तड़प कहीं ना कहीं व्यक्ति के मन मस्तिष्क पर हावी हो जाती है ।जो उसके हाव भाव और उसके रूप में भी नजर आने लगती है।
दूसरे दिन सौरव मुंबई पहुंच कर बेचैन होता है। उसका किसी काम में मन नहीं लगता जिस मीटिंग के लिए वह बंगलुरू से भागा भागा आया था, उसी को बीच में छोड़कर उठ जाता है ।
मैनेजर सेक्रेटरी से पूछता है, सर कुछ परेशान हैं, कोई टेंशन है क्या? कुछ हुआ है क्या ?सेक्रेटरी बोलती है ।पता नहीं मैं तो कल सर के साथ बेंगलुरु नहीं गई थी मैंने छुट्टी लिया था ,मेरी तबीयत ठीक नहीं थी
, ओ हो मैंने तो पूछा ही नहीं मिस मीनल क्या हुआ था ,आपको कुछ नहीं थोड़ा सर्दी जुखाम थी आप तो जानते हैं ,कि सर्दी जुखाम होने पर सर तुरंत छुट्टी दे देते हैं ,सर कहते हैं इससे उनको तुरंत एलर्जी हो जाती है इसलिए सर्दी जुखाम वाले लोग मेरे पास न रहे ऐसा सर का मानना है।
इधर नव्या सब को विदा करके कार के पास आती है ड्राइवर दरवाजा खोलते हुए मैडम कहां चले नव्या घर चलो थोड़ा गुस्से में मैंने और कहीं जाने को बोला था ,ड्राइवर जी नहीं और अपने (मन में कहता है। आज मैडम को क्या हो गया सबसे हंस का प्यार से बोलने वाली आज छोटी सी बात पर इतना नाराज क्यों हो गई)
नव्या घर पहुंचते ही सीधे अपने कमरे में गई और ड्राइवर गाड़ी से बुके तथा पुरस्कार को बारी बारी निकाल कर ड्राइंग रूम में ले जाने लगा सारे प्राइस को एक किनारे रख कर आवाज देता है।
मैडम इसे किस जगह रखना है। तब तक तो नव्या अपने कमरे का दरवाजा बंद कर चुकी थी, नव्या की मां ड्राइंग रूम में आती हैं। प्रसन्न होकर अरे वाह आज मेरी बेटी को ढेर सारा इनाम मिला है।
अपनी दोनों बेटियों को आवाज देती है निवि हनी बाहर आओ देखो तो दीदी को कितना सारा प्राइस मिला है। दोनों दौड़ते हुए आती हैं ।ओह माय गॉड दीदी को तो बिजनेस वूमेन की शील्ड भी मिली है।
तभी हनी कहती है ,पर दीदी हैं कहां? शायद अपने कमरे में है, निवि ने कहा, इधर सबसे बेखबर नव्या खुशी मनाएं या फिर गम क्योंकि जिस व्यक्ति से आज उसका सामना हुआ था, वह उसके जीवन की दशा एवं दिशा को बदलने वाला शख्स था।
उसने नव्या के शरीर में मानो बिजली के कई झटके जितना करंट दिया था और इस समय झटकों के बाद संज्ञा शून्य शरीर लिए बिस्तर पर पड़ी सिर्फ रोए जा रही थी, ,
और बार-बार अपने कान्हा जी से पूछ रही थी ,की हे मोहन हे गिरधारी यह क्या किया ? आपने इतने सालों बाद क्यों मुझे उन यादों की ओर धकेल दिया जिसे मैं भुलाना चाहती थी।
क्यों उसकी काली छाया मेरा पीछा ही नहीं छोड़ रही है। आज शैतान को मेरे सामने खड़ा किया और मैं कुछ न कर पाई जिसने मेरा जीवन नर्क किया आज उसी ने मुझे बधाई दी क्यों? कान्हा जी रोते - रोते आंसू उसके गले तक चले जाते हैं।
तभी दरवाजे पर किसी की दस्तक सुनाई दी दीदी दरवाजा खोलो तुम हमें आज पार्टी देने से नहीं बच सकती यह निवि की आवाज थी। हम दोनों चलने के लिए तैयार हो कि नहीं नव्या की तरफ से एक शब्द भी नहीं आया वापस तड़प तड़प कर रोने लगती है ।
