आज सुबह जब सौरभ सिंघानिया की आंख खुली, तो उसने देखा ग्रैनी बाहर लॉन में किसी से बात कर रही है।
वह सोचने लगा आखिर इतनी सुबह ग्रैनी क्यों उठ गई ऐसा तो कभी ना हुआ था, जब ग्रैनी मुझसे पहले उठ गई हो, तो क्या मैं देर रात तक जगता रहा या मुझे सुबह होने का पता ही नहीं चला,
ऐसा सोचते हुए सौरभ की निगाह घड़ी पर जाती है। देखा तो अभी मात्र पांच ही बज रहे थे।
सौरभ उठा और खिड़की का पर्दा हटाकर झांका तो सामने देखा ग्रैनी मिस मीनल से बात कर रही थी। सौरभ मन में सोचता है, यह मैडम कल तो आ नहीं आ पाई थी, आज सुबह की फ्लाइट से आई है,
और सुबह आते ही ग्रैनी को जगा दिया। सौरभ आकर बिस्तर पर लेट जाता है। और सोने की कोशिश करता है किंतु उसे नींद नहीं आती, उठकर वह भी लॉन में ग्रैनी के पास आ जाता है।
ग्रैनी उसको देखते ही बोलती हैं आज इतनी जल्दी उठ गया सौरव बोला उठा नहीं उठा दिया गया किसने उठाया, ग्रैनी आप ही ने तो उठाया सुबह-सुबह सेक्रेटरी से पूरा ब्यौरा लेने की क्या जरूरत थी ।
बाद में भी तो पूछ सकती थी। ग्रैनी बोली मुझे वहां की चिंता हो रही थी , कि वहां सब काम काज ठीक से चल रहा है, कि नहीं इसीलिए सोचा थोड़ा मीनल से पूछ लूं ,
मीनल नजर झुका कर खड़ी रहती है । हां तो मीनल जी कल आप लेट क्यों हो गई? वह सर मेरी तबीयत थोड़ी तभी सौरभ बोला हां तबीयत का तो हमेशा से आपका बहाना रहता है ।
जब देखो तब आपकी तबीयत ही खराब हो जाती है। सॉरी सर ,व्हाट सॉरी आगे से ऐसे नहीं चलेगा, जाइए यहां पर अपना रूम देखिए और हां आज का शेड्यूल आज की मीटिंग सब नोट करके मुझे बताइए
, जी सर कहती हुई मीनल अपने रूम की तरफ जाने लगती है।और मन में कहती हैं (लाट साहब कहीं का) और अपने बैग और सूटकेस वगैरा ले जाने लगती है ।
तभी ग्रैनी बोलती हैं इसको तू छोड़ दे कोई पहुंचा देगा मीनल वही सामान छोड़कर आगे बढ़ जाती है। सौरभ को सुबह-सुबह लांन में चलना बहुत अच्छा लग रहा था।
थोड़ी देर ग्रैनी के साथ चलने के बाद वह फ्रेश होकर नाश्ते की टेबल पर आता है ग्रैनी भी आती है। ग्रैनी पूछती है ,सेक्रेटरी मीनल को भी बुला लो नौकर दौड़ कर जाता है ।
और मीनल को भी बुला लाता है। सौरभ और ग्रैनी नाश्ता करते रहते हैं ।तभी मीनल आ जाती है ग्रैनी कहती हैं, मीनल तुम भी नाश्ता कर लो, मीनल "जी ग्रैनी' 'क्ह कर बैठ जाती है।
ग्रैनी की दयालुता देखकर सौरभ मन ही मन नाराज होता है। किंतु बिना कुछ बोले चुपचाप नाश्ता करता है। मिस मीनल आज की मेरी मीटिंग कहां कहां है नेशनल और इंटरनेशनल उसका शेड्यूल बताइए,,,,
मीनल अपने काम में बिजी हो जाती है। तभी अशोक आता है ,और पूछता है, सर आप ऑफिस कितने बजे तक निकलेंगे सौरव बोला अशोक जी आपको कोई काम है ।
नहीं सर ऐसे ही पूछ लिया सौरव बोला अभी टाइम फिक्स नहीं हुआ, कोई काम हो तो बताइए, दरअसल अशोक यह जानना चाहता था , कि सौरव कितने बजे ऑफिस जाएगा और कितनी देर रहेगा तब तक वह होटल के और भी जितने डाक्यूमेंट्स वगैरा थे उनको छुपा सकता था,,
डाक्यूमेंट्स यहीं पड़े रहने के कारण कभी भी सौरभ की नजर पड़ सकती थी, अब तो उसकी सेक्रेटरी मीनल भी आ गई थी। इसलिए अब और सतर्क रहने की जरूरत थी ,,
अशोक को मीनाल बहुत तेज लड़की लगी, सौरभ तैयार होकर निकलता है ।सिकेटरी मीनल पीछे -पीछे लगभग भागती भागती आती है ।और कहती है , सर निकले सौरभ बिना कुछ बोले सिर हिला देता है।
आज की मीटिंग में जैसे ही सौरभ कॉन्फ्रेंस हॉल में आता है ।एकदम सामने नव्या को देखकर उसके दिल की धड़कनें अचानक से तेज हो जाती है उसके हाथ पैर ढीले पड़ जाते हैं ।वह समझ नहीं पाता कि आखिर वह नव्या के आगे कैसे बोलेगा??
