करना पड़े अब मैं नव्या की जिंदगी सुधार कर रहूंगा।
उसे उसका हक दिला कर रहूंगा उसके लिए चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े उठकर सौरभ अंदर जाता है फ्रेश होकर कपड़े बदलकर जैसे ही बैठता है वैसे ही सौरभ के फ़ोन की घंटी बज उठी हैलो कौन कई बार सौरभ के बोलने पर भी कोई आवाज नहीं आती सौरभ फोन काट देता है ।
उसके मोबाइल की घंटी फिर बजती है , सौरभ फोन उठाता है और पूछता है ,अरे भाई बात नहीं करनी तो फोन क्यों किया दूसरी और नव्या की आवाज आती है।
हैलो यह सुनकर सौरभ का दिल तड़प उठता है ,क्योंकि वह नव्या के ही जीवन को सुधारने के विषय सोच रहा था, सौरभ कहता है अच्छा तो मिसेज सिंघानिया बोल रही हैं।
,नव्या कुछ कहती उसके पहले सौरभ ने कहा अपने मिस्टर सिंघानिया को आदेश दीजिए यह सुनकर नव्या गुस्से से फोन काट देती है। और कहती है तमीज तो इस आदमी में है ही नहीं, फोन रखकर सौरभ मुस्कुराने लगता है, ।
उसे अच्छी तरह पता था कि नव्या इस समय बहुत गुस्से में होगी किंतु थोड़ी देर बाद उसके पास फोन जरूर करेगी क्योंकि बिहान के घर वाले इस समय मिस्टर सिंघानिया का वेट जो कर रहे होंगे। कुछ देर बाद में फिर नव्यां सौरभ को बेमन से फोन करती है इस बार थोड़े गुस्से में कहती हैं मिस्टर सिंघानिया माइंड योर लैंग्वेज और सुनिए थोड़ी देर बाद हमारे घर आ जाइएगा सौरभ, कुछ बोलता उसके पहले ही नव्या फोन काट देती है, मुस्कुराते हुए सौरभ कहता है मेरी जान मैं तो मिसेज सिंघानिया से मिलने के लिए कब से व्याकुल हूं ,और उठकर कपड़े बदलने लगता है ।इधर नव्या गुस्से से तिलमिला जाती है और अपने भाग्य को कोसती है ,यह कहां से घूम फिर कर इस शख्स को मेरे सामने खड़ा कर दिया भगवान तुमने, क्या जरूरत थी, पहले इसको बंगलोर लाने की उसके बाद मुझसे मिलाने कि फिर एयरपोर्ट भेजने की अब तो यह अपने आप को इस घर का जमाई ही मान बैठा है मुझसे तो उसी लहजे में बात भी कर रहा था, किससे कहूं मैं अपना यह दर्द, किसी को बता भी नहीं सकती और कुछ कर भी नहीं सकती, सौरभ को देखकर मेरे तन बदन में जो आग लग जाती है उसे तो मैं किसी को दिखा भी नहीं सकती उसकी मुस्कुराहट मेरे सीने को छलनी कर देती है, उसका हाथ पकड़ना मेरे क्रोध को और बढ़ा देता है, और मेरे मजबूत इरादो को और भी कमजोर कर देता है जब वह मुझे मिसेज सिंघानिया कहता है तो मेरा जी करता है कि उसके पास आकर उसके गाल पर खींचकर एक चांटा मारू और पूछूं किस-हक से तुम्हारे मुंह से यह शब्द निकलता है। किंतु अपनी मजबूरियों के कारण में इस समय चुप जरूर हूं लेकिन मेरी क्रोध की अग्नि अभी शांत नहीं हुई है वह सौरभ को जलाकर राख कर देगी तभी शांत होगी यह मेरा आपसे वादा है और ऊपर की ओर निहारती रहती है जैसे वह सामने भगवान से ही बातें कर रही हो और उसकी आंखों के दोनों कोनों से आंसू बह कर उसके गाल तक आ जाते हैं फिर वह उठकर अपने कमरे में चली जाती है। आज आंसू दोनों की आंखों में थे उधर सौरभ के इधर नव्या के किंतु दोनों आंसुओं का मकसद अलग था एक में प्रतिशोध की ज्वाला थी तो दूसरे में पश्चाताप,
आगे जानने के लिए पढ़ते रहे तड़प तेरे प्यार की और समीक्षा करके हमें यह जरूर बताएं कि आप को हमारी कहानी कैसी लगी 🙏🙏👍 क्रमशः