उधर सौरभ सोचता मुझे इतनी बेचैनी क्यों हो रही है। अब जब तक मैं नव्या के समक्ष अपने पाप का प्रायश्चित नहीं कर लेता मुझे चैन नहीं पड़ेगा तभी दूसरी तरफ नव्या की मां सीढ़ियों से चढ़कर नव्या के कमरे के पास आयी निवि हनी क्या हुआ कुछ नहीं मां दीदी ने हमें टीट ना देना पड़े इसलिए दरवाजा बंद कर लिया ।
नव्या की मां बोली क्या कुछ भी तुम लोग बोलती हो ,और आगे बढ़कर दरवाजा खटखटाती हैं ।नव्या क्या हुआ बेटा तबीयत तो ठीक है? दरवाजा खोल नव्या, कुछ देर बाद नव्या दरवाजा खोल देती है।
नव्या कुछ जवाब नहीं देती उसकी शक्ल देख कर उसकी मां घबरा जाती है। और दोनों गालों तक लुड़के आंसू पोछती है।
आंखें एकदम लाल बिखरे बाल नव्या बेटा क्या हुआ है? इधर तीन सालों में उसकी मां ने जिस नव्या को देखा था वह एक मजबूत फौलादी इरादों वाली लड़की थी।
जिसकी आंखें आंसू से नहीं आत्मविश्वास से भरी रहती , वह मा से चिपक कर कहती है मां मेरी किस्मत ऐसी क्यों है? उसकी मां कुछ समझ पाती इससे पहले दोनों बहने कहती है ।दीदी क्या हुआ आपको तो इतने सारे प्राइस मिले हैं।
किसी ने कुछ कहा क्या बताओ ना दीदी मां उसे पकड़कर जबरदस्ती बिस्तर पर अपने पास बैठाती हैं। हनी दीदी के लिए एक गिलास पानी लाओ,हनी जग से निकाल कर पानी लेकर आती है।
और उसके सामने पानी का ग्लास करती है। सिर सहलाते हुए कहती हैं कि बेटा थोड़ा सा पी लो नव्या ने एक घूंट पानी पिया फिर मां की गोद में सर रखकर बोली मां आज वह मेरे सामने आया था. ।
कौन? तेरे सामने आया था। सौरभ सिंघानिया बोलकर नव्या फिर से रोने लगती है। मां कहती है ,रो नहीं नव्या तू बड़ी मुश्किल और मेहनत से इस मुकाम पर पहुंची है ।
अब तुम कमजोर नहीं हो सकती नव्या बोली मां मैं कमजोर नहीं पड़ रही लेकिन विधाता से पूछ तो सकती हूं कि मेरी इतनी खराब किस्मत क्यों बनाई,
मेरे इतने आंसू और हमारे परिवार की इतनी बद्दुआ के बावजूद उस शख्स का कुछ नहीं बिगड़ा वह वैसे का वैसा ही है ।मीटिंग बीच में छोड़कर सौरभ घर चले जाते हैं।
और सीधे घर की बालकनी में चले जाते हैं। उनकी दादी को लगता है कि सौरभ की गाड़ी आई किंतु वह सोचती हैं (कि आएगा तो पहले हमारे ही पास )सौरभ को इस समय आया देखकर उसके सारे नौकर सौरभ के पास बारी बारी जाते हैं।
कोई उसका डाइट चार्ट देखता है ।तो कोई उसके कपड़े लेकर जाता है।" मेआई कम इन सर'सौरभ गुस्से से क्या है?
आज बहुत दिन बाद सारे नौकरों ने सौरभ की इतनी ऊंची आवाज सुनी थी, दादी भी मैनेजर को बुलाकर पूछती हैं ।बाबा किस बात से नाराज हैं ?पता लगाइए और हमें बताइए??
आज वह अपनी ग्रैनी के पास भी नहीं आए, मैनेजर मीटिंग में क्या हुआ सेक्रेटरी मीनल को फोन लगाकर हमें दीजिए। उधर मीनल हेलो ग्रैनी हेलो हां यह बताओ मीटिंग में कुछ हुआ क्या??? ?
नहीं तो फिर बाबा मीटिंग छोड़कर क्यों आए? मीनल बोली पता नहीं क्यों सर बीच में ही मीटिंग छोड़कर निकल गए मैं भी उनके पीछे-पीछे आई लेकिन सर ने मुझे डांट कर भगा दिया
और कहा क्यों मेरे पीछे चौबीस घंटे साए की तरह रहती हो, फिर मैं वहां से चली गई सर ठीक तो है ना ग्रैनी बोली पता नहीं, फिर दादी ने खुद सौरभ के पास जाने का फैसला किया।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए तड़प तेरे प्यार की 🙏