क्योंकि जब वह नजर उठा कर देख लेती थी तो सौरभ नजरे नहीं मिला पाता था आज वह एकदम सामने बैठी थी किसी तरह सौरभ कक्ष में प्रवेश करता है।
और आकर अपने स्थान पर बैठता है। सेक्रेटरी मीनल खड़ी रहती है सौरभ उसको भी बैठने के लिए इशारा करता है। उधर नव्या लगातार अपनी फाइल देखती रहती है।
और वह लगातार नव्या को देखता रहता है। तभी मीलन कहती है सर "सौरभ "ने कहा यस आप भी अपनी फाइ लो पर एक नजर डाल दीजिए मिस मीनल आपने तो देखा ही है ,तो मुझे देखने की जरूरत नहीं है ।मीलन आवाक रह गई, सौरभ सिंघानिया और ऐसी बातें तीन साल से वह सौरभ के साथ थी ऐसा तो कभी हुआ ही नहीं जब सौरव ने किसी भी डाक्यूमेंट्स को बिना चेक किए या बिना देखे साइन किया हो,,,
, फिर आज ऐसा क्या हो गया, कहीं कल मेरे लेट आने के कारण नाराज तो नहीं है,, ऐसा मन में सोचती है (पर मैं क्या करूं सर को भी समझना चाहिए ।
मैं भी एक लड़की हूं जब मन हुआ मुह उठाकर कह दिया कि चल दो पूछ रही हूं कब तक के लिए जाना है ।तो कोई निश्चित समय भी नहीं बता पा रहे है, मैं किस हिसाब से कपड़े रख कर आती किस हिसाब से अपने घर वालों को बोल कर आती इसकी तो कुछ समझ ही नहीं है)।
सौरभ लगातार नव्या की ओर इस लालच में देख रहा था कि एक बार तो नव्या नजर उठा कर मेरी ओर देखेगी ही किंतु नव्या ने ऐसा नहीं किया वह अपने काम में व्यस्त रही उसने हर किसी की तरफ नजर उठाकर देखा ,सिवाय एक व्यक्ति के,,,
सौरभ सिंघानिया अब सौरभ को चैन कहां था , वह तो कुछ ना कुछ करके नव्या का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहता था। उसने प्रोजेक्ट भी पढ़ा जिसे सब लोगों ने ध्यान से सुना और फिर तालियां बजाई नव्या निगाह नीची कर सुनती रही,,,
किंतु संज्ञा शून्य होकर सुनती रही जिससे उसे कुछ समझ ही नहीं आया, इसी ध्यान ना देने के कारण सौरभ ने बड़ी चालाकी से नव्या को अपने साथ प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए पार्टनर चुन लिया था सौरभ जब बोल रहा था तो नव्या का ध्यान जाने किस ओर था।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए तड़प तेरे प्यार की और हमें क जरूर बताइए कि हमारी यह कहानी आपको कैसी लगीं , 🙏🙏🙏 क्रमशः